सबसे पुरानी पार्टी की हालत चिंताजनक, आखिर क्यों अपनी समस्याओं का समाधान नहीं कर पा रही कांग्रेस?

By अंकित सिंह | Oct 02, 2021

वर्तमान में देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस संकट से जूझ रही है। कांग्रेस के भीतर विभिन्न राज्यों में मचे अंतर्कलह की वजह से वह लगातार चर्चाओं में है। प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में भी हमने इसी बात पर चर्चा की। इस कार्यक्रम में मौजूद रहे प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे। हमने नीरज कुमार दुबे से कांग्रेस की वर्तमान परिस्थितियों को लेकर सवाल किया। सवाल के जवाब में नीरज कुमार दुबे ने साफ तौर पर कहा कि जिस तरीके से पंजाब में समस्याओं को डील किया गया, उससे ऐसा लगता है कि पार्टी में परिपक्वता की कमी है। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी को इस तरह की समस्याओं को लेकर गंभीर होना पड़ेगा। सिद्धू के इस्तीफे पर भी उन्होंने कहा कि जिस तरीके से पंजाब में हाल के घटनाक्रम रहे उससे पार्टी पूरी तरह से कमजोर हो चुकी है। जो पार्टी कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में लगभग सभी नगर निगम के चुनाव में आज से 6 महीने पहले जीत हासिल की थीस वह अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले टूटती हुई नजर आ रही है।


जी-23 के नेताओं और कपिल सिब्बल को लेकर भी हमने सवाल किया। इसके जवाब में नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि जाहिर सी बात है कि कांग्रेस पार्टी को सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलानी चाहिए।  कांग्रेस की ओर से सीडब्ल्यूसी की बैठक नहीं बुलाई जाने का कारण कोरोना महामारी दिया जा रहा है लेकिन इस दौरान कई राज्यों में चुनाव हो गए और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उसमें प्रचार भी किया। फिर सीडब्ल्यूसी बैठक बुलाने में क्या दिक्कत है यह गांधी परिवार ही बता पाएगा? कपिल सिब्बल के घर पर हुए हमलों को लेकर भी उन्होंने कहा कि पार्टी को अपने कार्यकर्ताओं को समझाना होगा।

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इस सप्ताह कांग्रेस में जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार शामिल हुए। इसको लेकर जब हमने नीरज कुमार दुबे से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि कन्हैया पार्टी को कितना मजबूत कर पाएंगे यह तो वक्त बताएगा। लेकिन इतना तय है कि भाजपा को कांग्रेस पर आरोप लगाने का एक और बड़ा मौका मिल गया। भले राज्यों के चुनाव में बात विकास की होनी चाहिए। लेकिन भाजपा राष्ट्र विरोध की बात जरूर रखेगी और कांग्रेस पर हमला करेगी कि उसने कन्हैया कुमार जैसे लोगों को पार्टी में शामिल किया है। 


सिद्धू पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बने रह सकते हैं, पार्टी समन्वय समिति गठित करेगी

नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष पद पर बने रह सकते हैं और पार्टी एक समन्वय समिति का गठन कर सकती है जिसके साथ पंजाब सरकार द्वारा भविष्य में लिए जाने वाले बड़े फैसलों पर विचार-विमर्श किए जाने की संभावना है। कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा उठाए गए मुद्दों के समाधान को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और उनके बीच बृहस्पतिवार की शाम को दो घंटे तक चली बैठक के बाद इस नतीजे पर पहुंचा जा सका है। सूत्रों ने बताया कि इस समिति में मुख्यमंत्री, सिद्धू और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) का एक प्रतिनिधि शामिल हो सकता है। सूत्रों ने बताया कि एआईसीसी इस बाबत घोषणा कर सकती है। हालांकि, इस बारे में अब तक तस्वीर साफ नहीं हो सकी है कि डीजीपी और महाधिवक्ता की नियुक्ति को लेकर उभरे मतभेद से कैसे निपटा जाएगा? गौरतलब है कि ‘दागदार’ अधिकारियों और मंत्रियों की नियुक्ति पर मतभेद को लेकर मंगलवार को सिद्धू ने कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। सिद्धू ने बुधवार को एक वीडियो जारी कर सार्वजनिक तौर पर अपना गुस्सा जाहिर किया था। सूत्रों ने बताया कि चन्नी और सिद्धू के अलावा बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय पर्यवेक्षक हरीश रावत, मंत्री परगट सिंह और पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष कुलजीत नागरा भी मौजूद रहे। 


अमरिंदर सिंह की नयी राजनीतिक पारी

उधर, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने अपनी नयी राजनीतिक पारी शुरू करने का स्पष्ट संकेत देते हुए कहा कि वह अब कांग्रेस में नहीं रहेंगे और पार्टी से इस्तीफा दे देंगे क्योंकि ऐसे दल में वह नहीं रह सकते जहां उन्हें अपमानित किया जाए और उन पर विश्वास न किया जाए। साथ ही, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह भाजपा में शामिल नहीं होंगे। इस घोषणा के बाद पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने ट्विटर हैंडल के परिचय से कांग्रेस का उल्लेख भी हटा दिया। इस बीच, पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री के अधिकार को बार-बार कम करने के प्रयासों को अब खत्म किया जाना चाहिए। जाखड़ ने यह भी कहा कि राज्य के महाधिवक्ता और राज्य पुलिस प्रमुख के चयन पर लगाए जा रहे “आक्षेप” वास्तव में मुख्यमंत्री की “ईमानदारी पर सवाल” उठा रहे हैं। जाखड़ ने ट्वीट किया, “बहुत हो गया। मुख्यमंत्री के अधिकारों को बार-बार कमतर करने के प्रयासों को समाप्त करें। एजी और डीजीपी के चयन पर लगाए जा रहे आक्षेप मुख्यमंत्री और गृह मंत्री की ईमानदारी/ क्षमता पर सवाल उठाना है जिन्हें परिणाम देने के लिए लाया गया है। अब समय दृढ़तापूर्वक अपनी बात कहने और कठिन स्थिति को सुलझाने का है।


भाजपा ने पंजाब में ‘अव्यवस्था, अस्थिरता पैदा करने’ के लिए कांग्रेस पर साधा निशाना

भाजपा महासचिव तरुण चुघ ने  आसन्न विधानसभा चुनावों से पहले पंजाब में कथित तौर पर अव्यवस्था और अस्थितता पैदा करने के लिये कांग्रेस की आलोचना की। उन्होंने कहा कि पंजाब कांग्रेस में घिनौनी लड़ाई ने न केवल राज्य में शासन को पंगु बना दिया है, बल्कि इसने राष्ट्रीय सुरक्षा को जोखिम में भी डाल दिया है। चुघ ने एक बयान में कहा, “पंजाब की सीमा पर आईएसआई की योजना बहुत स्पष्ट है और गैर-जिम्मेदार कांग्रेस सरकार ने इसे जटिल बना दिया है।” उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस इस स्थिति को बरकरार रहने देती है तो इससे राज्य में कानून-व्यवस्था की गंभीर समस्या पैदा हो सकती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं के एक वर्ग द्वारा पंजाब के नवनियुक्त पुलिस महानिदेशक पर लगातार हमले ने राज्य पुलिस का मनोबल गिराया है।

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सिब्बल ने कांग्रेस की स्थिति को लेकर उठाये सवाल, सीडब्ल्यूसी बैठक बुलाने की मांग की

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने पार्टी की पंजाब इकाई में मचे घमासान और कांग्रेस की मौजूदा स्थिति को लेकर बुधवार को पार्टी नेतृत्व पर सवाल खड़ेकिए और कहा कि कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक बुलाकर इस स्थिति पर चर्चा होनी चाहिए तथा संगठनात्मक चुनाव कराये जाने चाहिए। उन्होंने कई नेताओं के पार्टी छोड़ने का उल्लेख करते हुए गांधी परिवार पर इशारों-इशारों में कटाक्ष किया कि जो लोग इनके खासमखास थे वो छोड़कर चले गए, लेकिन जिन्हें वे खासमखास नहीं मानते वे आज भी इनके साथ खड़े हैं। पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे के बाद पैदा हुई स्थिति को लेकर सिब्बल ने कहा कि इस सीमावर्ती राज्य में ऐसी कोई भी स्थिति नहीं होनी चाहिए जिसका पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और सीमापार के दूसरे तत्व फायदा उठा सकें। पूर्व केंद्रीय मंत्री कापिल सिब्बल ने कहा कि मैं निजी तौर पर बात कर रहा रहा हूं और उन साथियों की तरफ बोल रहा हूं जिन्होंने पिछले साल अगस्त में पत्र लिखा था। हम अपने नेतत्व की ओर से अध्यक्ष का चुनाव, सीडब्ल्यूसी और केंद्रीय चुनाव समिति के चुनाव कराने से जुड़े कदम उठाए जाने का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं भारी मन से आप लोगों से बात कर रहा हूं। मैं एक ऐसी पार्टी से जुड़ा हूं जिसकी ऐतिहासिक विरासत है और जिसने देश को आजादी दिलाई। मैं अपनी पार्टी को उस स्थिति में नहीं देख सकता जिस स्थिति में पार्टी आज है।


आजाद सहित ‘जी-23’ के कई नेताओं ने सिब्बल के आवास पर ‘उपद्रव’ की निंदा की

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा समेत ‘जी-23’ समूह के कई नेताओं ने पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के आवास के बाहर हुए पार्टी कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन की निंदा करते हुए कहा कि इस ‘सुनियोजित उपद्रव’ में शामिल लोगों के खिलाफ पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष आजाद ने ट्वीट किया कि मैं कपिल सिब्बल के घर के बाहर बीती रात हुए सुनियोजित उपद्रव की कड़ी निंदा करता हूं। वह एक वफादार कांग्रेसी हैं जो संसद के बाहर और भीतर पार्टी के लिए लड़ रहे हैं। किसी भी जगह से आने वाले सुझाव का स्वागत होना चाहिए, उसे दबाना नहीं चाहिए। उपद्रव अस्वीकार्य है। शर्मा ने ट्वीट किया कि कपिल सिब्बल के घर पर हमला और उपद्रव के बारे में सुनकर स्तब्ध और आहत हूं। इस निंदनीय कृत्य से पार्टी की बदनामी होती है। इसकी कड़ी भर्त्सना की जानी चाहिए। राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता शर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि मतभिन्नता लोकतंत्र का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से आग्रह है कि वह कड़ी कार्रवाई करें। कांग्रेस के लोकसभा सदस्य मनीष तिवारी ने ट्वीट किया कि कपिल सिब्बल के आवास के बाहर कल रात हुए सुनियोजित उपद्रव की निंदा करता हूं। इस हमले के जो सूत्रधार हैं उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि वह (सिब्बल) कांग्रेस के लिए अदालत के बाहर और भीतर दोनों जगह लड़ते हैं। आप उनके विचारों से असहज जरूर हो सकते हैं, लेकिन इन विचारों को हिंसा से नहीं दबाया जा सकता।

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कांग्रेस में शामिल हुए कन्हैया कुमार, बोले: कांग्रेस बचेगी, तभी देश बचेगा

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार कांग्रेस में शामिल हो गए। उनके साथ ही, गुजरात से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी भी ‘वैचारिक रूप से’ कांग्रेस के साथ जुड़े, हालांकि विधायक होने के कारण कुछ तकनीकी मुद्दों के मद्देनजर आने वाले दिनों में वह औपचारिक रूप से पार्टी की सदस्यता ग्रहण करेंगे। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मुख्यालय में मेवानी ने राहुल गांधी को संविधान की प्रति भेंट की, तो कन्हैया ने उन्हें महात्मा गांधी, भीमराव आंबेडकर और भगत सिंह की तस्वीर भेंट की। इसके बाद कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला और कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास ने संवाददाता सम्मेलन में दोनों नेताओं का स्वागत किया। वेणुगोपाल ने कहा, कन्हैया कुमार देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रतीक हैं। उनके शामिल होने से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ेगा। जिग्नेश जी के भी शामिल होने से पार्टी को मजबूती मिलेगी। भक्त चरण दास ने कहा, कन्हैया और जिग्नेश ने भगत सिंह की जयंती पर ऐतिहासिक निर्णय लिया है। दोनों ने कमजोर और बेसहारा लोगों की आवाज उठाई है। राहुल जी के साथ इन दोनों नेताओं का विचारधारा का मेल भी है। ये दोनों नेता कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण योगदान करेंगे। कन्हैया कुमार ने कहा कि करोड़ों नौजवानों को लगने लगा है कि कांग्रेस नहीं बचेगी, तो देश भी नहीं बचेगा और ऐसे में वह लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए कांग्रेस में शामिल हुए हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि देश में वैचारिक संघर्ष को कांग्रेस ही नेतृत्व ही दे सकती है। उन्होंने अपनी पुरानी पार्टी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि मुझे महसूस होता है कि इस देश की सत्ता में एक ऐसी सोच के लोग काबिज हैं, जो इस देश की चिंतन परंपरा, संस्कृति, इसके मूल्य, इतिहास और वर्तमान को खत्म कर रहे हैं। इस सोच से लड़ना है... देश की सबसे पुरानी और सबसे लोकतांत्रिक पार्टी में इसलिए शामिल होना चाहते हैंक्योंकि यह पार्टी नहीं बचेगी, तो देश नहीं बचेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि आज देश को भगत सिंह के साहस , अम्बेडकर की समानता और गांधी की एकता की जरूरत है। जिग्नेश ने कहा कि देश के युवाओं और संविधान में विश्वास करने वालों को मिलकर लड़ाई लड़नी है क्योंकि देश अब तक के सबसे अप्रत्याशित संकट का सामना कर रहा है।  मूल रूप से बिहार से ताल्लुक रखने वाले कन्हैया जेएनयू में कथित तौर पर देशविरोधी नारेबाजी के मामले में गिरफ्तारी के बाद सुर्खियों में आए थे। कन्हैया पिछले लोकसभा चुनाव में बिहार की बेगूसराय लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के खिलाफ भाकपा के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतरे थे, हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। दूसरी तरफ, दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले जिग्नेश गुजरात के वडगाम विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक हैं।


- अंकित सिंह

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