'कांग्रेस को भारत से जोड़ो यात्रा' नाम रखते राहुल गांधी तो ज्यादा अच्छा रहता

By मृत्युंजय दीक्षित | Sep 15, 2022

स्वयं को पुनर्जीवित करने के लिए कांग्रेस अपने नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में कश्मीर से कन्याकुमारी तक 145 दिन की यात्रा पर निकली है और इसे नाम दिया है, भारत जोड़ो यात्रा। विडम्बना यहीं से प्रारंभ होती है– उद्देश्य है दिन प्रतिदिन बिखरती कांग्रेस को कुछ संजीवनी देना और इसी बहाने एक बार फिर राहुल को लांच करना और नाम है भारत जोड़ो जबकि होना चाहिए था कांग्रेस जोड़ो। “कांग्रेस को भारत से जोड़ो” नारा होता तो भी बात बन जाती।

  

कांग्रेस पार्टी की यह यात्रा कहाँ, क्या और कितना जोड़ पाएगी यह तो समय बतायेगा लेकिन पिछले पांच दिनों में इस यात्रा ने कांग्रेस का असली चरित्र अवश्य बेनकाब किया है। राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पूरी तरह एक हिंदू और सनातन संस्कृति विरोधी पार्टी बन चुकी है इसमें टुकड़े-टुकड़े गैंग तथा हम लेकर रहेंगे आजादी के नारे लगाने वाले लोगों की भर्ती हो चुकी है। आन्दोलन जीवी भी इसमें स्थान पा रहे हैं। राहुल गांधी इस यात्रा के माध्यम से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को समाप्त करने का दिवास्वप्न भी देख रहे हैं।

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भारत जोड़ो का नारा देकर यात्रा पर निकले राहुल गांधी की कांग्रेस ट्वीट करके संघ को 145 दिन में जलाकर भस्म करने की भविष्यवाणी कर रही है। राहुल गांधी संभवतः यह भूल गए हैं कि स्वर्गीय जवाहर लाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी और राजीव गांधी सहित तमाम सेकुलर नेता संघ को समाप्त करने का सपना देखते रहे किंतु स्वयंसेवकों की कड़ी मेहनत और राष्ट्रवादी विचारधारा के बल पर संघ आज एक विशाल वटवृक्ष बन चुका है जो राहुल गांधी की 145 दिन की यात्रा के समापन के बाद भी वैसे ही खड़ा रहेगा।


संघ-भाजपा और कांग्रेस के बीच विवाद उस समय गहरा गया जब भारत जोड़ो यात्रा के पांचवें दिन कांग्रेस ने एक फोटो ट्वीट किया और लिखा, ''भारत को नफरत की जंज़ीरों से मुक्त कराने और भाजपा-संघ द्वारा किये गये नुकसान की भरपाई के लिए हम एक-एक कदम आगे बढ़ रहे हैं। आगे लिखा, “145 दिन और” साथ लगाए गए फोटो में संघ के गणवेष में आग लगी हुई है और उसमें से धुआं उठ रहा है। यद्यपि अब  निकर संघ का गणवेश नहीं रहा किन्तु कांग्रेस की मंशा स्पष्ट हो गयी है।


राहुल गांधी के केरल में प्रवेश करते ही कांग्रेस ने संघ पर आपत्तिजनक ट्वीट किया है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इसके माध्यम से राहुल और कांग्रेस केरल के कट्टरपंथी मुसलमानों को खुश करना चाहते हैं। दरअसल ऐसा करके राहुल नेहरू जी के पदचिन्हों का ही अनुसरण कर रहे हैं। नेहरू जी ने भी आजादी के ठीक बाद दक्षिण भारत में संघ को दबाने और मुस्लिम लीग को आगे बढ़ाने का काम किया था। नेहरू ने तत्कालीन मद्रास प्रांत जिसमें वर्तमान तमिलनाडु, आंध्र, कर्नाटक और केरल आता था, की सरकार पर ये दबाव बनाया था कि वो संघ पर प्रतिबंध लगाये वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम लीग को खुली छूट दी जाए। आजादी के ठीक छह महीने बाद से ही नेहरू जी ने संघ को समाप्त करने के षड्यंत्र करने प्रारंभ कर दिए थे। आज उन्हीं के परनाती राहुल गांधी 145 दिन बाद संघ को समाप्त करने का सपना देख रहे हैं। राहुल गांधी की कांग्रेस ने जिस प्रकार से खाकी निकर पर आग लगाई है वैसी आग तो कांग्रेस वास्तव में लगाती रही है जिसमें 1984 के सिख दंगों से लेकर, बिहार का भागलपुर दंगा, उप्र का मेरठ दंगा सहित तमाम ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं जिनसे पता चलता है कि कांग्रेस कितनी अधिक नफरतों से भरी पड़ी हुई है। देश में नफरत का जो भी बचा खुचा व्यापार है वह पूरा का पूरा कांग्रेस के गांधी परिवार के नेतृत्व में ही चल रहा है जिसमें सिर तन से जुदा अभियान भी शामिल है।

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इसके पूर्व इसी यात्रा के दौरान राहुल गांधी तमिलनाडु में कन्याकुमारी में एक ऐसे ईसाई पादरी जार्ज पोन्नैया से मुलाकात करते हैं जो हिंदू देवी देवताओं का अपमान करता रहता है। दोनों की मुलाकात का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें ईसाई पादरी जार्ज पोन्नैया ईसा मसीह को सच्चा भगवान बताते हुए मां शक्ति समेत अन्य सभी देवताओं को निम्नस्तर का बता रहा है और चुनावों के दौरान मंदिर-मंदिर जाने वाले राहुल गांधी उसको बड़े ध्यान से सुन रहे हैं। इस वीडियो के वायरल होने के बाद भाजपा व संत समाज का हमलावर होना स्वाभाविक था। संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने पादरी द्वारा सनातन धर्म को लेकर की गई टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति व्यक्त करते हुए संस्था के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कहा कि राहुल गांधी नें पादरी के बयान की निंदा नहीं कि यह कष्टकारी है। वह जन्मजात ईसाई हैं, उनके अंदर हिंदुत्व नहीं है अन्यथा वह इसका विरोध करते। हिंदू समाज उन्हें सबक सिखाएगा। यीशु सनातन धर्मावलंबियों के ईश्वर नहीं हो सकते। 


ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि कांग्रेस नेताओं ने हिंदुओं की भावनाओं को आहत किया है। गांधी परिवार कई बार भगवान राम सहित हिंदू देवताओं का सबूत मांग चुका है। यह वही गांधी परिवार व कांग्रेस के नेता हैं जो रामायण व महाभारत को केवल एक साधारण महाकाव्य ही मानते हैं। यह वही कांग्रेस के नेता हैं जिनके मार्गदर्शन में मां काली का अपमान किया जाता है, यह वही कांग्रेस के लोग हैं जिनके मार्गदर्शन  में दिवंगत मकबूल फिदा हुसैन जैसे लोग हिंदू देवी-देवताओं की नंगी तस्वीरें बनाकर व प्रदर्शनी लगवाकर उनका अपमान करते रहते हैं। यह वही राहुल गांधी हैं जिन्होंने अभी हाल ही में हिंदू बनाम हिन्दुत्व पर बहस छेड़कर हिंदू समाज को खंड-खंड करने की घृणित साजिश रची थी। राहुल गांधी ने जिस ईसाई पादरी से मुलाकात करी है वह पहले भी हिंदू धर्म के खिलाफ नफरती बयान देता आया है। यह पादरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ भी जहरीली बयानबाजी कर चुका है।


भारत जोड़ो यात्रा के रूट पर विहंगम दृष्टि डालें तो पता चल जायेगा कि कांग्रेस के असली मंसूबे क्या हैं। राहुल गांधी की यह यात्रा पूरी तरह तुष्टिकरण के लिए है क्योंकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी 20 लोकसभा सीटों वाले राज्य केरल में तो 18 दिन रहेंगे लेकिन 80 सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश में सिर्फ चार दिनों की यात्रा करेंगे और सबसे बड़ी बात यह है कि उनकी यात्रा में हिंदू आस्था के सबसे बड़े केंद्र अयोध्या, मथुरा और काशी शामिल नहीं हैं। स्पष्ट है कि अयोध्या में भगवान श्रीराम का जो भव्य मंदिर बन रहा है तथा मथुरा और काशी जो नई अंगड़ाई ले रहे हैं वह कांग्रेस को रास नहीं आ रहा है। गांधी परिवार व कांग्रेस में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, हिंदू समाज, सनातन संस्कृति के विरुद्ध घृणा कूट कूट कर भरी हुई है इनका मंदिर-मंदिर जाना भी एक बड़ा धोखा व झूठ ही है। कांग्रेस की यह यात्रा बेरोजगारी और महंगाई के खिलाफ आक्रोष रैली के साथ शुरू हुई थी और आग लगाने पर सिमट रही है। वास्तव में कांग्रेस की यह यात्रा भारत जोड़ो नहीं वरन विवाद बटोरो यात्रा बनती जा रही है। 


-मृत्युंजय दीक्षित

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