By रेनू तिवारी | Oct 26, 2021
भारत के प्रमुख हिंदी समाचार पोर्टल प्रभासाक्षी.कॉम की 20वीं वर्षगाँठ पर आयोजित विचार संगम कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें कई भाजपा सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी जी, आम आदमी पार्टी के सांसद और वरिष्ठ नेता श्री संजय सिंह जी, जनता दल युनाइटेड के प्रधान महासचिव श्री केसी त्यागी जी, कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री अखिलेश प्रताप सिंह जी, युवा नेता व सामाजिक कार्यकर्ता श्री शहजाद जयहिन्द जी और विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष श्री आलोक कुमार जी ने भाग लिया। जैसे-जैसे मतदान की तिथि करीब आती है वैसे-वैसे धर्म बड़ा मुद्दा बनने लगता है। नेतागण भी धर्म स्थलों पर अधिक दिखने लगते हैं, धार्मिक प्रतीकों का प्रदर्शन करने लगते हैं ऐसे में सवाल उठता है कि विकास से ज्यादा धर्म क्यों है राजनीति के नजदीक? इस विषय पर चर्चा हुई।
कार्यक्रम में युवा नेता व सामाजिक कार्यकर्ता शहजाद जयहिन्द ने कहा कि सबसे पहले धर्म और सांप्रदायिकता का मतलब अलग-अलग समझना होगा। धर्म की बात तो महात्मा गांधी भी करते थे। जब भारत में संविधान नहीं था तब भी भारतीय धर्म निरपेक्ष थे क्योंकि यहां दुनिया से फ्रांससी, पारसी जैसे कई अलग-अलग समुदाय के लोग आये और भारत ने सभी समुदाय के लोगों को अपनाया। संविधान बाद में बना है लेकिन भारतीय संस्कृति सदैव पंथ निरपेक्ष रही हैं। कुछ लोगों ने राजनीति के लिए तुष्टीकरण करके धर्म को सांप्रदायिकता से जोड़ दिया गया। धर्म के नाम पर सांप्रदायिकता को फैलाया। राम को भी कांग्रेस ने नकारा जबकि राम को भारत में सांस्कृतिक आदर्श माना जाता है।
सामाजिक कार्यकर्ता शहजाद जयहिन्द ने विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर अजमल-कसाब जैसा आतंकवादी पकड़ा जाता है तो ये सैक्युलर लोग कहते हैं कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता लेकिन कभी कोई मालेगाव जैसी घटना हो जाती है तो आतंकवाद को हिंदू धर्म से जोड़ दिया जाता है। अखलख की लिंचिंग पर खूब बवाल होता है। आर्यन खान की गिरफ्तारी पर नामी पत्रकार मुस्लिम सुपरस्टार का बेटा गिरफ्तार करके खबर बताते हैं तो येह धर्म नहीं यह औछी राजनीति है।