Prabhasakshi Exclusive: China भारत के साथ पहले जैसे संबंध क्यों बनाना चाह रहा है? Dragon की कोई चाल है या हालात बदल गये हैं?

By नीरज कुमार दुबे | Nov 13, 2024

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि एक रिपोर्ट के मुताबिक चीनी अधिकारियों ने भारतीय मीडिया से बात करते हुए कहा है कि बीजिंग चाहता है कि दिल्ली के साथ उसके संबंध 2020 से पहले जैसे सामान्य हो जायें। आखिर चीन के मन में आ रहे इस बदलाव के असल कारण क्या हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि चीन के हर कदम के पीछे कोई ना कोई छिपा हुआ उद्देश्य होता ही है और भारत इस बात को अच्छी तरह से समझता है। उन्होंने कहा कि भारत चीन की चालों को कितनी अच्छी तरह समझता है यह बात ड्रैगन ने पिछले दस सालों में देख ली है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि आप जिस मीडिया रिपोर्ट की बात कर रहे हैं उसके मुताबिक वरिष्ठ चीनी अधिकारियों ने यह रेखांकित किया है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच पिछले महीने कज़ान में हुई बैठक काफी सकारात्मक और रचनात्मक रही थी। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ चीनी अधिकारियों ने कहा है कि दोनों पक्ष संबंधों को "सामान्य" वापस लाने के लिए कई उपायों पर चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीनी अधिकारियों का कहना है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अप्रैल-मई 2020 में टकराव शुरू होने से पहले जिस तरह के संबंध दोनों देशों के थे, वैसे ही संबंध बनाये जायेंगे।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि ऐसा लगता है कि बीजिंग को उम्मीद है कि जल्द ही दोनों देशों के बीच "सीधी उड़ानें" होंगी, राजनयिकों और विद्वानों सहित चीनी नागरिकों पर वीजा प्रतिबंधों में ढील दी जायेगी, मोबाइल ऐप्स पर प्रतिबंध हटेगा, चीनी पत्रकारों को भारत आने की अनुमति मिलेगी और चीनी सिनेमाघरों में अधिक भारतीय फिल्मों के प्रदर्शन की अनुमति भी दी जायेगी। उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीनी सरकार को यह भी उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले साल शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के लिए चीन का दौरा करेंगे। उन्होंने कहा कि चीनी अधिकारियों का कहना है कि मोदी-जिनपिंग के बीच पांच साल बाद हुई द्विपक्षीय बैठक के बाद दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों, विदेश मंत्रियों और उप विदेश मंत्रियों की बैठकें भी अब होती रहेंगी। उन्होंने कहा कि ब्राजील में होने जा रहे जी-20 शिखर सम्मेलन में दोनों देशों के मंत्रियों और अधिकारियों की वार्ताएं प्रस्तावित हैं।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इस मीडिया रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन सीमा मुद्दे का हल पूरी तरह से निकालने का इच्छुक है। उन्होंने कहा कि चीन की ओर से कहा गया है कि सीमा मुद्दा रिश्ते का केंद्र नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि चीन को समझना चाहिए कि भले वहां की सरकार और जनता के लिए सीमा का मुद्दा प्रमुख नहीं हो लेकिन भारत की सरकार और जनता के लिए सीमा का मुद्दा ही सबसे प्रमुख है। उन्होंने कहा कि देखा जाये तो दोनों पक्षों को आपसी बातचीत के जरिए रिश्ते को आगे बढ़ाने की जरूरत है। दोनों पक्षों को सीमा मुद्दे को सुलझाने और अन्य मुद्दों पर अधिक समन्वय करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की व्हाइट हाउस में वापसी चीन के लिए ज्यादा अच्छी खबर नहीं है इसलिए भी वह भारत के निकट आना चाह रहा है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अगले साल चीन एससीओ का अध्यक्ष होगा और उसे उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसमें भाग लेने के लिए चीन जाएंगे। उन्होंने कहा कि चीन का कहना है कि हमारे प्रधानमंत्री जी20 के लिए भारत गए थे और हमने जी20 घोषणा में भी योगदान दिया और उस पर भारत के साथ काम किया था। उन्होंने कहा कि चीन के साथ संबंधों पर सतर्कता के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है। लेकिन पांच साल के रिश्तों पर गौर करें तो चीन को एक बात स्पष्ट हो गयी है कि यह पुराना भारत नहीं है, अगर आप मिलकर नहीं चलेंगे और एकतरफा ढंग से कार्रवाई करेंगे तो सख्त जवाब तत्काल मिलेगा।

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