By अभिनय आकाश | Sep 10, 2022
2024 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने अपने महासचिव विनोद तावड़े को बिहार का प्रभार सौंपा है। सहयोगी नीतीश कुमार के एनडीए छोड़ राजद के साथ सरकार बनाने के बाद बीजेपी को राज्य की सत्ता से हाथ धोना पड़ा। ऐसे में राज्य के हालात और तावड़े पर भरोसा दिखाना ये दर्शाता है कि केंद्रीय नेतृत्व ने परिणाम देने और जटिल राजनीतिक चुनौतियों से निपटने की उनकी क्षमताओं को पहचाना है। महाराष्ट्र के दिग्गज नेता, जिन्हें पिछले नवंबर में महासचिव के रूप में पदोन्नत किया गया था, इससे पहले हरियाणा के प्रभारी थे। केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनावों में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका सौंपी थी, जहां तावड़े मुख्य समन्वयक थे और उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, एनडीए उम्मीदवार के लिए समर्थन हासिल करने के लिए व्यापक रूप से देश का दौरा किया था।
तावड़े ने कहा कि मैं पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा जी का आभारी हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व और मार्गदर्शन में, हम सभी एक टीम के रूप में काम करते हैं। विनोद तावड़े महाराष्ट्र बीजेपी के वरिष्ठ नेता हैं। ओबीसी समुदाय से आने वाले विनोद तावड़े महाराष्ट्र में देवेन्द्र फडणवीस की सरकार में मंत्री रह चुके हैं। साथ ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री भी विनोद तावड़े रह चुके हैं।
बता दें कि 2019 में तावड़े को मुंबई के बोरीवली में उनके निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा टिकट से वंचित कर दिया गया और पार्टी ने इसके बजाय सुनील राणे को टिकट दिया। इस फैसले से तावड़े को गहरा धक्का लगा था, जो उस समय बोरीवली का प्रतिनिधित्व करने वाले सीटिंग विधायक थे। उनके धैर्य का परिणाम तब मिला जब उन्हें 2020 में राष्ट्रीय सचिव बनाया गया और उन्हें हरियाणा का प्रभार सौंपा गया। एक साल बाद, 2021 में बीजेपी चीफ जेपी नड्डा ने तावड़े को महासचिव बना दिया।
आगे की राह कठिन
2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बिहार प्रभारी के रूप में तावड़े के सामने एक कठिन काम है। केंद्रीय नेतृत्व ने 545 सीटों में से 400 से अधिक सीटों का अत्यधिक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। बिहार में कुल लोकसभा सीटें 40 हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 17, जनता दल (यूनाइटेड) ने 16, लोक जनशक्ति पार्टी ने 6 और कांग्रेस ने 1 सीटें जीती थीं। पिछले महीने बिहार के मुख्यमंत्री और जद (यू) अध्यक्ष नीतीश कुमार ने बीजेपी से अपना गठबंधन तोड़ लिया। राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में परिवर्तित घटनाक्रम से संयोजन भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है। तावड़े को रणनीति बनानी होगी कि पार्टी अपने चुनावी आधार को कैसे बनाए रख सकती है और इसे और बढ़ा सकती है।