By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 18, 2020
नयी दिल्ली। राज्यसभा में शुक्रवार को कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने सरकार से सवाल किया कि होम्योपैथी केंद्रीय परिषद के गठन में तीन साल क्यों लग गए। कांग्रेस सदस्य रिपुन बोरा ने कहा कि होम्योपैथी केंद्रीय परिषद पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे और उसके स्थान पर संचालक मंडल की स्थापना की गयी थी। शुरू में कहा गया था कि एक साल के अंदर परिषद का गठन कर लिया जाएगा। बाद में वह समय बढ़ाकर दो साल कर दिया। अब इसके लिए तीन साल की बात की जा रही है। उन्होंने सवाल किया कि दो साल बीत जाने के बाद भी इस परिषद का गठन नहीं हो सका। बोरा सदन में होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक, 2020 और भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक, 2020 पर एक साथ हुयी चर्चा में भाग ले रहे थे।
उन्होंने कहा कि सरकार से सवाल किया कि परिषद के गठन में इतनी देर क्यों हुयी कि सरकार को अध्यादेश और अब विधेयक लाना पड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार का इरादा इसमें देर करने का है। सपा सदस्य रामगोपाल वर्मा ने भी होमियोपैथी परिषद के गठन में देरी पर सवाल उठाया और कहा कि सरकार समय से परिषद का गठन क्यों नहीं कर पा रही है। यादव ने होम्योपैथी और आयुर्वेद सहित भारतीय चिकित्सा पद्धतियों की लोकप्रियता का जिक्र करते हए कहा कि भारत में करीब 70 प्रतिशत लोग इनसे इलाज कराते हैं। उन्होंने एलोपैथी पद्धति के महंगा होने का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ अस्पतालों में तो कोरोना वायरस के इलाज पर एक लाख रूपए रोज लिए जा रहे हैं।
यादव ने भारतीय पद्धतियों की खूबियों की चर्चा करते हुए कहा कि कई रोग ऐसे हैं जिनका इलाज एलोपैथी में नहीं है। इसके पहले इलामारम करीम, के के रागेश, विनय विश्वम और केसी वेणुगोपाल ने पिछले दिनों जारी होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) अध्यादेश तथा भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (संशोधन) अध्यादेश को नामंजूर करने के लिए संकल्प पेश किया। केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने दोनों विधेयक पेश करते हुए कहा कि होमियोपैथी परिषद अपने दायित्वों को पूरा करने में विफल रहा और उस पर अनियमितताएं, पारदर्शिता का अभाव तथा भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। इसलिए परिषद के स्थान पर संचालक मंडल की स्थापना की गयी थी।