लखनऊ।
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष एवं
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री
अखिलेश यादव ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि
कोरोना वायरस की महामारी के दौर में नियंत्रण कक्ष में बैठे अधिकारी न तो किसी का फोन उठा रहे हैं और न ही परेशान लोगों की फरियाद सुन रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से सवाल किया कि वह इन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी मुख्यालय से जारी एक बयान में अखिलेश यादव ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री लापरवाह अधिकारियों के साथ कड़ाई के रोज ही बयान देते हैं लेकिन राजधानी लखनऊ में ही कोविड-19 नियंत्रण कक्ष में बैठे अफसर न फोन उठा रहे हैं और न ही मिल रहे हैं। परेशान लोगों की गुहार सुनने वाला कोई नहीं, उन पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है।
यादव ने कहा, ‘‘ऑक्सीजन के अभाव में, भर्ती न हो पाने से जो मर गए उन सबकी अस्वाभाविक मौत के लिए किसी डीएम-एसपी पर मुख्यमंत्री ने कार्रवाई क्यों नहीं की, दिखावे के लिए बहाना ढूंढा जाता है, प्रशासन तो बेलगाम है, मुख्यमंत्री का भी नियंत्रण कहीं नहीं रह गया है। उन्होंने दावा किया कि
भाजपा जिस अमानवीय चरित्र का परिचय दे रही है, राज्य की जनता इसे कभी माफ नहीं कर सकती है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘महामारी के इस दौर में भाजपा सरकार का कोई भी तंत्र-मंत्र काम नहीं कर रहा है, जिंदगियां दम तोड़ रही हैं, लोग तड़प कर मर रहे हैं और इस अमानवीय स्थिति में भी दवाओं, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और बिस्तर की आपूर्ति के बहाने कुछ लोग कालाबाजारी में जुट गए हैं, प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है।’’
उन्होंने कहा कि प्रदेश भर में स्वास्थ्य प्रणाली ध्वस्त है और इस अव्यवस्था के लिए भाजपा सरकार ही पाप की भागी है। यादव ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा का आपदा को अवसर में बदलने का काम धड़ल्ले से हो रहा है और निजी अस्पतालों में महंगी दरों पर भर्ती हो रही है, ऑक्सीजन की बाजार में भारी कमी है। आवश्यक दवाएं और इंजेक्शन अस्पतालों में नहीं है पर चोर बाजार में हर चीज उपलब्ध है।’’ पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार ने जो स्वास्थ्य व्यवस्था बनाई थी उसे भी द्वेषवश भाजपा सरकार ने कमजोर कर दिया।