By दीपक कुमार मिश्रा | Aug 25, 2019
वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट मैच के साथ ही टीम इंडिया ने अपने टेस्ट चैंपियनशिप का आगाज भी कर दिया है। इस मैच में विंडीज टीम ने टॉस जीता और भारतीय टीम को बल्लेबाजी का न्यौता दिया। भारतीय टीम का टॉप आर्डर जरूर लड़खड़ाया लेकिन आखिरकार मिडिल आर्डर के बल्लेबाजों के उपयोगी पारियों के कारण इसे संभाल लिया गया। लेकिन एक सवाल जो हर भारतीय क्रिकेट प्रेमी के मन में था कि क्या रोहित को टीम में मौका मिलेगा। प्लेइंग इलेवन देखकर सबको निराशा ही हुई। रोहित शर्मा को टीम में शामिल नहीं किया गया था। उनकी जगह युवा हनुमा विहारी को तरजीह दी गई थी। माना हनुमा एक उभरते युवा बल्लेबाज है। उनकी तकनीक शानदार है और उनका टेंपरामेंट भी जानदार है। लेकिन वनडे क्रिकेट के बॉस रोहित शर्मा टीम इंडिया के लिए नंबर 6 के पहले हकदार थे। वो भी तब जब वेस्टइंडीज के खिलाफ खेले गए अभ्यास मैच में रोहित शर्मा ने शानदार 68 रन बनाए थे। इसके अलावा वर्ल्ड कप में जिस फार्म में रोहित थे उसके हिसाब से उन्हें मौका मिलना तो बनता था। रोहित को टीम में नहीं चुने जाने से अब यह सवाल उठता है कि क्या भारतीय टेस्ट टीम में वनडे वाला सरताज नहीं चाहिए। क्या सफेद जर्सी में मैदान पर हिटमैन जैसे बल्लेबाजी की विराट को जरूरत नहीं है। क्या रोहित लाल गेंद की क्रिकेट के लिए परफेक्ट नहीं है। आखिर क्यों वेस्टइंडीज के खिलाफ प्लेइंग इलेवन में रोहित शर्मा को मौका नहीं दिया गया।
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रोहित को टीम में शामिल नहीं किया जाना समझ से परे था। पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने भी इस पर जमकर नाराजगी जाहिर की। गावस्कर ने तो यहां तक कह दिया कि जब अगर आपको रोहित को खिलाना ही नहीं है तो उनको टीम में क्यों रखा हुआ है। इसके अलावा वीरेंद्र सहवाग ने रोहित को टीम में शामिल नहीं करने पर सहवाग ने भी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि रोहित का रिकॉर्ड इतना खराब नहीं है। उसने शुरुआत अच्छी की थी, उसने कितने टेस्ट मैच खेले हैं अभी तक। अगर उसे लगातार टेस्ट खेलने का मौका मिला होता तो उसने बेहतर प्रदर्शन किया होता। ये मौके का खेल है आपको मौके पर चौका मारना होगा।
साफ है रोहित ने टेस्ट क्रिकेट में 2013 में डेब्यू किया था। इस दौरान वह वनडे में दुनिया के सबसे बड़े बल्लेबाज बनकर उभरे। लेकिन टेस्ट में वो लगातार अपनी जगह बनाने के लिए जूझते रहे। रोहित को कई मौके तो मिले लेकिन वो उन्हें सही से भुना नहीं पाएं। लेकिन बीते 2 सालों में रोहित ने टेस्ट क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन किया है। रोहित ने अपने टेस्ट कॅरियर में अभी तक 27 टेस्ट मैच की 47 पारियों में 39.63 की औसत से 1585 रन ठोके है... इस दौरान उनके नाम 3 शतक और 10 अर्धशतक है। लेकिन पिछले 3 सालों में रोहित ने टेस्ट क्रिकेट में मौका मिलने पर अच्छा प्रदर्शन करके दिखाया है। रोहित ने पिछले 3 साल में 11 मैचों की 18 पारियों में 689 रन बनाएं है.. इस दौरान उन्होंने 6 अर्धशतक और 1 शतक भी जड़ा है। इस साल के शुरूआत में ऑस्ट्रेलिया दौरे में भी रोहित ने मौका मिलने पर अच्छा प्रदर्शन किया। रोहित जैसे तकनीकी रूप से मजबूत बल्लेबाज को टेस्ट क्रिकेट में अगर लगातार मौका मिलता है तो वह अपने प्रदर्शन में और ज्यादा सुधार कर सकता है जो भारतीय टीम के लिए फायदेमंद रहेगा। इसके अलावा अभी वह टेस्ट क्रिकेट में नंबर 6 पर खेलने के लिए दावेदारी पेश करते है। लेकिन अगर उन्हें ऊपरी क्रम में मौका दिया जाए तो वह सारा गेम बदल सकते है। सभी ने देखा है कि किस तरह अपने कॅरियर के शुरूआती दौर में रोहित शर्मा वनडे और टी-20 टीम में जगह बनाने के लिए चूंकते थे। लेकिन धोनी की कप्तानी में चैंपियंस ट्रॉफी 2013 से ओपनिंग करने के बाद रोहित शर्मा की पूरी किस्मत ही बदल गई। इस समय वह भारत के लिए वनडे क्रिकेट में सबसे सफल बल्लेबाजों में से एक है। वह वनडे क्रिकेट में 27 शतक लगा चुके है। इसके साथ ही वह विश्व क्रिकेट में वनडे में 3 दोहरे शतक जड़ने वाले इकलौते बल्लेबाज है।
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जाहिर है रोहित जैसे बल्लेबाज को टेस्ट क्रिकेट में मौका दिए जाने की जरूरत है। इसके लिए कप्तान कोहली को उन्हें ज्यादा लगातार टीम में जगह देनी होगी। क्योंकि रोहित जैसा बल्लेबाज क्या कर सकता है वो हम वनडे में देख चुके है। और अगर टेस्ट में उनके पैर जमें तो रोहित भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट में नए आयाम रचने की पूरी काबिलियत रखते है।
- दीपक कुमार मिश्रा