By नीरज कुमार दुबे | Jul 20, 2023
आपने इस सप्ताह देखा होगा कि बेंगलुरु में कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल एकत्रित हुए और उन्होंने अगले लोकसभा चुनावों में मोदी सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए इंडिया नामक गठबंधन बनाया। इस गठबंधन में 26 दल अब तक शामिल हो चुके हैं तो दूसरी ओर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानि एनडीए ने दिल्ली में बैठक कर संकल्प लिया कि लगातार तीसरी बार केंद्र की सत्ता में वापस आना है। एनडीए में अब तक 39 दल शामिल हो चुके हैं। यानि एक तरफ 26 तो दूसरी तरफ 39। ऐसे में आपको लग रहा होगा कि सभी प्रमुख दलों ने कांग्रेस या भाजपा का मंच पकड़ लिया है लेकिन ऐसा नहीं है। अब भी कई बड़े दल ऐसे हैं जोकि किसी गठबंधन में शामिल नहीं है।
देखा जाये तो देश के कुल 65 राजनीतिक दलों ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस’ (इंडिया) दोनों में से किसी एक मोर्चे का साथ चुन लिया है, लेकिन 11 महत्वपूर्ण दल ऐसे भी हैं जो अब तक किसी पाले में नहीं हैं। हम आपको बता दें कि इन 11 दलों के कुल 91 सांसद हैं और अपने-अपने असर वाले राज्यों में उनकी प्रभावी उपस्थिति भी है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा से लोकसभा में कुल 63 सदस्य चुनकर पहुंचते हैं। इन तीनों राज्यों की सत्तारुढ़ पार्टियां वाईएसआर कांग्रेस पार्टी, भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और बीजू जनता दल (बीजद) दोनों गठबंधनों से दूर हैं।
वाईएसआर कांग्रेस, बीआरएस और बीजद के अलावा बहुजन समाज पार्टी भी एक ऐसी महत्वपूर्ण पार्टी है जिसने तटस्थ रुख अपनाया है। बसपा का उत्तर प्रदेश में मुख्य आधार है और कई अन्य राज्यों में भी उसकी मौजूदगी है। वह एक राष्ट्रीय पार्टी है और लोकसभा में उसके 9 सदस्य हैं। बसपा प्रमुख मायावती ने कहा है कि उनकी पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों के साथ ही राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। दूसरी ओर, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम), तेलुगु देसम पार्टी (तेदेपा), शिरोमणि अकाली दल (शिअद), ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ), जनता दल (सेक्युलर), राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और शिरोमणि अकाली दल (मान) भी अभी किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं। हम आपको यह भी बता दें कि वाईएसआर कांग्रेस और बीजद ने ज्यादातर मौकों पर संसद में सत्तापक्ष के समर्थन में मतदान किया है।
वैसे बीजद प्रमुख और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने राज्य में केंद्रीय योजनाओं को पर्याप्त समर्थन न देने के लिए भाजपा की आलोचना की है और पार्टी के सांसदों से, संसद के मानसून सत्र में यह मुद्दा जोरशोर से उठाने के लिए कहा है। वहीं दूसरी ओर, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि उनकी पार्टी के साथ ‘राजनीतिक अछूत’ की तरह व्यवहार किया जा रहा है। उनकी पार्टी का असर हैदराबाद में है और वह देश के कुछ अन्य हिस्सों में अपने विस्तार का प्रयास कर रही है।
उधर, बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने घोषणा की है कि उनकी पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों के साथ ही राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। मायावती ने एक बयान में कहा कि बसपा पंजाब और हरियाणा में क्षेत्रीय दलों के साथ हाथ मिलाने के लिए तैयार है, बशर्ते उनका सत्तारुढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) या नवगठित विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' के साथ कोई गठजोड़ न हो। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने राजग के साथ ही नवगठित विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की भी आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि उनमें से कोई भी दलितों और उत्पीड़ित वर्गों के अनुकूल नहीं है।