By एकता | Jan 14, 2025
जब मैं 'शादी' शब्द सुनती हूं तो मेरा दिल तेज़ी से धड़कने लगता है। ईमानदारी से कहूं तो, मुझे शादी करने से डर लगता है, और मैं जानती हूं कि मैं अकेली नहीं हूं। मेरे आस-पास के कई लोग भी ऐसा ही महसूस करते हैं। हैरानी की बात है कि आजकल यह डर काफी आम हो गया है। शादी एक बहुत बड़ा कदम है, इसलिए इसके बारे में घबराहट होना सामान्य है। लेकिन क्यों? शादी के बारे में सोचते ही हमारा दिल क्यों तेज़ी से धड़कने लगता है? इस हिचकिचाहट के पीछे कई कारण हैं, और हम उन्हें आपके साथ साझा करने के लिए यहां हैं।
इंस्टाग्राम पर थेरेपी विद शौर्य पेज से जुड़ी मनोवैज्ञानिक बनिता सिंह ने कहा कि स्थिरता और व्यक्तिगत विकास की तलाश कर रहे लोगों को शादी डरावनी लग सकती है। विशेषज्ञ ने कहा कि ऐसे लोग खुद को खोने, हमेशा के लिए साथ रहने के दबाव या उम्मीद से ज्यादा समझौता करने से डरते हैं। सिंह ने इन मानसिक कारकों के बारे में विस्तार से बात की जो शादी को डरावना बनाते हैं।
खुद को खोने का डर: विशेषज्ञ ने कहा कि आजकल लोगों को अपनी आजादी और निजी समय पसंद है। अपनी दिनचर्या, शौक या विचित्रताओं को किसी और के साथ मिलाने का विचार लोगों को ऐसा महसूस कराता है जैसे वे खुद को छोड़ रहे हैं।
'हमेशा के लिए' वाला फैक्टर: विशेषज्ञ ने कहा कि लोगों को 'हमेशा के लिए' शब्द प्यार के वादे से ज्यादा उम्रकैद की सजा जैसा लगता है। क्या होगा अगर आप लंबे समय तक खुश नहीं हैं? खुद को किसी फैसले से बांधने का विचार भारी लग सकता है।
बहुत ज्यादा समझौता करने का डर: विशेषज्ञ ने कहा कि लोगों को डर है कि शादी के बाद उन्हें जरूरत से ज्यादा समझौता करना पड़ सकता है। विशेषज्ञ ने कहा कि ऐसे लोगों के लिए हमेशा एडजस्ट करने वाले व्यक्ति होने का डर अनुचित और डरावना लग सकता है।
बनिता सिंह ने बताया कि शादी त्याग के बारे में नहीं है, बल्कि एक ऐसा साथी खोजने के बारे में है जो आपके सपनों का समर्थन करता है, आपका सर्वश्रेष्ठ सामने लाता है, और जीवन के उतार-चढ़ाव में आपका साथ देता है। उन्होंने कहा कि प्यार, विश्वास और आपसी सम्मान पर आधारित, शादी एक खूबसूरत यात्रा बन सकती है, जहां दोनों साथी एक साथ मजबूत होते हैं।