By रेनू तिवारी | Jun 05, 2020
मुम्बई। महाराष्ट्र सरकार ने भले ही शूटिंग करने की अनुमति दे दी है लेकिन प्रोडक्शन हाउस और फिल्मकार इस बात को लेकर संदेह में हैं कि तमाम दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए कैसे वापस काम शुरू किया जाए। फिल्मकारों का कहना है कि मनोरंजन जगत के एक बार फिर पटरी पर लौटने और ‘‘लाइट, कैमरा, एक्शन’’ बोलने में समय लग सकता है। कोरोना वायरस से निपटने के लिए लगे लॉकडाउन की वजह से उद्योग ठप्प सा पड़ गया था, जिसके चलते आर्थिक नुकसान होने के साथ ही लाखों लोगों की नौकरी भी गई। अब पटकथा को सामाजिक दूरी के नियम के अनुरूप बनाना, ‘आउट डोर’ शूटिंग के कम कर्मियों को ले जाना, बजट प्रबंधन जैसी कई बड़ी चुनौतियां लोगों के समक्ष है।
देश में 24 मार्च से ही जारी लॉकडाउन में निरुद्ध क्षेत्रों को छोड़कर अन्य स्थानों पर कई रियायतें दी गई हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस संक्रमण के अब तक के सबसे ज्यादा नए 9,851 मामले सामने आए हैं और 273 लोगों की मौत हुई है। इसके साथ ही देश में कुल संक्रमितों की संख्या 2,26,770 और मृतकों की संख्या बढ़कर 6,348 हो गई। फिल्म जगत के वापस पटरी पर लौटने के सवाल पर ‘पीकू’ के निर्देशक शूजित सरकार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ हमारे मन में कई भय हैं। यह वायरस जा नहीं रहा है। यह ऐसे ही रहने वाला है, इसलिए हमें सतर्क रहना होगा। आने वाले दिनों में, हम छोटी फिल्मों के साथ काम शुरू करेंगे, जिनकी एक या दो दिन में शूटिंग हो जाए और विज्ञापनों की शूटिंग करके देखेंगे कि आगे कैसे काम कर पाते हैं। हमें प्रयोग करते रहना होगा।’’
फिल्म और टेलीविजन कर्मचारियों के लिए जारी दिशानिर्देशों में, राज्य सरकार ने रविवार को कहा था कि काम गैर-निरुद्ध क्षेत्रों में फिर से शुरू हो सकता है, लेकिन सामान्य 200 से अधिक कर्मियों के केवल 33 प्रतिशत के साथ ही। एक एम्बुलेंस, डॉक्टरों और नर्सों का होना और तापमान की जांच अनिवार्य होगी। इसके अलावा, 65 वर्ष से अधिक के किसी भी अभिनेता या कर्मचारी और बच्चों को सेट पर जाने की अनुमति नहीं है। कई फिल्मकारों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है वहीं कई का कहना है कि प्रतिबंधों से भीड़ वाले दृश्यों या नृत्कों के साथ शूटिंग करना नामुमकिन कर दिया है।
‘इंडियन फिल्म एंड टेलीविज़न डायरेक्टर्स एसोसिएशन’ के अध्यक्ष अशोक पंडित ने कहा कि निर्माताओं के लिए कुछ नियमों का पालन करना मुश्किल है। उन्होंने पूछा, ‘‘ मुम्बई में रोजाना औसतन 65 से 70 सेट लगते हैं। वहां एम्बुलेंस और डॉक्टर कैसे हो सकते हैं जब उनकी वास्तव में कमी है?’’ उन्होंने यह भी कहा कि उम्र संबंधी पाबंदी कलाकारों और सेट पर काम करने वाले कर्मचारियों के साथ भेदभाव है। पंडित ने कहा, ‘‘ आप ऐसा कैसे कर सकते हैं?इस तरह, अमिताभ बच्चन, मिथुन चक्रवर्ती और अनुपम खेर जैसे कलाकार काम नहीं कर सकते। इस उम्र के वरिष्ठ तकनीशियन भी हैं। हर किसी को काम करने का अधिकार है, जबकि हम सभी को अपने स्वास्थ्य की चिंता भी है। यह अव्यावहारिक प्रतित होता है।’’ उन्होंने कहा कि एसोसिएशन से इस संबध में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिख दिशा-निर्देशों में बदलाव करने की मांग भी की है।