By अंकित सिंह | Apr 21, 2025
प्रभासाक्षी के साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में सप्ताह में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के बाद से हो रहे राजनीति पर चर्चा की। इस दौरान हमेशा की तरह प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और राष्ट्रीय महिला आयोग की एक टीम मुर्शिदाबाद और हिंसा प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर चुकी है। लेकिन जिस व्यक्ति को सबसे पहले वहां जाना था यह था, वह मौलवियों के साथ बैठक करने में व्यस्त रहीं। उन्होंने कहा कि राज्य की कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी एक मुख्यमंत्री की होती है। लेकिन ममता बनर्जी ने अभी तक हिंसा स्थल से दूरी बना रखी है। जिन पर हिंसा करने का आरोप लग रहा है वह उन्हीं लोगों से मिल रही हैं।
नीरज दुबे ने कहा कि एक तो कि मुर्शिदाबाद मुख्यमंत्री गई नहीं, राहत शिविरों में भी नहीं गई, बल्कि कोलकाता में इमाम से मौलवियों से उन्होंने मुलाकात की। उनसे मुलाकात करने के बाद ममता एक अलग संदेश देने की कोशिश कर रही हैं। कानून व्यवस्था और सबूत जुटाना सरकार की जिम्मेदारी है। लेकिन ममता बनर्जी की सरकार इस पर पूरी तरीके से फेल नजर आ रही है। राज्यपाल अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। वह राज्य में राष्ट्रपति के प्रतिनिधि हैं। ऐसे में संविधान के संरक्षण के तौर पर राज्यपाल ने हिंसा स्थल का दौरा किया। लेकिन मुख्यमंत्री अब तक नहीं पहुंची हैं। नीरज दुबे ने यह भी कहा कि राज्यपाल के दौरे के दौरान मीडिया तक को नहीं जाने दिया गया। यह अपने आप में दुखद है। राज्यपाल ने ही मीडिया को जो बताना था, वह बताया।
ममता बनर्जी को लेकर नीरज दुबे ने कहा कि वह बीएसएफ को राजनीति में घसीटने की कोशिश कर रही है। विषम परिस्थितियों में जो सुरक्षा बल काम करते हैं उनके मनोबल पर आप आघात करने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 20-25 वर्षों के इतिहास को देखें तो पश्चिम बंगाल की राजनीतिक हिंसा के पीड़ित लोगों को न्याय नहीं मिल पाया है। वहां कट्टरवादिता बढ़ती जा रही है। सामाजिक भावनाएं खराब हो रही है। अगर कोई मुख्यमंत्री यह कह रहा है कि हम राज्य में यह कानून लागू नहीं होने देंगे इससे कुछ लोगों का हौसला बढ़ता है। पश्चिम बंगाल को लेकर जो खबरें आती है वह वाकई में हैरान करने वाली रहती हैं।