By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 08, 2020
सागर। वामदलों और कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि जिनका राज्य में कोई राजनीतिक अस्तित्व नहीं है वह हड़ताल की “सस्ती राजनीति” कर राज्य की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने की कोशिश कर रहे हैं। बनर्जी ने कहा कि वह केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों, सीएए और प्रस्तावित एनआरसी के विरोध में बुलाए गए बंद के मकसद का समर्थन करती हैं लेकिन उनकी पार्टी और सरकार किसी भी प्रकार के बंद के विरोध में हैं। बनर्जी ने यहां दक्षिणी चौबीस परगना जिले में कहा, “हम बंगाल में किसी भी प्रकार की हड़ताल का समर्थन नहीं करेंगे। जिनका राज्य में कोई राजनीतिक अस्तित्व नहीं है वह हड़ताल जैसी सस्ती राजनीति कर राज्य की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने की कोशिश कर रहे हैं। हम उन्हें राज्य में हड़ताल नहीं करने देंगे।” मुख्यमंत्री यहां गंगासागर मेले के प्रबंधन की समीक्षा करने आई थीं।
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बनर्जी ने दावा किया कि हड़लाल करने वालों ने राज्य या देश के किसी भी कोने में सीएए या एनआरसी के खिलाफ आंदोलन में भाग नहीं लिया और अब वह हड़ताल का आह्वान कर शार्टकट के जरिये अपना अतित्व साबित करना चाहते हैं। तृणमूल अध्यक्ष ने पश्चिम बंगाल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की इकाई की तुलना केरल की इकाई से करते हुए कहा कि वामपंथी केरल में हिंसा नहीं करते लेकिन पश्चिम बंगाल में करते हैं। उन्होंने हड़ताल के दौरान उत्तरी चौबीस परगना जिले में रेल की पटरियों पर विस्फोटक पाए जाने की घटना का उल्लेख करते हुए वामदलों और पर हिंसा और उपद्रव करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “वे लोगों को संगठित कर आंदोलन करने की बजाय हर साल हड़ताल करने का आह्वान करते हैं। सत्ता में रहने के बावजूद हमारे अंदर सीएए और एनआरसी का विरोध करने का साहस है। हमने जेएनयू के अंदर हुई हिंसा का विरोध किया है।”
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बनर्जी ने कहा कि विरोध प्रदर्शन के नाम पर यात्रियों को पीटा गया और उन पर पत्थर फेंके गए। उन्होंने दावा किया कि माकपा राज्य में साइनबोर्ड बन चुकी है। बनर्जी ने कहा, “वामपंथी ट्रेड यूनियनों द्वारा पहले बुलाई गयी हड़ताल को लोगों ने खारिज कर दिया था। वे सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए बंद का आह्वान कर रहे हैं और बसों पर बम फेंक रहे हैं।” उन्होंने कहा कि इस तरह लोकप्रियता हासिल करने की बजाय उन्हें राजनीतिक तौर पर विरोध करना चाहिए। बनर्जी ने माकपा को राजधानी समेत देश के बाकी हिस्सों में विरोध प्रदर्शन और हिंसा करने की चुनौती दी और दावा किया कि वामदल तृणमूल सरकार द्वारा 2011 से अब तक किए गए विकास कार्यों से जलते हैं। हड़ताल के दौरान पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों से हिंसा और आगजनी की खबरें प्राप्त हुईं।