By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 22, 2021
कोरोना वायरस ने दुनियाभर में 3 मिलियन लोगों की जान ले ली लेकिन अभी तक इस वायरस के स्रोत का नहीं मिला। कोरोना वायरस के चीन के वुहान की एक लैब से निकलने की खबरों का एक समय में खंडन किया गया था लेकिन इन खबरों को हाल के महीनों में एक बार फिर बल मिला है। अब सवाल है कि ऐसा कैसे और क्यों हुआ? दरअसल चीन की लैब-लीक थ्योरी को अमेरिकी मीडिया ने हाल ही में एक बार फिर से उभारी है। अब वही वैज्ञानिक इस थ्योरी पर खुलकर बोलने लगे हैं जो पहले इस थ्योरी को उतना पुख्ता नहीं मान रहे थे। अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट की मानें तो 2019 में वुहान की लैब में काम करने वाले 3 शोधकर्ताओं को अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था और ये मामला वुहान में लोगों में संक्रमण फैलने से ठीक पहले का है।
ट्रंप ने दिए थे लैब-लीक थ्योरी की जांच के निर्देश
अमेरिकी रिपोर्ट्स की मानें तो पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्देश पर अमेरिका के विदेशी विभाग लैब लीक थ्योरी की जांच शुरु की थी लेकिन नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसे बंद करा दिया था। ट्रंप के चीफ मेडिकल एडवाइजर एंथनी फाउची ने 11 मई को अमेरिकी सीनेट के सामने कहा था कि वायरस के लैब से लीक होने की आशंका हो सकती है लेकिन पूरी तरह से पता नहीं लगा पा रहा कि क्या सचमुच ऐसा हुआ होगा? वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन कह रहे हैं कि उन्होंने पद संभालते ही रिपोर्ट मांगी थी कि पहली बार ये वायरस कहां से फैला। इस जांच में ये भी पता लगाने को कहा गया था कि ये वायरस इंसानी संक्रमण से फैला या संक्रमित जानवरों से या फिर किसी लैब से लीक हो गया। ट्रंप ने इसको लेकर अमेरिका के एक स्थानीय अखबरा को मेल लिखकर इसका श्रेय भी मांगा।
लैक-लीक थ्योरी पर क्या कहते हैं वैज्ञानिक?
अब सवाल है कि आखिरकार वैज्ञानिक इसपर क्या कहते हैं? लैब लीक थ्योरी को लेकर वैज्ञानिकों के बीच इसे लेकर बहस छिड़ी हुई है। डब्ल्यूएचओ की जांच को इस थ्योरी के रहस्य का खुलासा करना था लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ये जांच जवाब से ज्यादा सवाल पैदा करती है। इसकी जांच के लिए डब्लूयएचओ की एक टीम वुहान भी पहुंची थी कि क्या वायरस यहीं से फैला? 12 दिन वहां रहने और लैब का दौरा करने के बाद वैज्ञानिकों ने कहा कि लैब लीक थ्योरी के सच होने की संभावना कम है। टीम के निष्कर्षों पर सवाल उठाते हुए वैज्ञानिकों के एक विशेष दल ने इस थ्योरी को गंभीरता से ना लेने के लिए डब्ल्यूएचओ की इस टीम की आलोचना की। स्वास्थ्य संगठन की कई सौ पन्नों की रिपोर्ट में इस लीक थ्योरी को खारिज कर दिया गया है।
क्या है लैब लीक थ्योरी?
अब चलिए जानते हैं कि आखिरकार इस थ्योरी पर चीन का क्या कहना है? लैब लीक थ्योरी से जुड़े बयानों पर पलटवार करते हुए चीन ने कहा कि उसे बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। चीन का कहना है कि वायरस किसी दूसरे देश से भोजन लाने वाले जहाज से फैला होगा। वहीं चीन ने इस थ्योरी को गलत साबित करने के लिए सुदूर खदानों से चमगादड़ों से इकट्ठा किये गए सैंपलों पर हुई रिसर्च की ओर ध्यान दिलाया है। यह रिसर्च चीन के एक प्रमुख वायरोलॉजिस्ट ने की है। कोरोना वायरस की शुरुआत के बाद से ही ये आशंका जताई जा रही है कि यह मध्य चीन के शहर वुहान की एक लैब से दुर्घटनावश निकल गया होगा। वुहान में ही सबसे पहले इस वायरस की पुष्टि हुई थी।इस लीक थ्योरी के समर्थकों का मानना है कि चीन में एक बड़ा जैविक रिसर्च केंद्र है। वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी नाम की इस लैब में चमगादड़ में कोरोना वायरस की मौजूदगी पर दशकों से शोध चल रहा है। वुहान की यह प्रयोगशाला हुआनन 'वेट' मार्कट से बस चंद किलोमीटर दूर है। इसी वेट मार्केट से पहली बार संक्रमण का पहला मामला सामने आया था।