By नीरज कुमार दुबे | Apr 05, 2025
जम्मू-कश्मीर में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के बीच एक बार फिर तकरार देखने को मिल रही है। हम आपको बता दें कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा (जेकेएएस) के 48 अधिकारियों का तबादला किया है जिसका मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने विरोध किया है और कहा है कि यह निर्वाचित सरकार के अधिकारों का अतिक्रमण है जबकि उपराज्यपाल ने तबादले संबंधी अपने हालिया आदेश का बचाव करते हुए कहा है कि वह अपनी सीमाएं जानते हैं और कभी उनका उल्लंघन नहीं करेंगे।
सत्तारुढ़ गठबंधन के विधायकों की बैठक
उधर, मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर सत्तारुढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस और गठबंधन सहयोगियों की बैठक बुलाई जोकि दो घंटे तक चली। विधायक दल की बैठक में दो प्रस्ताव पारित किए गए जिनमें से एक में लोगों के जनादेश का सम्मान करने की बात कही गई। प्रस्ताव में केंद्र शासित प्रदेश की छह महीने पुरानी सरकार और राजभवन के बीच बढ़ रहे विवाद का परोक्ष संदर्भ है। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा कि वह सरकार को ‘‘प्यार और सम्मान’’ के साथ चलाना चाहती है और उसकी (सरकार की) चुप्पी को उसकी ‘‘कमजोरी’’ नहीं समझा जाना चाहिए। केंद्र शासित प्रदेश की सरकार ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि वह ‘‘उन्हें मजबूर न करें।’’ हम आपको बता दें कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता में गुपकर रोड स्थित उपमुख्यमंत्री सुरेन्द्र चौधरी के आवास पर यह बैठक हुई और नेकां के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला भी इसमें शामिल हुए। इस बैठक में कैबिनेट मंत्री, नेकां के सभी विधायक, मुख्य सचेतक निजामुद्दीन भट के नेतृत्व में कांग्रेस के चार विधायक और राज्य सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायक शामिल हुए।
भाजपा ने उठाये सवाल
हम आपको यह भी बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के छह अप्रैल से शुरू होने वाले जम्मू-कश्मीर के तीन दिवसीय दौरे के मद्देनजर भी यह बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है। माना जा रहा है कि गृह मंत्री से अपनी मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री यह मुद्दा उनके समक्ष उठा सकते हैं। उधर, भाजपा ने सवाल पूछा है कि उमर अब्दुल्ला सरकार, उपराज्यपाल के कदम को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत कानूनी और प्रशासनिक ढांचे का उल्लंघन कैसे मान रही है। विधानसभा में विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने कहा कि अक्टूबर 2019 में लागू हुए इस अधिनियम के तहत कानून व्यवस्था से संबंधित सभी तबादले उपराज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस पर दशकों से जम्मू-कश्मीर को अपनी "निजी संपत्ति" मानने का आरोप लगाते हुए सुनील शर्मा ने कहा कि सत्तारुढ़ पार्टी यह स्वीकार करने में विफल रही है कि वह "युग समाप्त हो चुका है" और जम्मू-कश्मीर अब पुडुचेरी और दिल्ली की तरह एक केंद्र शासित प्रदेश है और उसी के अनुसार शासन किया जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री और अन्य मंत्री भी अपने-अपने विभागों में तबादले करते हैं, जिनमें प्राचार्यों, व्याख्याताओं और अन्य अधिकारियों की नियुक्तियां भी शामिल हैं।
मनोज सिन्हा का बयान
दूसरी ओर, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा है वह अपनी सीमाएं जानते हैं और कभी उनका उल्लंघन नहीं करेंगे। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा, ''मैं यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 में संसद में पारित किया गया था। मैं बहुत जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं कि मैंने इस अधिनियम से हटकर कुछ भी नहीं किया है। मैं अपने दायरे में ही रहता हूं और उससे बाहर कभी कुछ नहीं करूंगा। मैं अपनी सीमाएं जानता हूं और कभी उन सीमाओं का उल्लंघन नहीं करूंगा।’’
महबूबा मुफ्ती का उमर पर हमला
दूसरी ओर, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) पर निशाना साधते हुए कहा है कि सत्तारुढ़ सरकार जरूरी मुद्दों पर रुख अपनाने के बजाय इस बात पर ध्यान दे रही है कि सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारियों का तबादला करने का अधिकार किसके पास है। महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार पर नई दिल्ली के सामने ‘आत्मसमर्पण’ करने का भी आरोप लगाया। मुफ्ती ने कहा, “लोगों ने सोचा था कि जब नई सरकार आएगी, तो वह उनके अधिकारों की रक्षा करेगी।” मुफ्ती ने यहां संवाददाताओं से कहा, “दुर्भाग्य से छह महीने हो गए हैं, लेकिन सरकार ने जेलों में युवाओं की दुर्दशा, हमारे कर्मचारियों की बर्खास्तगी, दिहाड़ी मजदूरों के मुद्दों या बेरोजगारी के बारे में बात नहीं की। सरकार ने हर चीज में कायरता दिखाई है।”
पीडीपी अध्यक्ष ने केंद्र के साथ टकराव नहीं चाहने की अब्दुल्ला की टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा कि नेकां सरकार उन मुद्दों के बारे में बात करने से भी ‘डरती’ है, जिनके लिए लोगों ने उन्हें सत्ता में लाने के लिए चुना था। उन्होंने कहा, “जब वे (नेकां सत्ता में) आए, तो उन्होंने कहा कि वे केंद्र सरकार के साथ टकराव नहीं चाहते हैं। कोई भी दिल्ली के साथ टकराव नहीं चाहता। लेकिन आप पहले ही आत्मसमर्पण कर चुके हैं। आप उन मुद्दों पर बात करने से भी डरते हैं, जिनके लिए लोगों ने आपको चुना था।” मुफ्ती ने कहा कि जब मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाले विभाग के कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया तो उन्होंने कुछ नहीं कहा। उन्होंने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा हाल ही में किए गए तबादलों की पृष्ठभूमि में नेशनल कॉन्फ्रेंस और उसके सहयोगी दलों के विधायकों की बैठक का हवाला देते हुए कहा, “लेकिन आज पटवारियों (राजस्व अधिकारियों) के तबादले के लिए एक पार्टी (नेकां) और उसके सहयोगी दलों के विधायक एकत्र हुए।” मुफ्ती ने कहा, “क्या जम्मू-कश्मीर के लोगों ने इन मुद्दों के लिए इस पार्टी (नेकां) को चुना था? बड़ा मुद्दा क्या है? पटवारियों का तबादला? या यह कि हमारे युवा जेलों में सड़ रहे हैं? या यह कि हर दिन छापेमारी हो रही है? या यह कि स्थिति सुधरने के बावजूद जामिया मस्जिद बंद है? हम वास्तविक समस्याओं के बारे में बात नहीं करते हैं, बल्कि इस बारे में बात करते हैं कि पटवारियों का तबादला कौन करेगा? ग्राम स्तर के कर्मचारियों का तबादला कौन करेगा? मुझे लगता है कि यह बहुत बुरा है।”