By अभिनय आकाश | Jun 10, 2022
भारत में संचार क्रांति का जनक भले ही राजीव गांधी और उनके सिपहसलार सैम पित्रोदा को माना जाता है। राजीव गांधी के दिमाग में भारत को सूचना प्रोद्योगिकी, इंटरनेट की दुनिया से जोड़ने का जुनून सवार था। राजीव गांधी ने देश में कंप्यूटर और संचार साधनों की नींव रखी। लेकिन वाजपेयी सरकार ने इसमें एक नया आयाम जोड़ते हुए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 भारत की संसद द्वारा 9 जून 2000 को लागू किया गया था और यह 17 अक्टूबर 2000 से लागू है। इस बिल को उस समय के सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री प्रमोद महाजन ने संसद में पेश किया था।
क्या है ये कानून
आईटी एक्ट 2000 का पूरा नाम इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 है। इसे आईटीए-2000 या आईटी एक्ट के नाम से भी जाना जाता है। हिंदी में इसे सूचना प्रोद्योगिकी अधिनियम के नाम से जाना जाता है। इस अधिनियम को भारतीय संसद द्वारा 17 अक्टूबर 2000 को अधिसूचित किया गया था। आईटी एक्ट 2000 भारत देश में साइबर क्राइम और इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स से निपटने वाला सबसे प्राथमिक कानून है। इस बिल को 2000 के बजट सत्र के दौरान तत्कालीन सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री प्रमोद महाजन की अध्यक्षता में अधिकारियों के समूह द्वारा पारित किया गया था। 9 मई 2000 को तब के राष्ट्रपति केआर नारायणन द्वारा इस पर हस्ताक्षर किए गए थे।
अब क्यों बदलाव की उठी मांग?
टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा है कि डिजिटल इंडिया कानून ‘आवश्यक’ है। उन्होंने समूह की दुधारू गाय कही जाने वाली टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) की सालाना आमसभा को वर्चुअल तरीके से संबोधित करते हुए कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी कानून दो दशक पुराना हो चुका है और इस दौरान प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में व्यापक बदलाव हुआ है। ऐसे में नया डिजिटल इंडिया कानून आज जरूरी है। चंद्रशेखरन ने इस कानून को लिखने में सरकार के भागीदारी वाले रुख की भी सराहना की। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि डिजिटल इंडिया कानून जरूरी है क्योंकि पिछले कुछ दशक में काफी बदलाव हुए हैं।’’
आईटी एक्ट 2000
आईटी एक्ट के मूल अधिनियम में 13 अध्यायों में विभाजित किया गया था। इस कानून को पूरे भारत में लागू किया गया। अगर किसी दूसरे देश के नागरिक ने भारत के किसी कंप्यूटर या नेटवर्क के साथ कोई अपराध किया तो उस देश के नागरिकों पर भी इस कानून को लागू किया जा सकता है। आईटी एक्ट के अंतर्गत भारत में किए गए कुछ बड़े बदलाव ये हैं-
इस अधिनियम के तहत ई गवर्नेंस की नींव रखी गई थी। सरकारी सेवाओं को पहुंचाने में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करके लिए कानूनी ढांचा प्रदान किया गया था।
कानून के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किए गए सभी वित्तीय लेन देन को कानूनी मान्यता प्रदान किया गया।
डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक डाटा एवं डॉक्यूमेंट को सभी सरकारी विभाग तथा न्यायालय की कार्यवाही में कानूनी मान्यता प्रदान की गई।
विभिन्न प्रकार के सरकारी और गैर सरकारी संगठनों द्वारा कई प्रकार से उपभोक्ता की डाटा को संग्रहित करके रखने का प्रावधान किया गया।
इसी कानून के अंतर्रगत इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड और डिजिटल हस्ताक्षर को मान्यता दी गई।
-अभिनय आकाश