By अंकित सिंह | Aug 05, 2023
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को एक आश्चर्यजनक कदम उठाया, जब उन्होंने अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक को आगे बढ़ाते हुए अपने संक्षिप्त भाषण के लिए आगे की पंक्ति में निर्दिष्ट सीट के बजाय पीछे की सीटों में से एक को चुना। इसके बाद हर किसी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर राजनाथ ने अपने सीट से बिल पेश क्यों नहीं किया। सूत्रों ने कहा कि रक्षा मंत्री ने एक विधेयक के बारे में बोलते समय विपक्षी दलों के वेल में आने, नारे लगाने और तख्तियां लहराने के आचरण के खिलाफ अपने विरोध को चिह्नित करने के लिए "राजनीतिक सत्याग्रह" के रूप में पीछे की सीट ली, जो एक दुर्लभतम घटना है।
सिंह की निर्धारित सीट प्रधानमंत्री की दाहिनी ओर के बगल में है, लेकिन वह अपना भाषण देने के लिए दूसरी अंतिम पंक्ति में चले गए। जब विपक्षी सांसद नारे लगा रहे थे और तख्तियां दिखा रहे थे, तब सिंह ने पीछे की सीटों में से एक सीट से बोलने के लिए सभापति से अनुमति ली। सत्र की अध्यक्षता भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल कर रहे थे और उन्होंने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि यह विडंबना है कि एक वरिष्ठ मंत्री को एक महत्वपूर्ण विधेयक पर बोलने से मना कर पिछली सीट पर जाना पड़ा। जब सिंह पिछली सीट पर गए, तो विपक्षी भी हैरान रह गए और सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को विरोध करने वाले सांसदों से अपनी-अपनी सीटों पर लौटने और मंत्री को अपना भाषण पूरा करने देने का आग्रह करते देखा गया।
हालांकि, विरोध कर रहे सांसदों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया और विरोध जारी रखा। एक संसदीय पैनल ने हाल ही में सिफारिश की थी कि विधेयक को बिना किसी संशोधन के पारित किया जाए। रक्षा मंत्री के एक करीबी पदाधिकारी ने कहा ने कहा कि रक्षा मंत्री ने अपने भाषण में सदन को सूचित किया कि संसदीय पैनल द्वारा पारित विधेयक में कोई संशोधन नहीं है और उम्मीद है कि सदस्य मर्यादा बनाए रखेंगे क्योंकि विधेयक रक्षा कर्मियों से संबंधित था। चूंकि विपक्षी सांसदों ने विरोध जारी रखा, इसलिए सिंह ने अपने संक्षिप्त भाषण के लिए पीछे की सीट चुनी। सूत्रों ने कहा कि मंत्री इस बात से भी नाखुश थे कि जब लोकसभा ने गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया तो विपक्षी सांसदों ने चर्चा में भाग लेने के बावजूद व्यवधान का सहारा लिया।