क्यों बार-बार अदालतों से फटकार खाती है ममता सरकार

By योगेंद्र योगी | Apr 06, 2024

देश में पश्चिम बंगाल एकमात्र ऐसा राज्य बन गया है जहां बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर अदालतों की सर्वाधिक फटकार और निर्देशों का सामना करना पडा है। अराजकता की ऐसी हालत एक दशक पहले तक कभी उत्तर प्रदेश और बिहार की हुआ करती थी। पश्चिम बंगाल में एक प्रदर्शन के दौरान सत्तारुढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं ने तत्कालीन कांग्रेस नेता ममता बनर्जी के साथ जब बदसलूकी करी थी। इस पर ममता ने कम्युनिस्ट सरकार को उखाड़ फेकने की शपथ ली थी। ममता ने हिंसा और अराजकता से गुजर रहे बंगाल को कम्युनिस्टों से मुक्ति दिलाई। कम्युनिस्टों के खिलाफ जिस आंदोलन से ममता ने सत्ता की सीढिय़ां चढ़ी अब अपने विरोधियों को परास्त करने के लिए ममता ने वही रास्ता अपना लिया है। संदेशखाली की घटना के बाद हाईकोर्ट ने जिस तरह की टिप्पणी ममता सरकार के खिलाफ की है, उससे जाहिर है कि पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था रसातल में जा रही है। ममता की पार्टी तृणमूल का एकमात्र उद्देश्य रह गया है अपने विरोधियों की आवाज बंद करना, इसके लिए चाहे गैरकानूनी तरीकों का इस्तेमाल ही क्यों न करना पड़ा।   

संदेशखाली मामले को लेकर आज कलकत्ता हाईकोर्ट ने बंगाल के प्रशासन और सत्ताधारी पार्टी टीएमसी को भी बेहद तल्ख लहजे में फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि अगर संदेशखाली मामले में एक प्रतिशत भी सच है तो प्रशासन और सत्ताधारी पार्टी इसकी जिम्मेदार है। कोर्ट ने कहा कि यह मामला बेहद शर्मनाक है। अदालत ने कहा कि हर नागरिक की सुरक्षा राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। कोर्ट ने कहा कि संदेशखाली मामले में जिला प्रशासन और पश्चिम बंगाल सरकार को खुद से नैतिक जिम्मेदारी लेना चाहिए। इतना ही नहीं कोर्ट ने कहा कि अगर इस मामले में एक प्रतिशत भी सच्चाई है तो यह शर्मनाक है और पूरा प्रशासन और सत्ताधारी पार्टी इसके लिए नैतिक तौर पर 100 प्रतिशत जिम्मेदार हैं।

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कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस शिवज्ञानम ने तल्ख लहजे में कहा कि अगर इसका एक भी एफिडेविट सही है तो यह शर्मनाक है। यह लोगों की सुरक्षा का मामला है। चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर आप एससी-एसटीनेशनल कमीशन की रिपोर्ट देखेंगे तो उसमें अगर एक फीसदी भी सच है तो ये 100 फीसदी शर्मनाक है। वहीं इस दौरान एक अन्य जनहित याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इस मामले में गवाहों को सुरक्षा प्रदान की जाए। सुरक्षा कारणों से कोई भी महिला अदालत में गवाही देने नहीं आई। एक अन्य याचिकाकर्ता की वकील प्रियंका टिबरेवाल ने कहा कि उनके पास अनेक महिलाओं ने यौन उत्पीडऩ की शिकायत की है। ये लोग कह रहे हैं कि अगर महिलाओं ने बयान दिया तो उनके पति-बच्चों का सिर काटकर फुटबाल खेलेंगे। राज्य की ओर से वकालत करते हुए महाधिवक्ता (एजी) ने कहा कि हमें देखना होगा कि संदेशखाली में क्या हुआ। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने अपनी विश्वसनीयता खो दी है। सुप्रीम कोर्ट ने भी सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता कहा था। सभी पक्षों की बातें सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश ने शाहजहां के वकील से सख्त लहजे में कहा कि आप एक आरोपित की ओर से सवाल पूछ रहे हैं। सबसे पहले अपने आस-पास की परछाइयों से छुटकारा पाएं। इसके बाद दूसरे लोगों की शिकायतों के बारे में बात करें। अगर हलफनामे में एक भी आरोप सच है तो वह भी शर्मनाक है। सरकार कहती है कि यहां महिलाएं सुरक्षित हैं। यदि हलफनामे में कोई आरोप साबित हो जाता है, तो ऐसे सभी दावे झूठे होंगे। हालांकि, सुनवाई पूरी होने के बाद भी हाईकोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। संदेशखली में ईडी और सीएपीएफ कर्मियों पर हमले के मास्टरमाइंड और तृणमूल कांग्रेस के निलंबित नेता शाहजहां शेख ने कहा था कि वह राजनीतिक साजिश का शिकार है। उसके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं। उसे जानबूझकर फंसाया जा रहा है। पूछताछ के दौरान शाहजहां ने पांच जनवरी को संदेशखाली में केंद्रीय एजेंसी कर्मियों पर हमला करने वालों के साथ किसी भी तरह के संबंध से इन्कार किया था। शाहजहां ने अधिकारियों से कहा था कि वह इस हमले की दिल से निंदा करता है और चाहता है कि हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा मिले।  


ईडी ने शाहजहां से उसकी कंपनी सबीना एंटरप्राइजेज के जरिए काली कमाई को सफेद करने के मामले में पूछताछ की। जिस पर शाहजहां ने कहा कि सब झूठ है। अनुसूचित जाति-जनजाति के पैनल ने पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की थी इसके लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पैनल ने एक रिपोर्ट सौंपी थी। पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है था कि राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। पैनल का यह भी कहना था कि आरोपियों पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कानून के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए। देश में पश्चिम बंगाल ऐसा राज्य है जहां राज्यपाल ने केंद्र सरकार कई बार बिगड़े हालात की जानकारी दी है। विपक्षी दलों की शासित राज्यों में भी राज्यपालों और सत्तारुढ़ दल की सरकारों में अनबन होती रहती है, किन्तु संवैधानिक पद पर रहते हुए जितने खराब संबंध पश्चिम बंगाल में रहे हैं, उतने किसी भी राज्य में नहीं रहे।   


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक चुनावी सभा में कहा कि जो लोग संदेशखाली की महिलाओं के उत्पीडऩ के जिम्मेदार हैं, उनको अब अपना बाकी जीवन सलाखों के पीछे बिताना होगा। कूचबिहार में एक रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हाल ही में पूरे देश ने देखा कि कैसे टीएमसी और राज्य सरकार ने संदेशखाली की महिलाओं का शोषण करने वाले लोगों को बचाया। लेकिन उन्हें किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। जिन लोगों ने इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया है, उन्हें अब अपना शेष जीवन सलाखों के पीछे बिताना होगा।   


चुनावी प्रचार के दौरान ममता बनर्जी पूर्व में भी जहर उगलने में पीछे नहीं रही है। ममता पूर्व में पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल करती रही है। ममता बनर्जी ने कूचबिहार रैली में यहां तक कह गईं कि आप जहरीले सांप पर भरोसा कर सकते हैं, लेकिन भाजपा पर नहीं। ममता बनर्जी ने कूच बिहार से भाजपा प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री निशीथ प्रामाणिक का नाम लिए बिना उनपर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि तुम मंत्री के नाम पर कलंक हो। ममता ने कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों का ट्रांसफर हो रहा है केंद्रीय एजेंसी का कितना ट्रांसफर हुआ? उन्होंने कहा कि भातपा निर्वाचन के कोड नही मानती। उन्होंने आरोप लगाया कि शीतलकुची में जिसने गोली मारकर हत्या किया वो अभी बीरभूम में बीजेपी प्रार्थी बन गया। ममता ने आरोप लगाया कि 3 सालों से आवास योजना का पैसा नहीं दिया जा रहा है। सड़क के पैसे नहीं दिए जा रहे हैं। पहले 100 दिन के काम पर बंगाल एक नंबर पर था। पश्चिम बंगाल में शायद ही कोई ऐसा चुनाव रहा हो जहां हिंसा का तांडव नहीं हुआ हो। चुनाव आयोग के तमाम सख्त प्रयासों के बावजूद पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान हिंसा का शिकार रहा है। वर्ष 2023 में हुए पंचायत चुनाव के मतदान के दौरान चुनावी हिंसा में 17 लोगों की जान गईं। तृणमूल कांग्रेस का दावा था कि चुनावी हिंसा में सबसे ज्यादा उनके कार्यकर्ताओं की हत्या हुई। मरने वालों में 60 फीसदी उनके कार्यकर्ता हैं, जबकि विपक्षी पार्टियों ने चुनाव हिंसा को लेकर ममता बनर्जी की सरकार और चुनाव आयोग पर निशाना साधा। देखना यही है कि हिंसा से त्रस्त रहे पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग कैसे शांतिपूर्ण और निर्विघ्न चुनाव सम्पन्न कराता है।


- योगेन्द्र योगी 

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