By प्रिया मिश्रा | Jan 24, 2022
हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत को सर्वश्रेठ माना जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार हर माह की शुक्ल व कृष्ण पक्ष की ग्याहरवीं तिथि को एकादशी व्रत रखा जाता है। इस प्रकार से एक वर्ष में कुल 24 एकादशी होती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान श्री विष्णु की पूजा की जाती है और उन्हें तिल का भोग लगाया जाता है। षटतिला एकादशी को पापहारिणी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार षटतिला एकादशी 28 जनवरी (शुक्रवार) को है। मान्यता है कि इस दिन व्रत-पूजन करने से समस्त पापों का नाश होता है और मनुष्य को सभी सुखों की प्राप्ति होती है। इस दिन तिल को पानी में डालकर स्नान करने और तिल का दान करने का विशेष महत्व है।
षटतिला एकादशी 2022 शुभ मुहूर्त
षटतिला एकादशी 28 जनवरी को दोपहर 2 बजकर 16 मिनट से शुरू होगी। एकादशी तिथि का समापन 28 जनवरी की रात 11:05 पर होगा। ऐसे में षटतिला एकादशी का व्रत 28 जनवरी को रखा जाएगा और व्रत का पारण 29 जनवरी को किया जाएगा। इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक रहेगा।
षटतिला एकादशी का महत्व
मान्यताओं के अनुसार षटतिला एकादशी के दिन व्रत करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और घर में सुख शांति का वास होता है। जो व्यक्ति इस दिन व्रत करता है उसे हजारों सालों की तपस्या और स्वर्ण दान के बराबर फल मिलता है। षटतिला एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को सभी सुखों की प्राप्ति होती है और उसे मोक्ष मिलता है।
षटतिला एकादशी पूजन विधि
षटतिला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर पानी में तेल डालकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
इसके बाद भगवान विष्णु का अभिषेक करें और उन्हें चंदन, पुष्प, अक्षत, रोली, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
षटतिला एकादशी व्रत कथा पढ़ें और भगवान विष्णु की आरती करें।
इस दिन भगवान विष्णु को तिल से बने पकवान का भोग लगाएं।
षटतिला एकादशी के दिन तिल का दान करें और तिल मिला हुआ पानी पिएं। अगले दिन पारण कर लें।
प्रिया मिश्रा