By अंकित सिंह | Jul 26, 2024
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आजकल अपना आपा खो बैठते हैं। हाल में ही विधानसभा में उन्होंने राजद की महिला विधायक को खूब सुना दिया जिसके बाद वह विपक्ष के निशाने पर आ गए। इससे पहले भी ऐसे कई मौके आए हैं जब नीतीश को गुस्से में देखा गया है। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि आखिर नीतीश कुमार को गुस्सा क्यों आता है? नीतीश को बेहद ही शांत स्वाभाव का नेता माना जाता है। ऐसे में जब भी वह अपना आपा खोते है सुर्खियों में आ जाते हैं। मार्च 2021 का एक किस्सा आपको बताते है जब राजद विधायक और दंत चिकित्सक मुकेश रोशन बिहार विधानसभा में ब्लड प्रेशर मशीन लेकर पहुंचे थे।
रोशन ने संवाददाताओं से कहा, वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जांच करना चाहते थे क्योंकि वह उनके बारे में चिंतित थे। उन्होंने उस समय कहा था कि सीएम बार-बार अपना आपा खो रहे हैं। उच्च रक्तचाप उनके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं हो सकता। इस घटना को तीन साल से ज्यादा हो गया। नीतीश कभी राजद तो कभी भाजपा के साथ सरकार में रहे। अभी भी वह भाजपा के साथ सत्ता में है। पर एक चीज जो इस तीन साल में नहीं बदली वह है नीतीश का चिड़चिड़ा मूड। राजनीति में मिस्टर कूल की पहचान रखने वाले नीतीश को हमेशा संयमित माना गया है। उन्होंने अपने नपे-तुले तरीकों से लालू प्रसाद, शरद यादव और राम विलास पासवान जैसे रसमकालीन लोगों के बीच अपनी एक अलग पहचान बनाई।
बुधवार को बिहार विधानसभा में एक बार फिर नीतीश के गुस्से का नजारा देखने को मिला, जब उन्होंने उन्हें बीच में रोकने पर राजद की मसौढ़ी विधायक रेखा पासवान को जमकर खरी खोटी सुनाई। उस समय, सीएम सदन को यह बताने की कोशिश कर रहे थे कि उनकी सरकार पिछड़े समुदाय के लिए आरक्षण पर रोक लगाने वाले उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का इरादा रखती है। आरक्षण का रास्ता साफ करने वाले जाति सर्वेक्षण का पूरा श्रेय लेते हुए नीतीश ने पासवान से कहा: “महिला हो, कुछ जानती हो?” इसके बाद उन्होंने दोहराया कि उनकी सरकार ने राज्य की महिलाओं के लिए सबसे अधिक काम किया है।
गुरुवार को बिहार विधानसभा में कई विपक्षी विधायकों ने नीतीश के "महिलाओं के प्रति अपमानजनक व्यवहार" के विरोध में काले स्कार्फ पहने। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव, जो खुद नीतीश के गुस्से का शिकार रहे हैं, ने सीएम को विधायकों का अपमान करने वाला "आदतन अपराधी" कहा है, और उनके "मैं ही सब कुछ जानता हूं" वाले रवैये की आलोचना की है। जो लोग लंबे समय से नीतीश को देख रहे हैं, वे 2020 के विधानसभा चुनाव परिणामों में उनके बदले हुए व्यवहार का पता लगा रहे हैं, जिसमें जदयू तीसरे स्थान पर खिसक गई, यहां तक कि भाजपा भी उससे आगे हो गई। जबकि बारी-बारी से साझेदार भाजपा और राजद ने नीतीश को हटाकर अपने लिए सीएम पद का दावा नहीं करना चाहा, लेकिन जद (यू) प्रमुख को यह बात नागवार गुजरी कि वह उधार के समय पर हैं। हाल के लोकसभा नतीजों में जद (यू) भाजपा के बराबर रही, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि जदयू ने उसे अपने साथ खींच लिया है।
एक बार नीतीश कुमार ऐसे ही सम्राट चौधरी पर भड़क गए थे जो आज उनके डिप्टी हैं। वहीं विजय कुमार सिन्हा पर भी उनका आक्रामक रवैया हमें देखने को मिला था। विजय कुमार सिन्हा भी आजकल उनके डिप्टी हैं। नीतीश को गुस्सा क्यों आता है, यह हर कोई समझने की कोशिश कर रहा है। लेकिन कहीं ना कहीं ऐसा लगता है कि नीतीश 2020 के चुनाव के बाद से कहीं ना कहीं राजनीतिक दबाव महसूस कर रहे थे। लोक सभा चुनाव के नतीजे ने उन्हें हल्का जरूर किया होगा। लेकिन कहीं ना कहीं बिहार में जदयू अभी भी तीसरे स्थान पर है जो कि उनके लिए कहीं ना कहीं नागवार गुजरने वाली स्थिति है। आजकल कई बार वर अधिकारियों पर भी भड़क जाते हैं।