Jan Gan Man: देशी-विदेशी NGOs करते हैं आतंक के आरोपी मुस्लिमों का समर्थन, NIA Court के जज की टिप्पणी से हुआ बड़ा खुलासा

By नीरज कुमार दुबे | Jan 07, 2025

हमारे देश में एनजीओ के नाम पर आतंकवाद और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को प्रश्रय देने का जो खेल चल रहा है उसका एनआईए की एक विशेष अदालत ने कड़ा संज्ञान लिया है। एनआईए की विशेष अदालत ने देश में आतंकवाद और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के मामलों में आरोपियों का बचाव करने वाले एक दर्जन से अधिक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) को झटका देते हुए केंद्र और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) को इन संगठनों के फंड स्रोतों और उनके कामकाज के तरीके की जांच करने का निर्देश दिया है। अदालत ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और बीसीआई को इन एनजीओ के सामूहिक उद्देश्यों के बारे में जानकारी एकत्र करने और न्यायिक प्रक्रिया में इन एनजीओ के अनुचित हस्तक्षेप को रोकने के लिए उचित कार्रवाई करने को भी कहा है। हम आपको बता दें कि विशेष एनआईए अदालत के न्यायाधीश वीएस त्रिपाठी ने कासगंज सांप्रदायिक हिंसा मामले में हाल में 28 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए केंद्र और बीसीआई को उपरोक्त निर्देश जारी किए।


एनजीओ के नाम पर किस तरह आतंकियों का समर्थन किया जा रहा है इसका खुलासा स्वयं जज साहब ने कर दिया है। आतंकवाद और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के आरोपियों को कानूनी सहायता प्रदान करने के आंकड़ों पर गौर करते हुए, न्यायाधीश ने कहा कि इस अदालत में अक्सर यह देखा गया है कि जब भी किसी आरोपी को जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल, केरल, असम, पंजाब और अन्य राज्यों से आतंकवाद के मामलों, जाली मुद्रा के मामलों, भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने, गोपनीय जानकारी लीक करने या राष्ट्र के हित के खिलाफ काम करने के मामलों के संबंध में गिरफ्तार किया जाता है, तो उनका प्रतिनिधित्व करने के लिए कुछ वकील पहले से अदालत में मौजूद रहते हैं और ऐसे अधिकांश वकीलों के कथित तौर पर इन गैर सरकारी संगठनों के साथ संबंध होते हैं।

इसे भी पढ़ें: Chandan Gupta Murder Case: चंदन गुप्ता हत्याकांड में NIA कोर्ट का फैसला, 28 लोग दोषी करार

हम आपको बता दें कि अदालत के आदेश के बाद भारत स्थित एनजीओ- सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस (मुंबई), पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (दिल्ली), रिहाई मंच (लखनऊ) और यूनाइटेड अगेंस्ट हेट (दिल्ली) जांच के दायरे में आएंगे। इनके अलावा, विदेशी एनजीओ- अलायंस फॉर जस्टिस एंड अकाउंटेबिलिटी (न्यूयॉर्क), इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (वाशिंगटन डीसी) और साउथ एशिया सॉलिडेरिटी ग्रुप (लंदन)- को भी जांच का सामना करना पड़ेगा।


एनजीओ की खिंचाई करते हुए अदालत ने सभी बुद्धिजीवियों, संस्थाओं और न्यायिक व्यवस्था के हितधारकों से कहा कि वे इस बात पर गौर करें कि आखिर ऐसे एनजीओ आतंकवाद और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के मामलों में आरोपियों का बचाव करने और उन्हें कानूनी सहायता देने के लिए आगे क्यों आते हैं, जबकि कानून में पहले से ही प्रावधान है कि अगर कोई आरोपी अदालत में अपना बचाव करने की स्थिति में नहीं है तो उसे मुफ्त में वकील मुहैया कराया जा सकता है। अदालत ने अपने फैसले में कहा, "इन हितधारकों को कासगंज सांप्रदायिक हिंसा मामले में इन एनजीओ की भूमिका पर भी गौर करना चाहिए।" न्यायाधीश इन एनजीओ की भूमिका पर गंभीर रूप से चिंतित थे, जिन्होंने कथित तौर पर कासगंज मामले में आरोपियों के लिए महंगे वकीलों को काम पर रखा था। अदालत ने कहा, "न्यायिक प्रणाली के हितधारकों को इस बात पर विचार करना चाहिए कि उप्र के कासगंज में सांप्रदायिक झड़प में इन एनजीओ की क्या दिलचस्पी हो सकती है।"


हम आपको याद दिला दें कि एनआईए अदालत ने 2018 में कासगंज में हुई हिंसा को शुक्रवार को 'सुनियोजित साजिश' करार दिया था और 28 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। 26 जनवरी 2018 को तिरंगा यात्रा के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा में 22 वर्षीय चंदन गुप्ता की मौत हो गई थी। अदालत ने 28 आरोपियों को दोषी करार देते हुए कहा था कि कई भारतीय और विदेशी एनजीओ द्वारा आरोपियों का बचाव करने की प्रवृत्ति न्यायपालिका और उसके हितधारकों के बारे में बहुत खतरनाक और संकीर्ण मानसिकता को बढ़ावा दे रही है। इससे पहले अदालत में अभियोजन ने बताया था कि आतंकवाद और देश विरोधी मामलों में गिरफ्तार व्यक्तियों के लिए कई एनजीओ वकीलों को उनका बचाव करने के लिए भेजते हैं। यह केवल मुस्लिम आरोपियों के लिए किया जाता है। अभियोजक ने मांग की थी, 'यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है क्योंकि इससे अवांछित तत्वों का मनोबल बढ़ता है। अदालत को इस प्रवृत्ति को रोकना चाहिए।'

प्रमुख खबरें

शीशमहल की हकीकत जनता के सामने आ रही, बीजेपी बोली- AAP का नेचुरल कैरेक्टर है अराजकता पैदा करना

आकाश से भी ऊंची है सनातन की परंपरा, इसकी तुलना नहीं की जा सकती : Adityanath

Zomato ने 15 मिनट की डिलीवरी पेशकश शुरू की, Customers नए टैब के जरिए कर सकते हैं ऑर्डर

Tata ने तोड़ दिया Maruti का बीते 40 वर्षों का गुरुर, Punch इस गाड़ी को पछाड़कर बनी फेवरेट कार