दिल्ली के रामलीला मैदान में अन्ना के मंच से ईमानदारी का दंभ भरकर मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल करने वाले अरविंद केजरीवाल आज सवालों के घेरे में हैं। जंतर-मंतर पर अपनी पार्टी का ऐलान करते समय गाड़ी, बंगला और सुरक्षा लेने से इनकार करने वाले केजरीवाल ने सत्ता में आने के बाद किस तरह यूटर्न लिया ये दिल्ली ही नहीं देश का बच्चा-बच्चा जानता है।
चलिए हम गाड़ी-बंगला की बात नहीं करते, ना ही उनके काम करने के तरीके पर। दिल्ली की जनता को केजरीवाल सिर्फ इतना बता दें कि शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट में उनकी सरकार पर जो सवाल उठाए गए हैं वो सच है या गलत?
केजरीवाल सरकार के फैसलों की जांच के लिए बनी शुंगलू कमेटी ने 101 पन्नों की रिपोर्ट में केजरीवाल सरकार को पूरी तरह कठघरे में खड़ा कर दिया है। 404 फाइलों की जांच के बाद कमेटी ने जो रिपोर्ट सौंपी है उसके बाद से केजरीवाल सरकार की बोलती बंद है।
देश के सबसे ईमानदार नेता का दावा करने वाले केजरीवाल ने सत्ता में आने पर अपने करीबियों को किस तरह रेवड़ियां बांटीं ये सब शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट में है। मोहल्ला क्लीनिक के सलाहकार पद पर अपने मंत्री सत्येंद्र जैन की बेटी की नियुक्ति, विधायक अखिलेश त्रिपाठी को गलत तरीके से टाइप 5 बंगले का आवंटन, दिल्ली महिला आयोग का अध्यक्ष बनने से पहले स्वाति मालीवाल को बंगला, केजरीवाल के रिश्तेदार निकुंज अग्रवाल को स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का ओएसडी बनाना....आरोपों की फेहरिस्त लंबी है...लेकिन केजरीवाल सरकार के पास वही पुरान जवाब...हमने कुछ गलत नहीं किया।
शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट पर घिरी केजरीवाल सरकार के दामन पर और भी कई दाग लगे हैं। दिल्ली के उपराज्यपाल ने दिल्ली के मुख्य सचिव से कहा है कि वो सरकारी विज्ञापनों पर केजरीवाल सरकार के खर्च किए गए 97 करोड़ की राशि आम आदमी पार्टी से वसूले। एलजी के मुताबिक विज्ञापन में जिस तरह से केजरीवाल को प्रोजेक्ट किया गया वो सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन है। सवाल उठता है कि क्या ये वही केजरीवाल हैं...जिन्होंने देश को भ्रष्ट राजनीति से मुक्त कराने का संकल्प लिया था...बात-बात पर बीजेपी और कांग्रेस को बेईमान बताने वाले केजरीवाल क्या अब भी लोगों को ईमानदारी का पाठ पढ़ाएंगे।
कभी केजरीवाल को अपना चेला बताने वाले अन्ना हजारे की मानें तो शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट में केजरीवाल के खिलाफ आरोपों को देखकर उन्हें काफी दुख हुआ है। अन्ना ने भगवान का शुक्रिया करते हुए कहा कि अच्छा हुआ मैंने शुरुआत से ही आम आदमी पार्टी से दूरी बना ली, नहीं तो मेरी प्रतिष्ठा मिट्टी में मिल गई होती। लेकिन क्या इतना कह देने से अन्ना बच जाएंगे...जो अन्ना भ्रष्टाचार को लेकर महीनों अनशन पर बैठे रहते थे वो केजरीवाल के खिलाफ मुहिम नहीं छेड़ेंगे? दुख सिर्फ अकेले अन्ना को नहीं हुआ है...दुख मेरे जैसे हजारों लोगों हुआ है जिन्हें केजरीवाल में कुछ नया दिखा था...हमें ये उम्मीद जगी थी कि केजरीवाल हमें उन राजनेताओं की भीड़ से अलग ले जाएगा जो ईमानदारी का चोला पहन देश को लूटते हैं....चलिए देर से ही सही हम सभी का भ्रम टूट गया।
मनोज झा
(लेखक एक टीवी चैनल में वरिष्ठ पत्रकार हैं)