अपना पिंड छुड़ाने के लिए अफगानिस्तान को अराजकता की भट्टी में झोंक रहा है अमेरिका

By डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Aug 01, 2019

एक तरफ तालिबान को पटाने के लिए अमेरिका इमरान खान को फुसलाने की कोशिश कर रहा है और दूसरी तरफ तालिबान ने अफगानिस्तान में उप-राष्ट्रपति के उम्मीदवार अमरुल्लाह सालेह पर हमला बोल दिया है। सालेह राष्ट्रपति हामिद करजई के दौर में अफगानिस्तान के गुप्तचर विभाग के मुखिया थे। कुछ वर्षों पहले वे काबुल होटल में मुझसे मिलने आए थे और मैंने उनका रवैया भारत के बारे में काफी मित्रतापूर्ण पाया था। यह अच्छा हुआ कि उनकी जान बच गई। वे घायल हुए और उनके 20 साथी मारे गए।

 

यहां प्रश्न यही है कि सालेह पर हुए हमले का अर्थ क्या निकाला जाए ? पहली बात तो यह कि सालेह खुद तालिबान के सख्त विरोधी हैं। उन्होंने गुप्तचर विभाग के प्रमुख के तौर पर कई ऐसे कदम उठाए हैं, जिन पर पाकिस्तान ने काफी नाराजी जाहिर की। वे वर्तमान राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। उन पर जानलेवा हमले का अर्थ यह हुआ कि पाकिस्तान और तालिबान नहीं चाहते कि सितंबर में होने वाले चुनाव तक गनी और सालेह-जैसे लोग जिंदा भी रहें। वे इस चुनाव को एक फिजूल की हरकत समझ रहे हो सकते हैं। यदि तालिबान से अमेरिका और पाकिस्तान बात कर रहे हैं तो वह बात इसीलिए हो रही है कि काबुल की सत्ता उन्हें कैसे सौंपी जाए ?

इसे भी पढ़ें: पाकिस्तान के अन्य नेताओं की अपेक्षा ज्यादा हिम्मती नजर आ रहे हैं इमरान खान

यदि सत्ता उन्हें ही सौंपी जानी है तो चुनाव का ढोंग किसलिए किया जा रहा है ? अमेरिका और पाकिस्तान ने तालिबान को चुनाव लड़ने के लिए अब तक तैयार क्यों नहीं किया ? यों भी आधे अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा है। यदि तालिबान सचमुच अपने पांव पर खड़े होते और लोकप्रिय होते तो उन्हें चुनाव से परहेज क्यों होता ? अमेरिका और पाकिस्तान, दोनों को यह गलतफहमी है कि तालिबान का राज होने पर अफगानिस्तान में शांति हो जाएगी। ज्यादातर तालिबान लोग गिलजई पठान हैं। उनके शीर्ष नेताओं से मेरा काबुल, कंधार, लंदन और वाशिंगटन में कई बार संपर्क रहा है। उनके सत्तारुढ़ होने पर उनकी स्वायत्ता पाकिस्तान पर बहुत भारी पड़ सकती है। वे स्वतंत्र पख्तूनिस्तान की मांग भी कर सकते हैं। इसके अलावा तालिबान के लौटने की जरा भी संभावना बनी नहीं कि काबुल, कंधार, हेरात, मज़ारे-शरीफ जैसे शहर खाली हो जाएंगे। अमेरिका अपना पिंड छुड़ाने के लिए अफगानिस्तान को अराजकता की भट्टी में झोंकने पर उतावला हो रहा है।

 

-डॉ. वेदप्रताप वैदिक

 

प्रमुख खबरें

Manipur में फिर भड़की हिंसा, कटघरे में बीरेन सिंह सरकार, NPP ने कर दिया समर्थन वापस लेने का ऐलान

महाराष्ट्र में हॉट हुई Sangamner सीट, लोकसभा चुनाव में हारे भाजपा के Sujay Vikhe Patil ने कांग्रेस के सामने ठोंकी ताल

Maharashtra के गढ़चिरौली में Priyanka Gandhi ने महायुति गठबंधन पर साधा निशाना

सच्चाई सामने आ रही, गोधरा कांड पर बनी फिल्म The Sabarmati Report की PMModi ने की तारीफ