By अभिनय आकाश | Jan 27, 2020
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ लखनऊ समेत कई इलाकों को हिंसा की आग में झोंकने के मामले में विवादित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई)का हाथ होने के सबूत मिले हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पीएफआई की जांच में बड़ा खुलासा किया है। ईडी की जांच में पाया गया है कि पीएफआई के बैंक खातों में जमा करोड़ों रुपये नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हिंसा भड़काने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं। ईडी को 73 बैंक अकाउंट का पता चला है इनमें से 27 पीएफआई के हैं। नौ बैंक खाते उसकी संबंधित इकाई रिहैब फाउंडेशन एनटीआरआईएफ के हैं। इसके अलावा 17 अलग-अलग बैंकों में पीएफआई से संबंधित व्यक्तियों या इकाइयों के साथ खाते हैं। इन बैंक खातों में दर्ज किए गए लेन-देन की जांच से पता चला है कि इन बैंक खातों में 120.5 करोड़ रुपये जमा किए गए।
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बता दें कि कई मीडिया रिपोर्ट्स में गृह मंत्रालय की रिपोर्ट का जिक्र कर दावा किया गया है कि पीएफआई के 73 बैंक खातों से 120 करोड़ का लेन- देन का इस्तेमाल सीएए विरोध-प्रदर्शन के लिए हुआ है। इस लेन- देन में सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील इंदिरा जय सिंह के साथ- साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का नाम भी शामिल हैं। वहीं कांग्रेस के सीनियर लीडर और सुप्रीम कोर्ट के वकील कपिल सिब्बल ने एंटी सीएए प्रोटेस्ट के लिए पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया से पैसे लेने के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि आरोपों में सच्चाई नहीं है और यह उन्हें बदनाम करने की साजिश है। साथ ही सिब्बल ने समाचार समूहों पर उनके नाम से खबर चलाने को लेकर कानूनी कार्रवाई की धमकी भी दी है।
दूसरी तरफ देश में सीएए विरोधी प्रदर्शनों को भड़काने संबंधी खबरों पर पॉपुलर र फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई) के महासचिव मोहम्मद अली जिन्ना ने कहा है कि हम सीएए विरोधी प्रदर्शनों और पीएफआई के वित्तरीय गठजोड़ वाली खबरों की निंदा करते हैं।