पत्रकार तरुण तेजपाल को यौन शोषण केस से बरी कर दिया गया है। गोवा की अदालत ने तरुण तेजपाल को बरी करने का फैसला सुनाया। 2013 में तरुण तेजपाल की एक महिला सहयोगी ने उनपर रेप का आरोप लगाया था। लेकिन आठ साल तक चले लंबे केस के बाद अदालत ने उन्हें निर्दोष बताया है। तरुण तेजपाल के खिलाफ गोवा सरकार हाईकोर्ट में अपील करेगी। गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा, हम गोवा में महिलाओं के साथ किसी भी तरह के अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम जिला अदालत के इस निर्णय को जल्द ही उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे। वहीं गोवा की अदालत बलात्कार के आरोपों से बरी किए जाने के बाद पत्रकार तरुण तेजपाल ने कहा कि पिछले साढ़े सात साल उनके परिवार के लिए “घाव” देने वाले रहे हैं क्योंकि उन्हें उनपर लगाए गए “झूठे आरोपों के कारण विनाशकारी नतीजों का सामना करना पड़ा।” उन्होंने अदालत को मामले में “कठोर एवं निष्पक्ष मुकदमा चलाने के लिए” भी धन्यवाद दिया।
कौन हैं तरुण तेजपाल?
तरुण तेजपाल बहुत से खुलासे करते रहे और लगातार ईमानदारी, सच और सरोकार जैसे शब्दों के साथ अपनी ब्रैंडिंग करते रहे। वे 1980 के दौर से ही पत्रकारिता के पेशे से जुड़े रहे हैं। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस, इंडिया टुडे, फाइनेंशियल एक्सप्रेस, आउटलुक जैसे मशहूर अखबारों और पत्रिकाओं में काम किया। साल 2000 में उन्होंने तहलका पत्रिका शुरू की थी। इस पत्रिका ने बेहद ही कम समय में खोजी पत्रकारिता के जरिये नाम कमाया और कई बड़ी खबरें ब्रेक की। स्टिंग ऑपरेशन तहलका की खासियत थी। तहलका ने शुरुआत में ही क्रिकेट में होने वाली मैच फिक्सिंह पर स्टिंग ऑपरेशन कर तहलका मचा दिया था। तहलका वर्ष 2001 में ऑपरेशन वेस्टएंड के जरिए पहली बार चर्चा में आया। तेजपाल ने पब्लिशिंग हाउस इंडिया इंक की स्थापना भी की।
क्या है पूरा मामला
तरुण तेजपाल पर साथी महिला पत्रकार ने आरोप लगाया था कि गोवा में तहलका के इवेंट के दौरान महिला एक गेस्ट को उसके कमरे तक छोड़कर वापस लौट ही रही थी कि उसी वक्त होटल के ब्लॉक सात के लिफ्ट के सामने महिला को उसके बॉस तरुण तेजपाल मिल गए। तेजपाल ने गेस्ट को दोबारा जगाने की बात कहकर अचानक उसे लिफ्ट के अंदर खींच लिया। पीड़ित युवती ने पत्रिका की मैनेजिंग एडिटर शोमा चौधरी को मेल लिखकर आरोप लगाया था कि पणजी के इवेंट में तरुण तेजपाल ने 7 और 8 नवंबर 2013 को लिफ्ट में दो बार यौन उत्पीड़न किया था। साथ ही ये आरोप लगाया था कि इस बारे में किसी को बताने पर नौकरी से हटाने की धमकी भी दी गई थी। जिसके बाद मैनेजमेंट की ओर से तेजपाल की तरफ से 20 नवंबर 2013 क ईमेल के जरिये माफी मांगी गई थी। बाद में ये मेल लीक हो गया और पुलिस ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की। गोवा पुलिस को दिए गए बयान में लड़की ने कहा कि मैं कुछ समझ पाती इसी बीच तरुण तेजपाल ने लिफ्ट का बटन कुछ इस तरीके से दबाना शुरू किया जिससे न तो लिफ्ट कहीं रूके और न ही दरवाजा खुले। इसके बाद तेजपाल ने उसका यौन उत्पीड़न किया। जब इसके राज खुले तो तरुण तेजपाल की जिंदगी में ही तहलका मच गया। गोवा पुलिस ने लगभग तीन हजार पन्नों का आरोप पत्र दायर किया था।
तरुण तेजपाल पर धारा
तरुण तेजपाल ने सभी आरोपों से इनकार किया और खुद को बेकसूर बताया। अभियोजन पक्ष ने 156 गवाहों की सूची सामने रखी थी। लेकिन आखिर में लगभग 70 की जिरह की गई। खुद पर लगे आरोपों को खारिज कराने के लिए तेजपाल हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गए लेकिन कामयाब नहीं हो सके।
पूरे घटनाक्रम पर एक नजर-
20 नवंबर 2013: यौन उत्पीड़न के आरोप लगने के बाद तेजपाल ने तहलका के प्रधान संपादक के पद से इस्तीफा दिया।
21 नवंबर 2013: गोवा पुलिस ने तेजपाल पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच शुरू की।
23 नवंबर 2013: गोवा पुलिस ने तेजपाल के खिलाफ बलात्कार और अन्य धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की।
30 नवंबर 2013: सत्र अदालत ने तेजपाल को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि जमानत मांगने का आधार स्पष्ट नहीं है। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर गोवा में सदा उप-जेल भेज दिया गया।
17 फरवरी, 2014: गोवा अपराध शाखा ने तेजपाल के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। आरोप पत्र में उस महिला और उस समय तहलका की प्रबंध संपादक शोमा चौधरी से ई-मेल की जरिये मांगी गई औपचारिक माफी को शामिल किया गया।
16 जून 2014: सत्र अदालत ने कैमरे के समक्ष सुनवाई कराने और मीडिया को इसकी रिपोर्टिंग नहीं करने देने के तेजपाल के अनुरोध को स्वीकार किया।
एक जुलाई 2014: उच्चतम न्यायालय ने तेजपाल को जमानत दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह 30 नवंबर 2013 को अपनी गिरफ्तारी के बाद छह महीने की जेल की सजा काट चुके हैं और 17 फरवरी को आरोप पत्र दायर किये जाने के बाद उन्हें जेल में रखने की कोई जरूरत नहीं है।
26 सितंबर 2017: बंबई उच्च न्यायालय ने तेजपाल पर आरोप तय करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
28 सितंबर 2017: गोवा की निचली अदालत ने तेजपाल के खिलाफ बलात्कार और गलत तरीके से बंधक बनाने के आरोप तय किये।
छह दिसंबर 2017: उच्चतम न्यायालय ने गोवा की अदालत को मामले की सुनवाई शुरू करने के लिये कहा।
सात दिसंबर 2017: उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय की गोवा पीठ को तेजपाल मामले में गवाही दर्ज करने का निर्देश दिया। 12 दिसंबर 2017: बंबई उच्च न्यायालय ने बलात्कार और अन्य आरोपों को खत्म करने की तेजपाल की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा।
27 अप्रैल 2021: मामले को सूचीबद्ध किया गया, लेकिन अदालत ने फैसला 12 मई तक टाल दिया।
12 मई 2021: मामले को सूचीबद्ध किया गया, लेकिनअदालत ने फैसला 19 मई तक टाल दिया।
19 मई 2021: मामले को सूचीबद्ध किया गया, लेकिन अदालत ने फैसला 21 मई तक टाल दिया गया।
21 मई 2021: गोवा की अदालत ने तेजपाल को सभी आरोपों से बरी कर दिया।-अभिनय आकाश