By नीरज कुमार दुबे | May 23, 2024
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी से लगातार तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं। देखा जाये तो वाराणसी में भाजपा उम्मीदवार के रूप में प्रधानमंत्री मोदी की जीत पर किसी को कोई संशय नहीं है लेकिन भाजपा का प्रयास है कि इस बार की जीत पहले से ज्यादा बड़े अंतर से होनी चाहिए। भाजपा ने बीस लाख के आसपास मतदाताओं की संख्या वाली वाराणसी सीट पर प्रधानमंत्री को 10 लाख से ज्यादा वोट दिलवाने का लक्ष्य रखा है और इसके लिए पार्टी ने तमाम नेताओं और कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारियां बांट कर उन्हें काम पर लगा दिया है। भाजपा के स्थानीय विधायक, पार्षद तो छोटी-छोटी टोलियां बनाकर घर-घर संपर्क साध ही रहे हैं साथ ही जिन-जिन राज्यों में चुनाव हो चुके हैं वहां-वहां के भाजपा नेता और कार्यकर्ता भी वाराणसी आकर प्रधानमंत्री के चुनाव प्रचार में हाथ बंटा रहे हैं। हम आपको बता दें कि दूसरे राज्यों से आये प्रवासी कार्यकर्ताओं से समन्वय के लिए प्रधानमंत्री के केंद्रीय चुनाव कार्यालय में टीमें बना दी गयी हैं। दूसरे राज्यों से आये लोग वाराणसी में खासकर उन स्थानों पर जा रहे हैं जहां उनके राज्य के लोगों की बहुतायत है। जैसे महाराष्ट्र से आये कार्यकर्ता वाराणसी में मराठी इलाकों में जा रहे हैं, राजस्थान से आये कार्यकर्ता उन इलाकों में जा रहे हैं जहां राजस्थानी मूल के लोग रहते हैं। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में इस समय उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम के कार्यकर्ताओं का जो समागम हो रखा है वह देखते ही बनता है। प्रभासाक्षी ने अपनी चुनाव यात्रा के दौरान पाया कि प्रवासी कार्यकर्ताओं को काशी में पड़ रही भीषण गर्मी से जरा भी कष्ट नहीं हो रहा है और उनका प्रयास है कि प्रधानमंत्री की जीत देश में सबसे बड़ी जीत के रूप में दर्ज हो।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने अपने नामांकन से पहले भव्य रोड शो और उसके बाद हाल ही में स्त्री शक्ति के साथ संवाद कार्यक्रम के जरिये तो अपना प्रचार किया ही साथ ही प्रचार की हर गतिविधि पर खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी नजर रखे हुए हैं। चुनाव प्रचार में कहीं कोई कमी नहीं रह जाये इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी लगातार काशी का दौरा कर रहे हैं। भाजपा के कई केंद्रीय नेताओं, केंद्रीय मंत्रियों और उत्तर प्रदेश तथा अन्य राज्यों के मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को भी वाराणसी में प्रचार की जिम्मेदारी दी गयी है। इसके अलावा काशी की जनता खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रचार कर रही है। देखा जाये तो यहां कहने को तो कई उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन आपको सड़कों पर लगे होर्डिंगों और घरों पर लगे भाजपा के झंडों तथा प्रधानमंत्री की तस्वीर वाले स्टीकरों से पता चल जायेगा कि यहां का चुनावी मिजाज क्या है।
लेकिन आज वाराणसी में प्रचार की जो छटा दिखाई पड़ रही है उसके लिए एक टीम ने खास मेहनत की है। यह टीम पिछले कई महीनों से काशी में डटी हुई है और पर्दे के पीछे रहते हुए सारे चुनाव प्रचार अभियान का संचालन कर रही है। इस टीम में जो सात लोग शामिल हैं वह दिन भर आपको प्रधानमंत्री के केंद्रीय चुनाव कार्यालय में विभिन्न बैठकों के माध्यमों से प्रचार अभियान की समीक्षा करते, देशभर से आ रहे कार्यकर्ताओं से मिलने और प्रचार में कहीं किसी प्रकार की कमी ना रह जाये, इसकी चिंता करते हुए दिखेंगे। हम आपको बता दें कि प्रधानमंत्री के चुनाव प्रचार अभियान से जुड़े हर छोटे-बड़े काम को देख रही टीम में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल, उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य अश्विनी त्यागी और अरुण पाठक, गुजरात के पूर्व विधायक जगदीश पटेल, उत्तर प्रदेश के इटवा के पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री सतीश द्विवेदी, उत्तर प्रदेश के रोहनिया के पूर्व विधायक सुरेंद्र नारायण सिंह और वाराणसी के भाजपा जिला अध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा शामिल हैं।
हम आपको याद दिला दें कि 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 4.79 लाख वोटों से हराया था। देखा जाये तो यह अंतर बहुत बड़ा था लेकिन फिर भी यह जीत देश भर में दस सबसे बड़ी जीतों में दर्ज नहीं हो सकी थी इसलिए भाजपा की टीम इस बार जीत का ऐसा रिकॉर्ड कायम करने के लिए मेहनत कर रही है जिसको तोड़ना दूसरों के लिए कठिन चुनौती साबित हो। इसीलिए प्रधानमंत्री की लोकप्रियता को वोटों में तब्दील करने और ज्यादा से ज्यादा मतदान कराने के लिए यह टीम बेहद सक्रिय है।
जहां तक प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में काम कर रही भाजपा की मुख्य टीम में शामिल सात सदस्यों की बात है तो आपको बता दें कि इसमें प्रमुख नाम सुनील बंसल का है। वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भरोसेमंद लोगों में से एक हैं। सुनील बंसल पिछले कुछ महीनों से लगभग सारा समय वाराणसी में दे रहे हैं। अश्विनी त्यागी की बात करें तो आपको बता दें कि वह वाराणसी में पार्टी की समन्वय गतिविधियों के प्रभारी हैं। अश्विनी त्यागी भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई के महासचिव हैं और पार्टी की पश्चिमी इकाई के क्षेत्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। अश्विनी त्यागी को आठ महीने पहले वाराणसी में काम संभालने के लिए लाया गया था। जहां तक जगदीश पटेल की बात है तो आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव प्रचार शुरू होने से दो महीने पहले गुजरात के पूर्व विधायक जगदीश पटेल को समन्वय और प्रबंधन से संबंधी कामकाज को देखने के लिए वाराणसी भेजा गया था। जगदीश पटेल 2019 में अमराईवाड़ी से उपचुनाव जीतकर विधायक बने थे। उन्होंने अहमदाबाद शहर अध्यक्ष के रूप में भी काम किया और मेहसाणा, भावनगर और पाटन जिलों के भाजपा प्रभारी के रूप में भी काम किया है। वह अमित शाह के भरोसेमंद व्यक्ति माने जाते हैं। वहीं सुरेंद्र नारायण सिंह की बात करें तो आपको बता दें कि वह वाराणसी जिले के रोहनिया से पूर्व विधायक हैं। इस क्षेत्र में कुर्मी और भूमिहार मतदाता बड़ी संख्या में रहते हैं। उल्लेखनीय है कि वाराणसी में कुर्मी जाति के 2 लाख मतदाता होने का अनुमान है। सुरेंद्र नारायण सिंह रैलियों और रोड शो से संबंधी कामकाज देखते हैं और चुनाव प्रचार संबंधी टीमों के साथ समन्वय करते हैं।
वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री सतीश द्विवेदी योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली पहली भाजपा सरकार में शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य कर चुके हैं। वह वाराणसी में मतदाताओं तक पहुंच बनाने और हर जाति की छोटी-छोटी बैठकें आयोजित करने का काम देख रहे हैं। वह वाराणसी क्षेत्र के ऐसे मतदाताओं से भी संपर्क साध रहे हैं जोकि समाज में प्रभावशाली छवि वाले हैं। उनका प्रयास है कि ऐसे मतदाताओं के माध्यम से समाज में ज्यादा से ज्यादा मतदान के लिए संदेश भेजा जाये। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समूहों में जाकर मतदान करने का जो आह्वान किया है उसे सफल बनाने के लिए भी सतीश द्विवेदी दिन-रात काम कर रहे हैं।
इसी प्रकार तीसरी बार कानपुर से एमएलसी बने अरुण पाठक को पिछले साल वाराणसी जिले और शहर का प्रभारी बनाया गया था और वर्तमान में वह बूथ प्रबंधन का काम देख रहे हैं। उनकी जिम्मेदारियों में लाभार्थी सम्मेलन आयोजित करना, बूथ को मजबूत करना, पन्ना प्रमुखों की सूची तैयार करना, बूथ समितियों का समन्वय और बूथ के काम का जायजा लेना शामिल है। हम आपको बता दें कि वाराणसी में 1,909 बूथ हैं और इनमें से 150 बूथ भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण माने जाते हैं क्योंकि यहां अल्पसंख्यक समुदाय का दबदबा है और यह वर्ग भाजपा को अधिकांशतः वोट नहीं देता है। अरुण पाठक की जिम्मेदारी है कि जिन बूथों पर भाजपा को ज्यादा वोट नहीं मिलते हैं वहां पार्टी को ज्यादा से ज्यादा वोट दिलाने के लिए काम करना है।
वहीं हंसराज विश्वकर्मा की बात करें तो वह वाराणसी जिला भाजपा अध्यक्ष के रूप में 2017 और 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों और 2019 के लोकसभा चुनावों की देखरेख कर चुके हैं। भूपेंद्र चौधरी जब उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बने तो उन्होंने पिछले साल अपनी नई टीम की जो घोषणा की थी उसमें हंसराज विश्वकर्मा को उनके पद पर बनाये रखा था। इस प्रकार, विधान परिषद सदस्य हंसराज विश्वकर्मा 2016 से ही जिला भाजपा का अध्यक्ष पद संभाल रहे हैं जोकि बड़ी बात है। पिछड़े समुदायों पर अच्छी पकड़ रखने वाले हंसराज विश्वकर्मा के बारे में माना जाता है कि वह लगभग 3000 लोगों को तत्काल एकत्रित कर सकते हैं।
बहरहाल, अपनी स्थिति मजबूत होने के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी अपने चुनाव में कोई चूक नहीं रहने देना चाहते इसलिए वह पार्टी कार्यकर्ताओं को बार-बार समझा रहे हैं कि जुलूस, नारे और रोड शो मतदान बूथों को प्रभावित नहीं करते हैं। अतः संकल्प हर मतदान केंद्र को जीतने का होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने सभी कार्यकर्ताओं को लक्ष्य दिया है कि हर मतदान केंद्र पर भाजपा को पिछली बार से 370 वोट अतिरिक्त दिलवाने का प्रयास करना है। प्रधानमंत्री का यह लक्ष्य हासिल हो सके इसके लिए गृह मंत्री अमित शाह भी पूरे तौर पर सक्रिय हैं। उन्होंने अपने हालिया वाराणसी दौरे के दौरान पार्टी की एक बैठक में कहा था कि वह कार्यकर्ता जो अधिकतम मतदाताओं को मतदान केंद्रों पर लाने में कामयाब होंगे, उन्हें चुनाव के बाद पुरस्कृत किया जायेगा। देखना होगा कि इस बार का परिणाम क्या रहता है।
-नीरज कुमार दुबे