By अभिनय आकाश | Dec 09, 2024
कहते हैं इतिहास खुद को दोहराता है, बस किरदार बदल सा जाता है। चार दशक पहले की बात है 2 फरवरी 1982 की रात विद्रोही ग्रुप मुस्लिम ब्रदरहुड के लड़ाकों ने सीरियाई सेना की एक टुकड़ी पर घात लगाकर हमला किया। इस घटना के बाद सीरिया के तत्कालीन राष्ट्रपति हाफिज अल असद और विद्रोही गुटों की लड़ाई ने खूब जोर पकड़ा। सीरिया के खिलाफ शहर में एक विद्रोह पनप उठा। मुस्लिम ब्रदरहुड के लड़ाकों ने सरकारी नेताओं के घरों और ऑफिस पर हमला करना शुरू किया। उनका मकसद हमा शहर पर कब्जा जमाना था। इस विद्रोह का खात्मा करने के लिए हाफिज अल असद ने करीब आठ हजार सैनिकों से हमा शहर की घेराबंदी करा दी और बमबारी का आदेश दे दिया। इस ऑपरेशन को हाफिज अल असद के भाई रिफात अल असद ने लीड किया। सैनिकों ने 27 दिन में शहर को लगभग समतल बना दिया। इसके बाद दो हफ्तों तक घर घर तलाशी और सामूहिक तलाशियां चली। रिपोर्ट बताते हैं कि इसमें करीब 10 हजार से 40 हजार लोग मारे गए। इसके बाद रिफात अल असद को हमा का कसाई कहा जाने लगा। इस घटना के 42 साल बाद मीडिल ईस्ट के देश सीरिया में सरकार के खिलाफ एक बार फिर विद्रोह हो रहा है। मीडिल ईस्ट के देश सीरिया में सरकार के खिलाफ एक बार फिर विद्रोह हो रहा है। कुछ कुछ 1982 की तर्ज पर सीरिया सरकार के खिलाफ एक बार फिर से जोर पकड़ लिया है। इस बार मुस्लिम ब्रदर हुड की जगह हयात तहरीर अल शाम विद्रोही गुट का नेतृत्व कर रही है। वहीं हाफिद अल असद के बेटे बशर अल असद के पास सीरिया की कमान है।
सीरिया के राष्ट्रपति का पता चल गया
सीरिया में विद्रोही गुट यानी रिबेल ग्रुप ने सीरिया के कई शहरों पर कब्जा जमा लिया है। रिबेल ग्रुप ने 7 दिसंबर को कहा कि उन्होंने उत्तरी और मध्य सीरिया के बाद इसके ज्यादातर दक्षिणी हिस्से पर भी कब्जा जमा लिया है। इन सब के बीच सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के शासन को बचाने के लिए वहां की सेना शहर होम्स की रक्षा में लगी थी। तभी 8 दिसंबर को खबर आई कि सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद राजधानी दमिश्क से किसी अज्ञात जगह पर चले गए हैं। हालांकि शुरू में स्पष्ट नहीं हो पाया कि विमान में कौन सवार था। रॉयटर्स ने फ्लाइट रडार की वेबसाइट के हवाले से बताया कि सीरियाई एयर के एक प्लेन ने दमिश्क एयरपोर्ट से लगभग उसी वक्त उड़ान भरी जब राजधानी पर विद्रोहियों के कब्जे की खबर मिली थी। प्लेन ने शुरुआत में सीरिया के तटीय क्षेत्र की तरफ उड़ान भरी। हालांकि प्लेन ने बाद में अचानक यू टर्न लिया और कुछ टाइम तक उड़ता रहा। बाद में वो मैप से गायब हो गया। अंदाजा ये भी लगाया गया कि कहीं हमलावरों ने उनके विमान को मार तो नहीं गिराया है। लेकिन अब ये अपडेट सामने आया है कि बशर अल असद रूस पहुंच गए हैं और अपने परिवार के साथ पहुंचे हैं। अपने परिवार के साथ वो पहुंचे हैं।
पुतिन ने क्यों दी शरण
सेना ने असद के देश छोड़ने की पुष्टि करते हुए कहा कि राष्ट्रपति की सत्ता खत्म हो गई है। सीरिया में विद्रोह के बाद असद रूस पहुंच गए हैं। यहां उन्हें राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने मानवीय आधार पर शरण दे दी है। रूस ने ये भी कहा कि वो सीरिया विवाद के राजनीतिक समाधान का समर्थन करता है। बताया जा रहा है कि रूस और एचटीएस के बीच एक डील के बाद असद रूस पहुंचे। वहीं विद्रोहियों ने रूस को ये आश्वासन दिया कि टाटर्स में रूसी नेवल बेस और रूसी दूतावास को पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी। वहीं वियना में रूस के राजदूत मिखाइल उल्यानोव ने अमेरिका पर बड़ा तंज कसा है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि रूस कठिन परिस्थिति में अपने दोस्तों को धोखा नहीं देता है। मिखाइल ने कहा कि यही रूस और अमेरिका में अंतर है। रूस भले ही चाहे जो दावा करे लेकिन विश्लेषक इससे सहमत नहीं है। वो इसे रूस की प्रतिष्ठा के लिए बड़ा झटका मान रहे हैं। विश्लेषकों का मानना है कि करीब 24 साल के बाद असद के शासन का अंत होना रूस की प्रतिष्ठा के लिए बड़ा झटका है। ये रूस की ही सेना थी जिसके बल पर इतने सालों से असद सरकार में बने हुए थे। उन्होंने कहा कि रूस का सीरिया प्रोजेक्ट फेल हो रहा था, लेकिन मॉस्को के पास इतनी ताकत नहीं बची थी कि वो इसे रोक सके। साल 2015 में हजारों की तादाद में सैनिक भेजकर राष्ट्रपति असद को मजबूत किया था। सीरिया प्रोजेक्ट के रूप में रूस का मकसद था कि वैश्विक ताकत के रूप में खुद को पेश करे। पुतिन के लिए पहली बड़ी चुनौती थी कि पश्चिमी देशों को रूसी ताकत और प्रभुत्व को दिखा सके जो सोवियत के विघटन के बाद धूमिल हो गया था। पुतिन अपने इस मिशन में साल 2017 में सफल हो गए थे। रूसी राष्ट्रपति हमियन बेस पर पहुंच कर ऐलान किया था कि उनका मिशन पूरा हो गया। सीरिया ने सैन्य मदद की एवज में रूस को अपना हमिमेन और टार्टस नेवल बेस 49 सालों की लीज पर दिया। इससे रूस की पूर्वी भूमध्य सागर में पकड़ मजबूत हुई। इससे रूस आसानी से अफ्रीका में अपने सैन्य ठेकेदारों को आसानी से भेजने और बुलाने लगा। असद मीडिल ईस्ट में रूस के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक रहे हैं।
सीरिया अब ईरान के इशारे पर नहीं चलेगा
न्यूज एजेंसी रायटर्स की खबर के अनुसार विद्रोहियों का कहना है किहम सीरियाई लोगों के सामने अपने कैदियों की रिहाई और उनकी जंजीरों को खोलेन की खबर का जश्न मना रहे हैं। हम सेडनाया जेल में अन्याय के युग की समाप्ति की घोषणा करते हैं। इससे पहले विद्रोहियों ने घोषणा की थी कि उन्होंने एक दिन की लड़ाई के बाद ही सीरिया के प्रमुख शहर होम्स पर पूरा कंट्रोल हासिल कर लिया था। सीरिया में असद सरकार को गिराने वाले एचटीएस के सुप्रीम लीडर अबू मोहम्मद अल-जुलानी ने दमिश्क की सबसे पवित्र उमय्यद मस्जिद में भाषण दिया। यह 1300 साल पुरानी मस्जिद दुनिया की सबसे प्राचीन मस्जिदों में से है। जुलानी ने अपने भाषण में कहा कि दमिश्क में विद्रोहियों की जीत से पांच दशकों से कैद लोगों को आजादी मिली है। मिडिल ईस्ट में एक नया इतिहास लिखा गया है। अब सीरिया की जनता ही असली मालिक है। जुलानी ने कहा कि सीरिया में किसी से बदला नहीं लिया जाएगा। सीरिया, सभी सीरियाई लोगों का है। जुलानी ने अपने भाषण में असद को अलावी (शिया) और खुद को सुन्नी जताने की कोशिश की। जुलानी ने ईरान से कहा कि सीरिया में अब उनका हस्तक्षेप खत्म हो गया है। अब सीरिया की सरकार ईरान के इशारे पर नहीं चलेगी।
सीरिया में संघर्ष की पूरी टाइमलाइन
27 नवंबर- सेना और विद्रोहियों के बीच संघर्ष की शुरूआत
1 दिसंबर- सीरिया के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर विद्रोही गुट एचटीएस का कब्जा
5 दिसंबर - एचटीएस ने हमा शहर पर कब्जा किया
6 दिसंबर- दारा में स्थानीय विद्रोही गुट का कब्जा
7 दिसंबर- होम्स पर एचटीएस के लड़ाकों का कब्जा
8 दिसंबर- दमिश्क में विद्रोही लड़ाके घुसे, राष्ट्रपति देश छोड़कर रूस भागे
हालात पर भारत की पैनी नजर
आपको बता दें कि सीरिया में जारी हिंसा के मद्देनजर भारत ने अपने नागिरकों को वहां की यात्रा करने से बचने की सलाह दी है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दमिश्क में भारतीय दूतावास भारतीय समुदाय के संपर्क में है। मंत्रालय ने सीरिया में सत्ता हस्तांतरण की शांतिपूर्ण और समावेशी प्रक्रिया का भी आह्वान किया। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि हम सीरिया में चल रहे घटनाक्रम के मद्देनजर स्थिति पर नजर रख रहे हैं। हम सीरिया की एकता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को संरक्षित करने की दिशा में सभी पक्षों को काम करने की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं। विदेश मंत्रालय ने सीरिया में फंसे भारतीयों की मदद के लिए एक आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर +963 993385973 और ईमेल आईडी hoc.damascus@mea.gov.in जारी की है।