क्या भारत में डे-नाइट टेस्ट क्रिकेट दर्शकों को स्टेडियम खींच पाएगा ?

By दीपक कुमार मिश्रा | Nov 02, 2019

ये सीन सामने आते ही हर भारतीय क्रिकेट प्रेमी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। ये वो मैच था जहां खिलाड़ियों ने अपने शानदार खेल से हर किसी दिल जीत लिया था। लेकिन क्या ये मैच सिर्फ खिलाड़ियों से पूरा हो पाता। इसके साथ ही मैदान में पहुंचे दर्शकों ने जिस तरह से खिलाड़ियों का जोश बढ़ाया वो उस टेस्ट की सबसे खास चीज होगी। उस मैच में खिलाड़ी हीरो थे। दर्शक और उनके शोर से पूरा मैदान गूंज रहा था। उस दिन मैच भारत ने जीता था लेकिन असल में तो जीत टेस्ट क्रिकेट की हुई थी।

 

इस बात को दो दशक बीत गए। टेस्ट क्रिकेट लगातार ढलान की और बढ़ रहा है। दर्शक स्टेडियम से गायब होते जा रहे है। पांच दिन का टेस्ट मैच अब ज्यादातर बार चार दिन में ही खत्म हो जाता है। टेस्ट क्रिकेट का जन्म 1877 में ऑस्ट्रेलिया औऱ इंग्लैंड के बीच मैच से हुआ था। 142 सालों के टेस्ट इतिहास ने हमे डॉन ब्रैडमेन, सचिन तेंदुलकर, ब्रायन लारा औऱ राहुल द्रविड़ जैसे खिलाड़ी दिए। लेकिन बीते कुछ सालों में क्रिकेट के सबसे पुराने फार्मेट ने अपना रंग खो सा दिया है। एशेज जैसे सीरीज को छोड़ दे तो ज्यादातर दर्शक मैदान पर नहीं पहुंचते। जिसको लेकर तरह-तरह के उपाय किए जा रहे है कि दर्शक मैदान पर मैच देखने पहुंचे। 

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टेस्ट क्रिकेट को जिंदा करने के लिए तरह-तरह के उपाय किए जा रहे है। हाल ही में बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने भारत में डे-नाइट टेस्ट कराने का फैसला किया है। लेकिन क्या ये डे नाइट टेस्ट का फार्मूला भारत में काम करेगा। बीसीसीआई ने सबसे आखिर में डे नाइट टेस्ट क्रिकेट के फार्मूले को अपनाया है। 22 नवंबर को कोलकाता में भारत अपना पहला डे-नाइट टेस्ट खेलने और होस्ट करने जा रहा है----लेकिन क्या ये आसान है और इससे टेस्ट क्रिकेट की लोकप्रियता वापस आएगी।

 

बीसीसीआई ने 2015-16 के सीजन में दिलीप ट्रॉफी में पिंक गेंद का इस्तेमाल किया था---इसने दर्शकों को मैदान की और खींचा भी था---लेकिन साथ ही कई क्रिकेटरों के पिंक गेंद को लेकर बयानों ने इसके उपर सवाल भी खड़े किए थे।

 

ओस की वजह से पिंक गेंद का खराब होना

भारतीय सरजमीं पर ओस का पड़ना हमेशा से क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए परेशानी का विषय रहा है। इसकी वजह से ज्यादातर बार दूसरी गेंदबाजी करने वाली टीम को भुगतना पड़ता है। गेंद सॉफ्ट होती जाती है और गेंदबाजों के लिए इसे संभालना मुश्किल होता है। पिंक गेंद ओस में और ज्यादा खराब हो जाती है। भारतीय क्रिकेटर दिनेश कार्तिक ने कहा है कि पिंक गेंद को रात में ओस के समय संभालना काफी मुश्किल हो जाता है। वहीं इंडिया ब्लू के कोच आशीष कपूर मानते है कि रात के समय ओस में पिंक गेंद एक साबुन की टिकिया की तरह हो जाती है----

 

गेंद से रिवर्स स्विंग और टर्न नहीं मिलना

पिंक गेंद जब नई होती है तो इससे स्विंग मिलता हैलेकिन जैसे-जैसे गेम आगे बढ़ता है यह सॉफ्ट होती जाती हैयह रेड गेंद की तरह बाद में रिवर्स स्विंग भी नहीं होती है। वहीं इससे टर्न भी नहीं मिल पाता भारतीय चाइनामैन गेंदबाज कुलदीप यादव ने भी पिंक गेंद के टर्न नहीं होने की पहले शिकायत की है। अगर ये गेंद टर्न औऱ रिवर्स स्विंग नहीं होगी तो भारतीय उपमहाद्दीप वाला टेस्ट क्रिकेट के अंदाज धीरे-धीरे खत्म होता जाएगा।


गेंद के शेप का बदल जाना

भारतीय क्रिकेटर चेतेश्ववर पुजारा और डोमेस्टिक क्रिकेट में लगातार धमाल मचाने वाले प्रियंक पांचाल ने इस गेंद के शेप को कर शिकायत की है। उनके मुताबिक फ्लड लाइट में ये गेंद अलग तरह का बिहेव करती है। यह गेंद अपना शेप बदलती है और साथ ही रंग छोड़ती है। जिससे गेंद का सामना करना थोड़ा मुश्किल होता है।

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इसके अलावा चेतेश्वर पुजारा का कहना है कि इस गेंद की ग्रिप को पकड़ पाना काफी मुश्किल है। स्पिनर्स की ग्रिप समझ नहीं आती है जिससे परेशानी बढ़ जाती है। 

 

साफ है पिंक गेंद को लेकर जहां क्रिकेट के कई दिग्गज मानते है कि यह टेस्ट क्रिकेट को फिर से जिंदा करेगा। वहीं कई खिलाड़ियों की तरफ से इसमे कुछ परेशानी भी देखने को मिलती है। उम्मीद है पिंक गेंद में आने वाली समस्या को सॉल्व किया जाएगा औऱ टेस्ट क्रिकेट का रोमांच और ज्यादा बढ़ेगा।

 

- दीपक कुमार मिश्रा

 

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