By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 27, 2020
श्रीनगर। अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद जम्मू कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश में बदले जाने से नाराज पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि वह राज्य का दर्जा बहाल होने तक विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्र में मंत्री रह चुके उमर ने हालांकि यह स्पष्ट कर दिया कि वह अपनी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस और जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए काम करते रहेंगे। उमर (50) ने कहा, ‘‘मैं राज्य की विधानसभा का नेता रहा हूं। अपने समय में यह सबसे मजबूत विधानसभा थी। अब यह देश की सबसे शक्तिहीन विधानसभा बन चुकी है और मैं इसका सदस्य नहीं बनूंगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह कोई धमकी या ब्लैकमेल नहीं है, यह निराशा का इजहार नहीं है। यह एक सामान्य स्वीकारोक्ति है कि मैं इस तरह की कमजोर विधानसभा, केंद्रशासित प्रदेश की विधानसभा का नेतृत्व करने के लिए चुनाव नहीं लड़ूंगा। ’’ संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त किए जाने के मुखर आलोचक उमर ने कहा कि विशेष दर्जा खत्म करने के लिए कई कारण गिनाए गए थे, और दावा किया कि उनमें से किसी भी तर्क की कोई जांच नहीं की गयी। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष ने पिछले साल पांच अगस्त को विशेष दर्जा देने वाले प्रावधानों को निरस्त किए जाने की आलोचना की थी और कहा था कि उनकी पार्टी उच्चतम न्यायालय में इसका विरोध करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हम लोकतंत्र में और शांतिपूर्ण विपक्ष में विश्वास रखते हैं। ’’
विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने के अपने फैसले पर उन्होंने अपनी पार्टी के भीतर चर्चा की है क्या, इस बारे में पूछे जाने पर उमर ने कहा, ‘‘यह मेरी निजी राय है और यह मेरा फैसला है। मेरी इच्छा के विरूद्ध कोई भी चुनाव लड़ने के लिए मुझपर जोर नहीं डाल सकता। ’’ जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा परिसीमन कवायद के बारे में पूछे जाने पर उमर ने कहा, ‘‘नेशनल कॉन्फ्रेंस पिछले साल पांच अगस्त के बाद के घटनाक्रम और फैसलों को चुनौती देने के लिए सभी कानूनी विकल्पों को खंगाल रही है और आगे भी यही करेगी।’’ परिसीमन प्रक्रिया के बाद ही केंद्रशासित प्रदेश में चुनाव हो पाएंगे। पिछले साल जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेश में बांट दिया गया था।