By नीरज कुमार दुबे | Jul 11, 2019
लोकसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस में मचा हाहाकार थमा नहीं है। कांग्रेस अध्यक्ष पद से राहुल गांधी को इस्तीफा दिये हुए 1 महीना हो गया है लेकिन पार्टी अब तक नये अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं कर पाई है और ऐसा लग रहा है कि जैसे इस पार्टी का अब कोई हाईकमान ही नहीं बचा है। अब कोई माई-बाप ही नहीं है तो प्रदेशों में भी कांग्रेस में ऐसी भगदड़ मची है कि पार्टी से संभाले नहीं संभल रही। कर्नाटक संकट को अभी कांग्रेस हल ही नहीं कर पाई थी कि गोवा में अपने 15 विधायकों में से 10 विधायकों के भाजपा में शामिल हो जाने की खबर ने जैसे उसके पैरों तले से जमीन ही खिसका दी है। एक ओर भाजपा लगातार दूसरी बार लोकसभा चुनाव जीत कर राष्ट्रीय स्तर पर अपने संगठन को मजबूत करने में लगी है तो वहीं कांग्रेस में चल रहे पार्टी पद से इस्तीफों के दौर और पार्टी छोड़ने की बढ़ती घटनाओं ने देश की सबसे पुरानी पार्टी को बुरी तरह झकझोर कर रख दिया है।
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महाराष्ट्र
लोकसभा चुनावों के बाद से भाजपा लगातार मजबूत होती जा रही है और 23 मई को जब चुनाव परिणाम आये थे उसके बाद से देखें तो विभिन्न राज्यों से अलग-अलग पार्टियों के सांसदों, विधायकों, पार्षदों, पंचायत सदस्यों के भाजपा में शामिल होने की होड़ लगी है। सबसे पहले तेलुगु देशम पार्टी के चार सांसद और फिर इंडियन नेशनल लोकदल के एकमात्र राज्यसभा सांसद भाजपा में शामिल हुए। उसके बाद पश्चिम बंगाल में सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस के तीन विधायक और माकपा का एक विधायक भाजपा में शामिल हो गये। महाराष्ट्र जहां इस साल के अंत तक चुनाव होने हैं वहां विधानसभा में विपक्ष के नेता और वरिष्ठ कांग्रेस नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गये और देवेंद्र फडणवीस सरकार में कैबिनेट मंत्री बन गये। कांग्रेस विधायक अब्दुल सत्तार ने भी भाजपा में शामिल होने के लिए पार्टी छोड़ दी। महाराष्ट्र के बारे में दावा किया जा रहा है कि विधानसभा चुनावों की घोषणा से पहले कांग्रेस-राकांपा के 25 विधायक भाजपा में शामिल हो सकते हैं।
गुजरात
कांग्रेस को अगला झटका गुजरात में लगा जहां राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद पार्टी विधायक अल्पेश ठाकोर व धवल सिंह झाला ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है और अब वह भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि पार्टी का एक और विधायक इस समय कांग्रेस से नाराज चल रहा है।
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कर्नाटक
कर्नाटक में इस समय जो नाटक चल रहा है उसके सूत्रधार कांग्रेस के विधायक ही हैं। पार्टी के 10 विधायकों ने एक साथ विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर कुमारस्वामी सरकार को मुश्किल में डाल दिया। जैसे-जैसे यह नाटक लंबा खिंचता गया वैसे-वैसे इस्तीफा देने वाले विधायकों की संख्या बढ़ती रही। कहा जा रहा है कि राज्य विधानसभा में कांग्रेस के 12, जनता दल सेक्युलर के तीन और दो निर्दलीय विधायक अपनी अपनी पार्टियों का साथ छोड़ भाजपा के साथ जाने को तैयार हैं।
गोवा
अभी कर्नाटक में चल रहे सियासी घटनाक्रम से कांग्रेस संघर्ष ही कर रही थी कि छोटे से राज्य गोवा में सबसे बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम हो गया। वहां पार्टी के कुल 15 विधायक थे लेकिन 10 विधायकों ने गुपचुप तरीके से पाला बदल कर भाजपा का दामन थाम लिया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताते हुए संसद परिसर में धरना दिया लेकिन यहां वह यह भूल गये कि जब इन लोगों ने अपनी पार्टी को मझधार में छोड़ दिया है तो कोई राजनीति में डूबने के लिए तो आया नहीं है, जहां उसे शरण मिलेगी वहां जायेगा ही। आज कांग्रेस जिसको लोकतंत्र की हत्या बता रही है वह वर्षों से इस तरह के खेल आयोजित कर उसका बड़े मजे से आनंद लेती रही है।
-नीरज कुमार दुबे