Prabhasakshi Exclusive: कौन हैं Houthis विद्रोही? कहां से आता है इनके पास इतना पैसा? क्यों यह Red Sea में जहाजों पर हमले कर रहे हैं?

By नीरज कुमार दुबे | Jan 04, 2024

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि लाल सागर में हूतियों के बढ़ते हमलों से दुनिया परेशान है। इस समस्या का कारण और निवारण क्या है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि हूतियों के हमले 7 अक्टूबर को इजराइल-हमास युद्ध शुरू होने के बाद शुरू हुए। उन्होंने कहा कि हूतियों ने हमास के लिए अपना समर्थन घोषित किया और कहा कि वे इज़राइल जाने वाले किसी भी जहाज को निशाना बनाएंगे। उन्होंने कहा कि नवंबर में उन्होंने एक इज़रायली मालवाहक जहाज़ को ज़ब्त कर लिया था तब से उन्होंने ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलों से कई वाणिज्यिक जहाजों पर हमला किया है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हूतियों के हमलों के जवाब में, अमेरिका ने जहाजों की सुरक्षा के लिए एक अंतरराष्ट्रीय नौसैनिक अभियान शुरू किया है। इसमें यूके, कनाडा, फ्रांस, बहरीन, नॉर्वे और स्पेन सहित कई देश शामिल हुए हैं। उन्होंने कहा कि मेडिटेरेनियन शिपिंग कंपनी, मेर्स्क, हापाग-लॉयड और तेल कंपनी बीपी सहित प्रमुख शिपिंग कंपनियों ने कहा है कि वे जहाजों को लाल सागर से दूर ले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वाशिंगटन ने ईरान पर लाल सागर में वाणिज्यिक जहाजों के खिलाफ अभियान की योजना बनाने में "गहराई से शामिल" होने का आरोप लगाया है।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक यह सवाल है कि हूती विद्रोही कौन हैं? तो इसका जवाब यह है कि हूतिये यमन के शिया मुस्लिम अल्पसंख्यक, ज़ैदीस के एक उप-संप्रदाय का एक सशस्त्र समूह है। वे अपना नाम आंदोलन के संस्थापक हुसैन अल हौथी से लेते हैं। इस समूह का गठन 1990 के दशक में तत्कालीन राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह के भ्रष्टाचार से निपटने के लिए किया गया था। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब की सेना द्वारा समर्थित राष्ट्रपति सालेह ने 2003 में हूती विद्रोहियों को खत्म करने की कोशिश की थी लेकिन हूतियों ने उन दोनों को खदेड़ दिया था। उन्होंने कहा कि हूती विद्रोही 2014 से यमन सरकार के खिलाफ गृह युद्ध लड़ रहे हैं। यमन सरकार को सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के नेतृत्व वाले अरब देशों के गठबंधन द्वारा हूतियों के खिलाफ समर्थन दिया गया है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 2022 की शुरुआत तक, यमन युद्ध में अनुमानित 377,000 मौतें हुईं और चार मिलियन लोग विस्थापित हुए। उन्होंने कहा कि हूती खुद को हमास और हिजबुल्लाह के समकक्ष मानते हैं और इजरायल, अमेरिका और व्यापक पश्चिम के खिलाफ ईरानी नेतृत्व वाली "प्रतिरोध की धुरी" का हिस्सा घोषित कर चुके हैं।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक यह सवाल है कि हूती विद्रोहियों का समर्थन कौन करता है? तो इसका जवाब यह है कि हूती विद्रोही खुद को लेबनान के शिया सशस्त्र समूह हिजबुल्लाह की तर्ज पर बना हुआ संगठन बताते हैं। अमेरिकी अनुसंधान संस्थान, कॉम्बेटिंग टेररिज्म सेंटर के अनुसार, हिजबुल्लाह उन्हें 2014 से व्यापक सैन्य विशेषज्ञता और प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है। हूती विद्रोही ईरान को भी सहयोगी मानते हैं, क्योंकि सऊदी अरब उनका साझा दुश्मन है। उन्होंने कहा कि ईरान पर हूती विद्रोहियों को हथियार मुहैया कराने का संदेह है और अमेरिका का कहना है कि जहाजों को निशाना बनाने में उन्हें सक्षम बनाने के लिए ईरान की ओर से खुफिया जानकारी दी जाती है। हालांकि ईरान लाल सागर में हूतियों के हमलों में शामिल होने से इंकार करता है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अमेरिका और सऊदी अरब का कहना है कि ईरान ने उन बैलिस्टिक मिसाइलों की आपूर्ति की थी जिन्हें हूतियों ने 2017 में सऊदी राजधानी रियाद पर दागा था, लेकिन उन्हें मार गिराया गया था। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब ने ईरान पर क्रूज़ मिसाइलों और ड्रोनों की आपूर्ति के लिए भी आरोप लगाया था जिनका इस्तेमाल हूतियों ने 2019 में सऊदी तेल प्रतिष्ठानों पर हमला करने के लिए किया था। उन्होंने कहा कि हूतियों ने सऊदी अरब में कम दूरी की दस हजार मिसाइलें दागी हैं और संयुक्त अरब अमीरात में भी ठिकानों पर हमला किया है। उन्होंने कहा कि गाजा में युद्ध शुरू होने के बाद से उन्होंने इज़राइल की ओर बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन भी दागे हैं। उन्होंने कहा कि इन हथियारों की आपूर्ति संयुक्त राष्ट्र के हथियार प्रतिबंध का उल्लंघन है इसलिए ईरान ने ऐसा करने से हमेशा इंकार किया है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक यह सवाल है कि हूतियों का यमन के कितने भाग पर नियंत्रण है? तो इसका जवाब यह है कि यमन की अधिकांश आबादी हूती आंदोलन के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में रहती है। उन्होंने कहा कि यमन की आधिकारिक सरकार राष्ट्रपति नेतृत्व परिषद है, जिसे राष्ट्रपति अब्दरब्बुह मंसूर हादी ने अपनी शक्तियां हस्तांतरित कर दी थीं। हालाँकि, 2015 में हादी के वहाँ से भाग जाने के बाद सरकार सऊदी की राजधानी रियाद में स्थित है। उन्होंने कहा कि यमन की अधिकांश आबादी हूती नियंत्रण वाले क्षेत्रों में रहती है। सना और यमन के उत्तर के साथ-साथ हूती विद्रोहियों का लाल सागर तट पर नियंत्रण है। उन्होंने कहा कि यह समूह कर एकत्र करता है और पैसा भी छापता है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने कहा था कि 2010 तक हूतियों के 100,000 से 120,000 अनुयायी थे। उन्होंने कहा कि यह एक साधन संपन्न सशस्त्र संगठन है इसलिए इसके हमलावर कभी हेलिकॉप्टर से हमला करते हैं तो कभी ड्रोन से। उन्होंने कहा कि इन्होंने दो भारतीय जहाजों को भी निशाना बनाया था लेकिन वह हमला विफल रहा। इसके बाद से भारतीय नौसेना ने भी गश्ती बढ़ाई है। उन्होंने कहा कि इन विद्रोहियों पर लगाम लगानी होगी क्योंकि यदि लाल सागर का दूसरा विकल्प ढूँढ़ा गया तो परिवहन भाड़ा बढ़ेगा जिससे महंगाई बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि सभी देशों को मिलकर इन विद्रोहियों को ऐसा सबक सिखाना चाहिए जिससे दोबारा सर उठाने की इनकी हिम्मत नहीं पड़े।

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