By नीरज कुमार दुबे | Nov 08, 2024
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी अक्सर तमाम तरह के विमर्श गढ़ते रहते हैं। इसी कड़ी में उन्होंने अब देश के पूर्व राज परिवारों पर निशाना साधा है। परिवारवादी राजनीति के चलते राजनीति में अपना मुकाम बनाने वाले राहुल गांधी ने उन राज परिवारों पर निशाना साधा है जिन्होंने आजादी की लड़ाई और भारत की एकता के लिए बड़ा योगदान दिया। हम आपको बता दें कि राहुल गांधी ने हाल ही में एक अंग्रेजी समाचार पत्र में एक लेख लिखा जिस पर कई तरह के विवाद खड़े हुए हैं। राहुल गांधी ने बुधवार को प्रकाशित लेख में लिखा था कि अपनी व्यापारिक शक्ति से नहीं बल्कि ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत की आवाज अपने शिंकजे से कुचली थी। उन्होंने लिखा था कि कंपनी ने राजा और महाराजाओं को डराया-धमकाया और उन्हें रिश्वत देकर भारत पर कब्जा किया। राहुल गांधी ने लिखा कि मूल ईस्ट इंडिया कंपनी 150 साल पहले खत्म हो गई थी, लेकिन तब जो कच्चा डर पैदा हुआ था, वह वापस आ गया है। उन्होंने लिखा था कि एकाधिकारवादियों की एक नई नस्ल ने इसकी जगह ले ली है, उन्होंने अपार धन इकट्ठा किया है और हमारी संस्थाएं अब हमारे लोगों की नहीं हैं, वे एकाधिकारवादियों के इशारे पर चलती हैं।
राहुल गांधी के इस लेख पर भाजपा ने पलटवार करते हुए इसे 'हास्यास्पद' करार दिया है और कहा है कि खुद को 'राजनीतिक रॉयल्टी' मानने वाले व्यक्ति से 'भारत के वास्तविक और सम्मानजनक समझ' की उम्मीद नहीं की जा सकती। भाजपा की वरिष्ठ नेता स्मृति ईरानी ने लेख में राहुल गांधी के विचारों पर कटाक्ष करते हुए कहा, "यह हास्यास्पद है।" उन्होंने कहा, "जिसने राजनीति को ही सिंगल फैमिली प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बना दिया है, वह आज ईस्ट इंडिया कंपनी की बात कर रहा है।" उन्होंने कहा कि अगर ईस्ट इंडिया कंपनी भारतीयों को चुप करा देती तो भारत आज भी ब्रिटिश शासन के अधीन होता।
उन्होंने कहा, "ये वे लोग हैं जिन्हें गलतफहमी है और बिरसा मुंडा की बहादुरी, छत्रपति शिवाजी महाराज के योगदान और रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान के बारे में नहीं जानते। जो मंगल पांडे को नहीं जानता उसे यह महसूस होगा कि ईस्ट इंडिया कंपनी के सामने भारत और भारतीय चुप थे।" ईरानी ने भाजपा मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा, "मैं मानती हूं कि कोई भी व्यक्ति जो खुद को राजनीतिक रॉयल्टी मानता है, वह हमेशा हर समुदाय और भारत के हर समुदाय के योगदान की निंदा करेगा। मैं ऐसे लोगों से अपने देश की वास्तविक और सम्मानजनक समझ की उम्मीद नहीं करती।"
वहीं शाही परिवारों से ताल्लुक रखने वाले भाजपा के कई नेताओं ने भी महाराजा और नवाबों के बारे में गांधी के विचारों की निंदा की और कहा कि ऐतिहासिक तथ्यों की आधी-अधूरी व्याख्या के आधार पर कांग्रेस नेता द्वारा लगाए गए 'निराधार आरोप' पूरी तरह अस्वीकार्य हैं। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 'एक्स' पर कांग्रेस नेता के लेख पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, "नफरत बेचने वालों को भारतीय गौरव और इतिहास पर भाषण देने का कोई अधिकार नहीं है।" उन्होंने कहा, "भारत की समृद्ध विरासत के बारे में राहुल गांधी की अज्ञानता और उनकी औपनिवेशिक मानसिकता ने सभी सीमाओं को पार कर दिया है।" सिंधिया ने कहा कि अगर आप देश के उत्थान की बात करते हैं तो भारत माता का अपमान बंद करें और महादजी सिंधिया, युवराज बीर टिकेंद्रजीत, कित्तूर चेन्नम्मा और रानी वेलु नचियार जैसे सच्चे भारतीय नायकों के बारे में जानें, जिन्होंने हमारी आजादी के लिए जमकर लड़ाई लड़ी।
राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने भी राहुल गांधी की निंदा करते हुए लेख में उनके विचारों को भारत के पूर्व शाही परिवारों को बदनाम करने का प्रयास करार दिया। उन्होंने कहा, "एकीकृत भारत का सपना भारत के पूर्व शाही परिवारों के बलिदान के कारण ही संभव हो सका। ऐतिहासिक तथ्यों की आधी-अधूरी व्याख्या के आधार पर लगाए गए निराधार आरोप पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं।"
मैसूर से भाजपा सांसद यदुवीर वाडियार ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि उनका लेख दर्शाता है कि उन्हें भारत के सच्चे इतिहास की कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि यह उनकी इस अज्ञानता को भी दिखाता है कि पूर्व की रियासतों द्वारा आज के भारत के निर्माण में क्या योगदान है। उन्होंने 'एक्स' पर लिखा, "मैं लेख में उनके शब्दों के चयन और उनके द्वारा किए गए आक्षेपों की कड़ी निंदा करता हूं।"
कांग्रेस नेता कर्ण सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि राहुल गांधी का लेख इतिहास की उनकी 'सतही समझ' को दर्शाता है। राहुल गांधी के लेख पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने 'एक्स' पर लिखा, "महाराजाओं के योगदान और भूमिका को शायद ही ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रति 'उदार' तक कम किया जा सकता है।" उन्होंने कहा, "यह विडंबना है कि राहुल गांधी खुद इस तरह के विशेषाधिकार से आते हैं, जो बार-बार भारत के गणतंत्र में महाराजाओं के भारी योगदान को बदनाम करने का प्रयास करते हैं और मौजूदा स्थिति की तुलना आजादी से पहले के भारत से करना पूरी तरह से निराधार और गलत है।" वहीं मेवाड़ के पूर्व राज परिवार के सदस्य विश्वराज सिंह ने भी राहुल गांधी के लेख की निंदा की है।