Amarnath Yatra 2024: अमरनाथ गुफा जाने से पहले भगवान शिव ने क्यों किया था इन चीजों का त्याग, जानिए कारण

By अनन्या मिश्रा | May 22, 2024

हिंदू धर्म में अमरनाथ मंदिर को सबसे पवित्र मंदिरों में से एक माना गया है। हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु अमरनाथ मंदिर में बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इस साल 29 जून 2024 से बाबा अमरनाथ की यात्रा शुरू हो रही है। बता दें कि अमरनाथ की यात्रा काफी कठिन और मुश्किलों भरी होती है। वहीं 19 अगस्त को इस यात्रा का समापन हो जाएगा। श्रद्धालुओं में इस यात्रा को लेकर काफी उत्साह देखने को मिलता है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक अमरनाथ धाम में भगवान शिव विराजमान हैं। वहीं जो भी भक्त बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए अमरनाथ पहुंचता है, उसको शुभ फल की प्राप्ति होती है।


आपको बता दें कि अमरनाथ गुफा में प्राकृतिक रूप से बर्फ की शिवलिंग बनती है। इसको बाबा बर्फानी और अमरेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। इस यात्रा के लिए श्रद्धालुओं को लंबी यात्रा और कठिन चढ़ाई करनी पड़ती है। मान्यता के अनुसार, जब एक बार मां पार्वती ने भगवान शिव-शंकर से उनकी अमरता का रहस्य पूछा, तो महादेव ने उनको एक कथा सुनाई। लेकिन इस कथा को सुनाने के लिए वह अमरनाथ गुफा पहुंचे और यहां जाने से पहले कई चीजों का त्याग किया। इसके बाद एकांत में भगवान शिव का मां पार्वती को कथा सुनाई। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि अमरनाथ गुफा जाने से पहले महादेव ने किन-किन चीजों का त्याग किया था।

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इन चीजों को दिया था त्याग

पौराणिक कथा के मुताबिक महादेव ने अमरनाथ गुफा जाने से पहले सर्वप्रथम नंदी का त्याग किया था। जिस स्थान पर भगवान शिव ने नंदी का त्याग किया, उस जगह को वर्तमान समय में पहलगांव नाम से जाना जाता है। फिर उन्होंने जहां पर चंद्रमा का त्याग किया उस स्थान को चंदनवाड़ी नाम से जाना जाता है। इसके बाद भगवान शिव ने सर्प का त्याग को और उस जगह का नाम शेषनाग पड़ा। आखिरी में भगवान भोलेनाथ ने अपनी जटाओं से मां गंगा का त्याग किया। उस स्थान को आज पंचतरणी के नाम से जाना जाता है।


प्राप्त जानकारी के अनुसार, अमरनाथ गुफा में जाने पहले से भगवान शिव ने गणपति बप्पा को महागुण पर्वत पर विराजमान किया। साथ ही भगवान गणेश को यह जिम्मेदारी भी दी कि जब तक वह देवी पार्वती को कथा सुनाएंगे, तब तक कोई गुफा में न आ पाए। बता दें कि अमरनाथ यात्रा के दौरान आज भी इन पवित्र स्थानों के दर्शन होते हैं।

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