By अनुराग गुप्ता | Apr 08, 2021
कोलकाता। जैसे-जैसे 2 मई की तारीख करीब आती जा रही है ठीक वैसे ही राजनेताओं की जुबान बदल रही है। पश्चिम बंगाल कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने चुनाव पूर्व तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि अगर ममता दीदी गठबंधन करना चाहती हैं तो उन्हें अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कराना होगा लेकिन अब अधीर रंजन चौधरी के सुर बदले हुए नजर आ रहे हैं।
दरअसल, अधीर रंजन चौधरी ने इस सवाल पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया कि चुनाव परिणाम घोषित हो जाने के बाद कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच गठबंधन के विकल्प वाला दरवाजा खुला है या बंद। बंगाल में अकेले मोर्चा संभाले अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि चुनाव परिणामों के बाद लेफ्ट फ्रंट, इंडियन सेक्युलर फ्रंट और तृणमूल कांग्रेस के साथ कांग्रेस के गठबंधन की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है।
राजनीति संभावनाओं की कला है
कांग्रेस नेता से जब सवाल किया गया कि अगर ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस बहुमत से पीछे रह जाती है तो क्या उनकी पार्टी 'दीदी' को सरकार बनाने में मदद करेगी। इस पर अधीर रंजन ने बिस्मार्क का हवाला देते हुए कहा कि 'राजनीति संभावनाओं की कला है'।
अंग्रेजी समाचार पत्र 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस नेता अधीर रंजन ने कहा कि यह एक काल्पनिक सवाल है। संयुक्त मोर्चा का लक्ष्य तो अपने दम पर सरकार बनाने का है। मुझे अब पता नहीं है कि मतदान के बाद संयुक्त मोर्चा का समर्थन कौन करेगा। हम नहीं जानते हैं कि ममता अगर हार गईं तो कहां जाएंगी।
कांग्रेस को करना चाहिए समर्थन !
मालदा (दक्षिण) से कांग्रेस सांसद एबीए गनी खान चौधरी के भाई एएच खान चौधरी ने पहले ही कांग्रेस को तृणमूल को समर्थन देने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि अगर तृणमूल 294 सीटों वाली विधानसभा में आधे अंक तक नहीं पहुंच पाती है तो कांग्रेस को उनका समर्थन करना चाहिए। प्रदेश कांग्रेस के एक वर्ग ने चौधरी की टिप्पणी का उद्देश्य उत्तर और मध्य बंगाल में पार्टी के अल्पसंख्यक वोट को साधना हो सकता है। इसके अलावा वह संभवत: यह संदेश दे रहे हों कि कांग्रेस बंगाल में भाजपा को पद से हटाने के लिए हर संभव कोशिश करेगी।