By अंकित सिंह | Mar 25, 2023
मानहानि मामले में राहुल गांधी को बड़ा झटका देते हुए सूरत की एक अदालत ने उन्हें 2 साल की सजा सुनाई थी। हालांकि, राहुल गांधी को सुनवाई के दौरान ही जमानत दे दी गई थी। लेकिन 2 साल की सजा की वजह से उन्हें लोकसभा की सदस्यता गवानी पड़ी है। इसको लेकर राजनीति भी जमकर हो रही है। विपक्ष जबरदस्त तरीके से मोदी सरकार और भाजपा का हमलावर है। वहीं, भाजपा भी लगातार इस मामले को लेकर पलटवार कर रही है। इन सबके बीच गिरिराज सिंह ने एक पुराना मुद्दा उठाया है। इतना ही नहीं, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने साफ तौर पर कहा कि राहुल गांधी को लालू यादव की श्राप लग गई है।
अपने बयान में गिरिराज सिंह ने कहा कि राहुल गांधी को लालू प्रसाद यादव का श्राप लगा है। जब चारा घोटाले में आदेश आया था और लालू प्रसाद की सदस्यता जाने वाली थी। उन्होंने कहा कि उस समय राहुल गांधी उनसे नहीं मिलते थे...राहुल गांधी ने तब ऐसे मामले में अपील के प्रावधान से संबंधित अध्यादेश को फाड़ दिया था। लालू जी ने उस समय राहुल गांधी को श्राप दिया था। इससे पहले लालू को किडनी डोनेट करने वाली उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने ट्वीट कर कहा कि भाजपा का चाल चरित्र पापा सब समझते थे। इसीलिए तो 2013 में इन्होंने इस अध्यादेश का विरोध किया था। उन्हें पहले से ही अनुभूति थी। अगर भूल से भी भाजपा सत्ता में आ गई तो, इसी अध्यादेश के बल पर देश के लोकतंत्र को कुचला करेगी और आज वहीं हुआ।
2013 में क्या हुआ था
27 सितंबर 2013 को दोपहर के पौने दो बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राहुल ने अपनी सरकार के खिलाफ बगावत का ऐसा बिगुल फूंका जिसकी चर्चा राजनीति के इतिहास में हमेशा होती रही है। हुल ने मनमोहन सरकार के लाए अध्यादेश पर बोलते हुए कहा था कि ‘मैं आपको बताता हूं कि इस अध्यादेश पर मेरी निजी राय क्या है? यह सरासर बकवास है। इसे फाड़ के फेंक देना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने अध्यादेश की कॉपी फाड़ दी थी। आज से ठीक 10 साल पहले मनमोहन सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को राहुल ने नहीं फाड़ा होता तो उनकी सदस्यता नहीं गई होती। साल 2013 के सितंबर महीने में यूपीए सरकार ने एक अध्यादेश पारित किया था।
इसका मकसद उसी साल जुलाई महीने में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित एक आदेश को निष्क्रिय करना था। जिसमें अदालत ने कहा था कि दोषी पाए जाने पर सांसदों और विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी जाएगी। मनमोहन सरकार पर उस वक्त भ्रष्टाचारियों को बढ़ावा देने के आरोप लगने लगे और कहा गया कि इसी मकसद के लिए ये अध्यादेश लाया गया। उसी वक्त आरजेडी नेता लालू प्रसाद यादव पर भी चारा घोटाले को लेकर अयोग्यता की तलवार लटक रही थी।