By डॉ. आशीष वशिष्ठ | Feb 05, 2024
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के समन को पांच बार अस्वीकार कर चुके हैं। यह संविधान को अस्वीकार करना और उसका उल्लंघन करना ही है। ईडी दिल्ली ‘शराब घोटाले के बारे में केजरीवाल से पूछताछ करना चाहती है। लेकिन स्वयं को कट्टर ईमानदारी का प्रमाण पत्र देने वाले कट्टर ईमानदार केजरीवाल जांच का सामना करने की बजाय राजनीतिक प्रपंच कर रहे हैं। केजरीवाल सरकार पर औषधि से लेकर मदिरा तक, शिक्षा से लेकर कक्षा तक और मोहल्ला क्लीनिक के लैब टेस्ट तक में भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर जब शराब घोटाले के आरोप लगे थे, तब आम आदमी पार्टी ने ईडी की कार्रवाई का समर्थन किया था। मगर केजरीवाल स्वयं ईडी के नोटिस को अस्वीकार कर रहे हैं।
17 नवंबर 2021 को दिल्ली सरकार ने राज्य में नई शराब नीति लागू की। विपक्ष का आरोप है कि नई शराब नीति से जनता और सरकार दोनों को नुकसान हुआ। प्रश्न यह है कि, अगर शराब घोटाले में केजरीवाल का हाथ नहीं है, तो वह क्यों जांच में शामिल होने से घबरा रहे हैं? अगर शराब घोटाला हुआ ही नहीं, तो पॉलिसी में बदलाव क्यों किया और नई नीति क्यों लाई गई? केजरीवाल तो कई बार कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री मोदी उनसे डरते हैं, लिहाजा चुनावों में निष्क्रिय करने के मद्देनजर ईडी जांच और जेल के जाल बिछाए जा रहे हैं।
केजरीवाल शराब घोटाले को लेकर स्वयं को निर्दोष मानते हैं, इसलिए घोटालों के आरोपों का स्पष्टीकरण नहीं दे रहे हैं। केजरीवाल के उपमुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया बीते 11 माह से, शराब घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोपों के कारण, कारागार में हैं। उनकी जमानत के तर्क सर्वोच्च न्यायालय तक अस्वीकार कर चुका है। केजरीवाल की पार्टी के ही राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी घोटालों के आरोपों और साक्ष्यों के मद्देनजर कारागार में बंद हैं। यदि इतने महत्त्वपूर्ण साथी कारागार में हैं, तो क्या उन्होंने ‘शराब नीति’ का निर्णय स्वयं ही लिया था?
प्रश्न यह भी है कि कैबिनेट की बैठकों की अध्यक्षता किसने की थी? कारागार वाले साथियों ने शराब माफिया के कुछ चेहरों को, जो कारागार में बंद हैं, मुख्यमंत्री केजरीवाल के आवास पर उनसे मिलवाया था, तो उसके प्रयोजन क्या थे? जिस मनी ट्रेल की ओर सर्वोच्च न्यायालय ने भी संकेत किए हैं, क्या मुख्यमंत्री और ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक के तौर पर केजरीवाल उसमें संलिप्त नहीं थे? आम आदमी पार्टी ये दावा कर रही है कि जो शराब नीति उसने बनाई थी वही हरियाणा में भी चल रही है। लेकिन मोदी सरकार उसे निशाना बना रही है। अगर ऐसा है तो आम आदमी इसका पर्दाफाश क्यों नहीं करती। सिर्फ ये कहने से काम नहीं चलेगा कि मोदी सरकार केजरीवाल सरकार को निशाना बना रही है।
क्या बीजेपी आम आदमी पार्टी को इसलिए टारगेट कर रही है कि ये मोदी सरकार के ख़िलाफ़ बहुत ज्यादा मुखर है और बड़े ही आक्रामक अंदाज में मोदी और अमित शाह जैसे बड़े नेताओं पर आरोप लगाती है? आम आदमी पार्टी सभी को भ्रष्ट बताती रही है। इनमें राहुल गांधी, शीला दीक्षित, सोनिया गांधी, अदानी और अंबानी सभी शामिल हैं। लेकिन इनके खि़लाफ़ उसके पास सुबूत कभी नहीं रहे। अब वही आम आदमी पार्टी कह रही है कि बगैर सुबूत के उसके नेताओं को जेल में भरा जा रहा है। लेकिन ये भी सही है कि अगर इन नेताओं के ख़िलाफ़ सुबूत नहीं थे तो अदालतों में ये केस इतने दिनों तक कैसे टिकते?
शराब घोटाले में सीबीआई और ईडी अब तक 15 से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी हैं। इसमें संजय सिंह, मनीष सिसोदिया, विजय नायर, समीर महेंद्रू, अरुण रामचंद्रन, राजेश जोशी, गोरन्तला बुचिबाबू, अमित अरोड़ा, फ्रांसीसी शराब कंपनी के महाप्रबंधक बेनॉय बाबू, पी सरथ चंद्र रेड्डी, अरबिंदो फार्मा के पूर्णकालिक निदेशक और प्रमोटर, व्यवसायी अमनदीप धाल और व्यवसायी अभिषेक बोइनपल्ली शामिल हैं। इस मामले में एजेंसियां 80 से अधिक लोगों से पूछताछ कर चुकी हैं। इनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और भारत राष्ट्र समिति यानी बीआरएस नेता के. कविता भी शामिल हैं। कविता तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी हैं। केजरीवाल से सीबीआई ने पूछताछ की थी। केजरीवाल ने संविधान की शपथ लेकर पद ग्रहण किया है और ईडी भी संवैधानिक जांच एजेंसी है। विपक्षी होने के मद्देनजर केजरीवाल ईडी के समन को ‘राजनीतिक’ करार दे रहे हैं और दिल्ली सरकार को अस्थिर करने की साजिश का आरोप भाजपा पर मढ़ रहे हैं।
अरविंद केजरीवाल और उनके साथी देश भर में घूम-घूमकर अपनी ईमानदारी और दिल्ली मॉडल का प्रचार करते हैं। केजरीवाल स्वयं को और अपने साथियों को ‘कट्टर ईमानादारी’ का प्रमाण पत्र बांटते हैं। देश के प्रधानमंत्री से लेकर अन्य राजनीतिक दलों और संस्थाओं पर वो दिनदहाड़े आरोप लगाते हैं और प्रायः उनके अधिसंख्य आरोप निराधार और तथ्यहीन ही साबित हुए। कई मामलों में उन्होंने बिना शर्त के माफी भी मांगी। बावजूद इसके केजरीवाल और उनके साथी निर्लज्जता की चादर ओढ़कर अपने कुकृत्यों में लिप्त हैं। आम आदमी पार्टी की असलियत धीरे-धीरे खुलकर सामने आ रही है।
बीते दिनों अरविंद केजरीवाल के साथ दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने भारतीय जनता पार्टी पर आम आदमी पार्टी के विधायकों को 25 करोड़ का लालच देकर सरकार गिराने का आरोप लगाया है। भाजपा ने इन आरोपों की जांच के लिए दिल्ली पुलिस को शिकायत दी है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने केजरीवाल और आतिशी को नोटिस भेजकर बीजेपी पर लगाए गए आरोपों के साक्ष्यों की मांग की है। देखा जाये तो मिथ्या आरोप लगाना अरविंद केजरीवाल व आम आदमी पार्टी का चरित्र बन गया है। वह पूर्व में भी कई लोगों से मिथ्या आरोप लगाने के मामले में क्षमा मांग चुके हैं। ताजा घटनाक्रम में भी वह माफी मांगते दिख सकते हैं।
ईडी के समन को लगातार अस्वीकार करके केजरीवाल निर्दोष सिद्ध नहीं होंगे। उन पर प्रश्न और आरोप लटके रहेंगे। पिछले दिनों ईडी ने भ्रष्टाचार के मामलों में झारखंड के मुख्यमंत्री रहे हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया है। सोरेन भी ईडी के समन को लगातार अस्वीकार कर रहे थे। केजरीवाल भी सोरेन की तरह व्यवहार और चालबाजियां कर रहे हैं। लेकिन वो ये भली भांति समझ लें, उनका भी हश्र सोरेन जैसा ही होगा। ईडी ने न्यायालय के द्वार पर दस्तक दी है। जांच एजेंसी को मनी लॉन्ड्रिंग कानून की धारा 45 के तहत केजरीवाल के लिए गैर जमानती वारंट जारी करने का भी अधिकार है, अतः बार-बार समन की अवहेलना करने पर गिरफ्तारी का भी प्रावधान है। क्या केजरीवाल जेल जाने का संकट महसूस कर रहे हैं, इसलिए समन की मंशा पर प्रश्न कर, उन्हें अस्वीकार कर, ईडी के सामने पेश नहीं हो रहे हैं? चूंकि केजरीवाल बार-बार प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के समन को ठुकरा रहे हैं, लिहाजा अंतिम परिणति जेल ही हो सकती है।
बीती 4 जनवरी को अरविंद केजरीवाल ने ईडी के समन के पीछे भाजपा के षड्यंत्र पर बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि, ‘‘मेरी सबसे बड़ी संपत्ति और ताकत मेरी ईमानदारी है। ये लोग झूठे आरोप लगाकर और फर्जी समन भेजकर मुझे बदनाम और मेरी ईमानदारी पर चोट करना चाहते हैं।’’ 16 अप्रैल 2023 को एक प्रेस कांफ्रेंस में अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि, ‘मोदीजी अगर मैं बेईमान हूं तो दुनिया में कोई ईमानदार नहीं है।’ स्वयं को कट्टर ईमानदार बताने वाले केजरीवाल अपनी ईमानदारी सिद्ध करनी की बजाय राजनीतिक पैंतरेबाजी, कानूनी चालबाजियों और आरोप प्रत्यारोप की राजनीति कर रहे हैं। उन्हें कानून का सम्मान करना चाहिए। देखा जाए तो, ईडी का समन केजरीवाल के पास वो सुनहरा अवसर है, जिसके माध्यम से वह देश के समक्ष अपनी कट्टर ईमानदारी को सिद्ध कर सकते हैं।
- डॉ. आशीष वशिष्ठ
(लेखक वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार हैं)