DY Chandrachud के बाद किसके हाथों में होगी SC की कमान, CJI ने भेजा इनके नाम का प्रस्ताव

By रितिका कमठान | Oct 17, 2024

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) चंद्रचूड़ जल्द ही अपने पद से हटने वाले है। इससे पहले डीवाई चंद्रचूड़ ने औपचारिक रूप से सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को अपने उत्तराधिकारी के रूप में प्रस्तावित किया है। केंद्र सरकार को भेजे पत्र में मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि वह 10 नवंबर को अपना पद छोड़ रहे हैं। ऐसे में न्यायमूर्ति खन्ना उनके उत्तराधिकारी होंगे।

 

सरकार की मंजूरी मिलने पर जस्टिस खन्ना भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश बन जाएंगे। उनका कार्यकाल छह महीने का होगा, जो 13 मई, 2025 को समाप्त होगा और उसके बाद उनकी सेवानिवृत्ति होगी। यह पत्र परंपरा के अनुसार लिखा गया है, जिसमें भारत के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को उत्तराधिकारी नामित करते हैं। इसके बाद केंद्र सरकार सिफारिश को मंजूरी देती है।

 

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर, 2022 को सीजेआई का पदभार संभाला। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होते हैं। 14 मई 1960 को जन्मे न्यायमूर्ति खन्ना ने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में पंजीकरण कराया और शुरुआत में तीस हजारी परिसर स्थित जिला अदालतों में तथा बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय और न्यायाधिकरणों में वकालत की।

 

वर्ष 2005 में उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया तथा 2006 में उन्हें स्थायी न्यायाधीश बनाया गया। न्यायमूर्ति खन्ना को 18 जनवरी, 2019 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, जन्म 11 नवंबर 1959, एक भारतीय न्यायविद हैं, जो नवंबर 2022 से सेवारत भारत के 50वें और वर्तमान मुख्य न्यायाधीश हैं।

 

उन्हें मई 2016 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया और इससे पहले उन्होंने 2013 से 2016 तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और 2000 से 2013 तक बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में भी कार्य किया। सीजेआई चंद्रचूड़ ने दिल्ली विश्वविद्यालय और हार्वर्ड विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की है और उन्होंने सुलिवन एंड क्रॉमवेल और बॉम्बे उच्च न्यायालय में वकील के रूप में प्रैक्टिस की है। वह चुनावी बांड योजना, राम जन्मभूमि, सबरीमाला, समलैंगिक विवाह और जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने जैसे ऐतिहासिक फैसले सुनाने वाली पीठों का हिस्सा रहे हैं। 


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