Prabhasakshi NewsRoom: अविश्वास प्रस्ताव से पहले इमरान खान ने मारा पुष्पा का डॉयलॉग, कहा- मैं झुकेगा नहीं

By नीरज कुमार दुबे | Mar 21, 2022

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की कुर्सी पर संकट मंडराया तो उन्हें हिंदुस्तान की याद आई है। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और मतदान से पहले इमरान खान इन दिनों रैलियां कर जनसमर्थन बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। इन रैलियों में वह भारत की खुलकर तारीफ कर रहे हैं। रविवार को ऐसी ही एक रैली में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत की 'स्वतंत्र विदेश नीति' की सराहना करते हुए कहा कि इंडिया ने यूक्रेन पर हमले की वजह से रूस पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद मॉस्को से कच्चे तेल का आयात किया। भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के कड़े आलोचक रहे इमरान खान ने भारतीय विदेश नीति की खुलकर सराहना की। खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत में एक रैली को संबोधित करते हुए इमरान खान ने कहा कि वह पड़ोसी देश भारत की सराहना करेंगे, क्योंकि उसके पास अपनी एक 'स्वतंत्र विदेश नीति' रही है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत क्वाड समूह का हिस्सा है और उसने अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद रूस से कच्चे तेल आयात किया।

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हम आपको बता दें कि भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया क्वाड समूह के सदस्य देश हैं। हम आपको यह भी याद दिलाना चाहेंगे कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आदेश पर 24 फरवरी को रूस द्वारा यूक्रेन के खिलाफ कार्रवाई के जवाब में अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। इमरान खान ने अपने संबोधन के दौरान यह भी कहा कि उनकी विदेश नीति भी पाकिस्तानी जनता के हित में रहेगी।


उल्लेखनीय है कि पाकिस्तानी संसद में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने से पहले इमरान खान जनसमर्थन हासिल करने के लिए रैली कर रहे हैं। इमरान खान ने कहा, 'मैं किसी के सामने नहीं झुका और अपने देश को भी किसी के आगे झुकने नहीं दूंगा।' विदेश नीति से जुड़े जटिल मामलों की चर्चा जनसभा में नहीं की जाती है लेकिन इस परंपरा को तोड़ते हुए इमरान खान ने उल्लेख किया कि उन्होंने यूरोपीय संघ के राजदूतों को ‘‘साफ तौर पर ना’’ कह दिया है जो यूक्रेन-रूस युद्ध में रूस के खिलाफ पाकिस्तान का समर्थन चाहते थे। इमरान खान ने कहा कि ऐसा इसलिए किया, क्योंकि उन्होंने यह अनुरोध कर प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया था।


इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान को यूरोपीय संघ का अनुरोध मानकर कोई लाभ नहीं होता। इमरान खान ने कहा, ‘‘हम अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ अमेरिकी युद्ध का हिस्सा बने और 80 हजार लोगों और 100 अरब डॉलर खोये।’’ गौरतलब है कि इमरान खान ने दूसरी बार यूरोपीय संघ और अन्य पश्चिमी देशों के खिलाफ बयान दिया है जिन्होंने कथित तौर पर इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान से यूक्रेन पर रूसी हमले की निंदा करने को कहा था। इमरान खान ने पिछले संबोधन में यूरोपीय संघ से पूछा था कि क्या वह इसी तरह की मांग भारत से करेगा।


पाकिस्तान में क्या उठापटक चल रही है?


जहां तक पाकिस्तानी राजनीति में चल रही उठापटक की बात है तो हम आपको बता दें कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर विचार के लिए नेशनल असेम्बली की बैठक शुक्रवार को आहूत की जाएगी। वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद से इमरान की यह सबसे कठिन राजनीतिक परीक्षा होगी। नेशनल असेंबली के अध्यक्ष असद कैसर ने प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर विचार करने के लिए 25 मार्च (शुक्रवार) को सदन का सत्र बुलाने की घोषणा की है। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के करीब 100 सांसदों ने आठ मार्च को नेशनल असेम्बली सचिवालय को अविश्वास प्रस्ताव दिया था। इसमें आरोप लगाया गया है कि इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी की सरकार देश में आर्थिक संकट और मुद्रास्फीति के लिए जिम्मेदार है।

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पक्ष-विपक्ष में नोकझोंक


नेशनल असेम्बली सचिवालय ने अधिसूचना जारी कर अहम सत्र को लेकर स्थिति स्पष्ट कर दी है। हालांकि विपक्ष ने कानूनी आवश्यकताओं के अनुसार 21 मार्च तक सत्र बुलाने की मांग की थी। अधिसूचना के अनुसार, ‘‘सत्र शुक्रवार को सुबह 11 बजे शुरू होगा और यह मौजूदा नेशनल असेम्बली का 41वां सत्र होगा।’’ अध्यक्ष ने पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 54 (3) और 254 के तहत प्रदत्त शक्ति के तहत सत्र बुलाया है। विपक्ष का कहना है कि 14 दिनों के भीतर सत्र बुलाया जाना चाहिए, लेकिन गृह मंत्री शेख राशिद ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि विशेष परिस्थितियों के कारण इसमें देरी हो सकती है। इस मामले में देरी 22 मार्च से संसद भवन में शुरू हो रहे इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के बहुचर्चित 48वें शिखर सम्मेलन के कारण हुई है।


शुरू में, विपक्ष ने धमकी दी थी कि यदि सत्र समय पर आहूत नहीं किया गया तो वह धरना प्रदर्शन करेगा। हालांकि बादल में संयुक्त विपक्ष ने यह कहते हुए अपने रुख में नरमी दिखाई थी कि पाकिस्तान के राजनीतिक उथल-पुथल के कारण (ओआईसी के) कार्यक्रम को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा। अब संसद का निचला सदन प्रधानमंत्री के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर 25 मार्च को विचार करेगा। अगर इस प्रस्ताव को सदन औपचारिक रूप से स्वीकार कर लेता है, तो तीन से सात दिनों के बीच मतदान कराया जाना चाहिए। सरकार और विपक्ष दोनों स्थिति को अपने-अपने अनुकूल बनाने के लिए भरसक कोशिश कर रहे हैं। 69 वर्षीय इमरान खान गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं और अगर कुछ सहयोगी दल पाला बदलने का फैसला करते हैं तो उन्हें हटना पड़ सकता है।


इमरान खान के साथ कितने सांसद हैं?


क्रिकेट से राजनीति में आए इमरान खान को हटाने के लिए विपक्ष को 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में 172 वोटों की जरूरत है। इमरान की पार्टी के सदन में 155 सदस्य हैं और सरकार में बने रहने के लिए उन्हें कम से कम 172 सांसदों की जरूरत है। उनकी पार्टी बहुमत के लिए कम से कम छह राजनीतिक दलों के 23 सदस्यों का समर्थन ले रही है। प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले सत्तारुढ़ पार्टी के करीब 24 बागी सांसद खुलकर विरोध में उतर आए हैं, जबकि सरकार ने विपक्षी दलों पर सांसदों की खरीद-फरोख्त के आरोप लगाये हैं। इस बीच, इमरान खान ने अपनी पार्टी के बागी सांसदों से कहा है कि यदि पार्टी में वापस आ जाते हैं तो वह उन्हें माफ करने को तैयार हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि जो बागी सांसद उनकी बातों पर ध्यान नहीं देते हैं उन्हें ‘सामाजिक बहिष्कार’ का सामना करने को तैयार रहना चाहिए।


पाकिस्तान में अराजकता पर अदालत गंभीर


पाकिस्तान में सिर्फ राजनीतिक उठापटक ही नहीं चल रही बल्कि अराजकता का माहौल भी दिख रहा है। तभी पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने सिंध हाउस पर सत्तारुढ़ दल के समर्थकों के हमले के मद्देनजर सरकार से सरकारी संस्थानों की रक्षा सुनिश्चित करने को कहा है। देखना होगा कि पाकिस्तान की राजनीति का ऊंट किस करवट बैठता है।

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