By नीरज कुमार दुबे | Feb 22, 2024
मोदी सरकार ने तीनों सेनाओं को आत्मनिर्भर बनाने, उन्हें आधुनिक सैन्य साजो सामान से लैस करने और नई-नई वैश्विक चुनौतियों से सबक लेते हुए रणनीतियां तैयार रखने की दिशा में काफी प्रयास किये हैं। आज दुश्मन कोई हरकत कर दे तो हमारी सेना उसको घर में घुसकर मारती है, दुश्मन कोई हरकत कर दे तो हमारे वायुसैनिक हजारों किलो के बम उस पर गिरा कर उसका समूल नाश कर देते हैं, यही नहीं हमारे लड़ाकू विमान यदि सीमा के आसपास थोड़ा टहल भी आयें तो उनकी गड़गड़ाहट से दुश्मन की आत्मा कांप जाती है। हमारी नौसेना भी समुद्र में सुरक्षा से लेकर समुद्री डाकुओं से मुकाबला करने तक के कार्यों को बखूबी अंजाम दे रही है। नौसेना की ताकत में और इजाफा करने के लिए मोदी सरकार तमाम कदम उठा रही है। देखा जाये तो वर्तमान में समुद्र में खतरा बढ़ता जा रहा है इसलिए मोदी सरकार ने भारतीय नौसेना की शक्ति में और इजाफा करने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। नौसेना की शक्ति में इजाफे का मकसद सिर्फ समुद्री डकैतों से लड़ना नहीं बल्कि चीन द्वारा खड़ी की जा रही चुनौतियों का मुकाबला करना भी है।
हम आपको बता दें कि सुरक्षा मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति ने नौसेना के युद्धपोतों पर तैनाती के लिए 200 से अधिक विस्तारित दूरी वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की खरीद को मंजूरी दे दी है। बुधवार शाम को हुई बैठक में करीब 19,000 करोड़ रुपये की इस डील को मंजूरी दे दी गई। बताया जा रहा है कि ब्रह्मोस एयरोस्पेस और रक्षा मंत्रालय के बीच मार्च के पहले सप्ताह में अनुबंध पर हस्ताक्षर किया जा सकता है। हम आपको बता दें कि ब्रह्मोस एयरोस्पेस भारत और रूस का संयुक्त उद्यम है जोकि सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का उत्पादन करता है जिन्हें पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों या भूमि पर स्थित प्लेटफार्मों से लॉन्च किया जा सकता है।
हम आपको बता दें कि ब्रह्मोस कॉर्पोरेशन द्वारा ब्रह्मोस मिसाइल का महत्वपूर्ण रूप से स्वदेशीकरण किया जा रहा है। इस मिसाइल को जल्द ही फिलीपींस को भी निर्यात करने की तैयारी है, जोकि इसका पहला वैश्विक ग्राहक है। इसके अलावा दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र के कई देशों ने भी इस मिसाइल प्रणाली में गंभीर रुचि दिखानी शुरू कर दी है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्धारित 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में भी काम कर रहा है।
जहां तक समुद्री सुरक्षा को लेकर सरकार के आश्वासन की बात है तो आपको बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत सभी मालवाहक जहाजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रणनीतिक जलक्षेत्र में निरंतर उपस्थिति बनाए हुए है और वह क्षेत्र के सामूहिक कल्याण को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी खतरे का मुकाबला करने से पीछे नहीं हटेगा। विशाखापत्तनम में मिलन नौसैनिक अभ्यास के औपचारिक उद्घाटन समारोह में उनकी टिप्पणी यमन के हुती विद्रोहियों द्वारा लाल सागर में विभिन्न वाणिज्यिक जहाजों पर हमले किए जाने से बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बीच आई। राजनाथ सिंह ने कहा, "हम ऐसे किसी भी खतरे का मुकाबला करने से पीछे नहीं हटेंगे जो हमारे सामूहिक कल्याण को नुकसान पहुंचाता हो, जिसमें समुद्री डकैती और तस्करी शामिल है।"
हम आपको यह भी बता दें कि हाल ही में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने भी कहा था कि भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में सुरक्षा को नुकसान नहीं पहुंचने देगी और अगर समुद्री डकैती का प्रयास किया गया तो वह ‘‘बहुत कड़ा’’ सबक सिखाएगी। उन्होंने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र में बड़ी संख्या में पोत तैनात हैं और तीन से चार पोत सोमालिया के पास हैं। नौसेना प्रमुख ने कहा था कि भारतीय नौसेना संकट में फंसे भारतीयों और अन्य लोगों की सुरक्षा के लिए उत्तरी अरब सागर और लाल सागर में भी ड्रोन विरोधी अभियान चला रही है। उन्होंने कहा था कि भारतीय नौसेना समुद्री डकैती की कोई भी जानकारी मिलने पर कड़ी कार्रवाई कर रही है।
उन्होंने कहा था कि भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री डकैती से निपटने के लिए मित्र देशों की नौसेनाओं के साथ मिलकर काम करती है। उन्होंने कहा था कि अभी, हम बड़े पैमाने पर सूचना एक-दूसरे को आदान-प्रदान करने के माध्यम से प्राप्त करते हैं। हम हिंद महासागर क्षेत्र में सबसे बड़ी ‘रेजीडेंट’ नौसेना शक्ति हैं और हम किसी को भी इस क्षेत्र में सुरक्षा एवं स्थिरता को बाधित नहीं करने देंगे। नौसेना प्रमुख ने कहा था कि हम कह चुके हैं कि समुद्री डकैती नहीं होगी और हम समुद्री डकैती करने की कोशिश करने वाले हर व्यक्ति को बहुत कड़ा सबक सिखाएंगे।