By नीरज कुमार दुबे | Jan 01, 2025
नये साल पर लोग अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिये नये संकल्प ले रहे हैं। सभी के संकल्प सिद्ध हों ऐसी हमारी शुभकामना है। लेकिन यहां यह समझना होगा कि हमारे निजी संकल्प तभी सिद्ध होंगे जब भारत का विकसित देश बनने का संकल्प सिद्ध होगा। लेकिन यह संकल्प सिद्ध होगा कैसे? विकसित भारत की परिकल्पना भले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है लेकिन इसके लिए प्रयास तो हर भारतीय को करना होगा। लेकिन हर भारतीय बढ़-चढ़कर प्रयास करे इसके लिए माहौल बनाने की जिम्मेदारी सरकार की है। सवाल उठता है कि सरकार क्या करे? जवाब यह है कि सरकार को मजहब के आधार पर बने नियम, कानून, बोर्ड, ट्रिब्यूनल, आयोग, मंत्रालय, स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, लोन, वजीफा और सरकारी योजनाओं को तत्काल बंद करना होगा तथा समान शिक्षा, समान नागरिक संहिता, समान धर्मस्थल संहिता, समान जनसंख्या संहिता, समान दंड संहिता, समान पुलिस संहिता, समान न्याय संहिता, समान प्रशासनिक संहिता, समान कर संहिता और Justice Within Year को तत्काल लागू करना होगा।
देखा जाये तो स्थिति वाकई चिंताजनक है इसलिए सरकार को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। क्या है इस समय देश की सामाजिक स्थिति और क्या कदम उठा कर हालात को संभाल सकती है सरकार, इस विषय पर उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात अश्विनी उपाध्याय ने कई बड़ी बातें कही हैं। उन्होंने कहा है कि जब-जब घटे, तब-तब कटे, जहां-जहां घटे, वहां-वहां कटे। उन्होंने कहा है कि लव जिहाद, लैंड जिहाद, ड्रग जिहाद, घुसपैठ जिहाद, धर्मांतरण जिहाद और जनसंख्या जिहाद के कारण भारत के 9 राज्यों, 200 जिलों और 1500 तहसीलों में बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक में परिवर्तित हो चुकी है। उन्होंने कहा कि एक बात अच्छी तरह समझ लीजिए कि आज के नेता 25 वर्ष बाद आपके परिवार को बचाने नहीं आएंगे बल्कि अपना परिवार लेकर ख़ुद ही भाग जायेंगे।
उन्होंने कहा कि यदि मजहब के आधार पर बने नियमों को रद्द नहीं किया गया तथा समान नागरिक संहिता को लागू नहीं किया गया तो 25 वर्ष बाद धर्मांतरण करना पड़ेगा अन्यथा राज कपूर, राजेंद्र कुमार, विनोद खन्ना, प्रेम चोपड़ा, यश चोपड़ा, रोशन साहब, शेखर कपूर, गुलजार, सुनील दत्त, लाला अमरनाथ, मिल्खा सिंह, खुशवंत सिंह, मनमोहन सिंह, इंद्र कुमार गुजराल, राम जेठमलानी और आडवाणी जी की तरह मकान-दुकान, खेत-खलिहान, उद्योग-व्यापार छोड़कर भागना पड़ेगा। उन्होंने साथ ही कहा कि प्रश्न यह भी है कि अफ़गानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश और मालदीव से भागकर तो लोग भारत आ गए लेकिन भारत से भागकर कहां जायेंगे?