चिराग के 'मोदी तुझसे बैर नहीं, नीतीश तेरी खैर नहीं' नारे से किसको मिलेगा फायदा तो JDU को कितना होगा नुकसान ?

By अनुराग गुप्ता | Oct 05, 2020

पटना। लंबे समय से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराज चल रही लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने अकेले चुनाव लड़ने की इच्छा प्रकट की है। वहीं, दूसरी तरफ नीतीश कुमार और भाजपा के बीच सैद्धांतिक तौर पर सीट बंटवारे पर सहमति बन गई है और जल्द ही सीटों के बंटवारे का ऐलान किया जा सकता है। रविवार को लोक जनशक्ति पार्टी प्रमुख चिराग पासवान ने एनडीए का हिस्सा रहते हुए जेडीयू के खिलाफ उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया है। 

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सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक लोजपा राज्य की उन 143 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े कर सकती है जो जेडीयू के हिस्से वाली सीटें हैं। हालांकि, लोजपा ने यह भी दावा किया है कि उनके इस कदम से जेडीयू को खासा नुकसान सहना पड़ेगा और फिर चुनाव के बाद भाजपा के साथ मिलकर वह प्रदेश में सरकार बना लेगी।

50-50 फॉर्मूला होगा लागू

सूत्रों ने बताया कि बिहार विधानसभा चुनाव के लिए जेडीयू और भाजपा के बीच आपसी सहमति बन गई है। दोनों पार्टियां आधी-आधी सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। 243 विधानसभा सीटों वाले राज्य में भाजपा और जेडीयू 119-119 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकते हैं। बाकी की बची हुई पांच सीटों को पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के लिए छोड़ा गया है। शनिवार को भाजपा और जेडीयू के बीच हुई लंबी बातचीत के बाद इस फॉर्मूले पर सहमति बनी है जिसे तय माना जा रहा है। हालांकि, अभी तक इसकी औपचारिक घोषणा नहीं हुई है। 

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मोदी तुझसे बैर नहीं, नीतीश तेरी खैर नहीं

लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के नई दिल्ली स्थित आवास पर रविवार को पार्टी के केंद्रीय संसदीय बोर्ड की बैठक हुई। इस बैठक के बाद ये बात निकलकर सामने आई कि लोजपा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में प्रदेश विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। लोजपा के प्रधान महासचिव अब्दुल खालिक ने कहा कि कई सीटों पर जदयू के साथ वैचारिक लड़ाई हो सकती है ताकि उन सीटों पर जनता निर्णय कर सके कौन सा प्रत्याशी प्रदेश के हित में बेहतर है।

इसी बीच लोजपा ने चुनाव में नारा दिया है कि मोदी तुझसे बैर नहीं, नीतीश तेरी खैर नहीं। सूत्रों ने बताया कि अकेले चुनाव लड़ रही लोजपा भाजपा के उन उम्मीदवारों को भी टिकट दे सकती है जिन्हें जेडीयू की वजह से चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिल रहा है। इसके साथ ही वह चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मागेगी। 

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राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि जेडीयू और लोजपा के बीच हो मतभेद का फायदा महागठबंधन को हो सकता है और वह इस मौके को भुनाने की भी कोशिश करेंगे। इसके पीछे तथ्य ये दिया जा रहा है कि जब जेडीयू के साथ लोजपा की सीधी टक्कर होगी तो एनडीए का वोट बैंक इन्हीं दोनों पार्टियों के बीच में बट सकता है। ऐसे में महागठबंधन को अंत में फायदा मिलने की संभावना दिखाई दे रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कांग्रेस के एक नेता ने इस मुद्दे पर अपनी राय देते हुए कहा कि जिन सीटों पर चिराग और नीतीश कुमार के उम्मीदवार होंगे वहां पर महागठबंधन को बेहतर मौका मिलेगा। हालांकि, लोजपा भी यह मान रही है कि इससे जेडीयू को अधिक नुकसान होगा। 

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भाजपा को हो सकता है फायदा

लोजपा के इस कदम से भाजपा को फायदा मिल सकता है और पहले की तुलना में वह और भी ज्यादा मजबूत हो सकती है। इसके अतिरिक्त बिहार में भाजपा के मुख्यमंत्री बनने की भी संभावना बन सकती है जो अंतत: उनका लक्ष्य है। लोजपा ने यह तो स्पष्ट कर ही दिया है कि वह चुनाव बाद भाजपा के साथ गठबंधन कर सरकार बना लेगी। लेकिन यह जेडीयू को नुकसान होगा क्योंकि अभी तक लोजपा ने जेडीयू के साथ मिलकर चुनाव तो नहीं लड़ा है।

भाजपा और जेडीयू मिलकर कर सकते हैं प्रचार

लोजपा द्वारा उठाए गए इस कदम के बाद जेडीयू भाजपा पर संयुक्त रूप से कुछ विधानसभा सीटों पर प्रचार करने का दबाव बना सकती है। जिसका मतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार एकसाथ एक मंच में नजर आएंगे। इससे एनडीए के वोट बटने की उलझन समाप्त हो जाएगी और मतदाता भाजपा-जेडीयू के गठबंधन को ही अपना वोट देंगे।

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