By अभिनय आकाश | Mar 13, 2024
राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के महाराष्ट्र आते ही कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। पूर्व मंत्री पद्माकर वलवी ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामा, क्या इसके बाद कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगेगा? ऐसी चर्चाएं तब शुरू हो गई हैं जब संजय निरुपम ने अशोक चव्हाण से मुलाकात की है। उद्धव ठाकरे द्वारा अमोल कीर्तिकर को मुंबई उत्तर-पश्चिम लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार घोषित करने के बाद संजय निरुपम नाराज हैं। संजय निरुपम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी नाराजगी जाहिर की है। लेकिन अब खबर है कि संजय निरुपम ने अपने पुराने सहयोगी और बीजेपी सांसद अशोक चव्हाण से मुलाकात की है। इस दौरे से राजनीतिक गलियारों में चर्चा छिड़ गई है।
मुलाकात पर अशोक चव्हाण ने क्या कहा
संजय निरुपम ने मंगलवार रात अशोक चव्हाण से उनके आवास पर मुलाकात की है। हालाँकि बातचीत का विवरण अभी भी गुप्त है, अगर संजय निरुपम ने कोई अलग निर्णय लिया, तो महाविकास अघाड़ी को नुकसान हो सकता है। इस बीच बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर कोई विकास के लिए आ रहा है तो उनका स्वागत है। इस बीच अशोक चव्हाण ने संजय निरुपम के दौरे पर प्रतिक्रिया दी है। संजय निरुपम मेरे पुराने मित्र हैं, उनकी और मेरी मुलाकात कभी-कभी होती है। जनमत के मुताबिक लोगों का मूड बीजेपी के साथ है। कांग्रेस में अब भी व्यक्तिगत रिश्ते हैं। चव्हाण ने कहा कि पुराने नेता मिलते रहते हैं और जो आना चाहते हैं उनका स्वागत करते हैं। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे तस्वीर साफ होती जाएगी। अशोक चव्हाण ने संकेतात्मक बयान दिया है कि कई जिलों में सुगबुगाहट चल रही है, इसलिए बहुत सारे लोग हमारे पास आएंगे।
क्यों नाराज हुए संजय निरुपम
उद्धव ठाकरे द्वारा अमोल कीर्तिकर की उम्मीदवारी की घोषणा के बाद संजय निरुपम ने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की। संजय निरुपम ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर उद्धव ठाकरे की शिवसेना से नाराजगी जताई। शिवसेना ने अंधेरी से उत्तर पश्चिम लोकसभा के लिए महा विकास अघाड़ी के उम्मीदवार की घोषणा की है। महाविकास अघाड़ी की दो दर्जन बैठकों के बाद भी सीट बंटवारे के फॉर्मूले पर कोई अंतिम फैसला नहीं हो सका है। निरुपम ने कहा कि सीट आवंटन बैठकों में भाग लेने वाले मेरे कांग्रेस सहयोगियों ने मुझे बताया कि यह सीट उन 8-9 सीटों में से है, जिन पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। फिर भी अगर शिवसेना उम्मीदवार घोषित कर रही है तो क्या यह गठबंधन धर्म का उल्लंघन नहीं है?