By रितिका कमठान | Jul 19, 2024
ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की मां मनोरमा खेडकर की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही है। ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की मां मनोरमा खेडकर के खिलाफ एफआईआर में आईपीसी की धारा 307 जोड़ी गई है। इस धारा को जोड़ने को उचित ठहराते हुए पुणे पुलिस ने गुरुवार को महाराष्ट्र की एक अदालत को अहम जानकारी साझा की है।
पुणे पुलिस ने अदालत को बताया कि आरोपी ने शिकायतकर्ता के सिर पर बंदूक तान दी थी। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार अभियोजक ने अदालत को बताया कि जब वह गोली चलाने वाली थी तो शिकायतकर्ता डर के मारे झुक गई जबकि अन्य आरोपियों ने उसे रोक लिया। भूमि विवाद मामले में मनोरमा खेडकर की पांच दिनों की हिरासत की मांग करते हुए पुणे पुलिस ने पौड की अदालत में उन्हें, उनके पति दिलीप और तीन अन्य लोगों (जिन्हें प्राथमिकी में आरोपी बताया गया है) को "प्रभावशाली और राजनीतिक रूप से सक्रिय" व्यक्ति बताया है। इन्हें 20 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया।
बता दें कि इससे पहले गुरुवार को पुणे ग्रामीण पुलिस ने मनोरमा खेडकर को रायगढ़ जिले के महाड में एक लॉज से हिरासत में लिया था गिरफ्तार करने से पहले पौड पुलिस स्टेशन लाया गया, पुणे ग्रामीण के पुलिस अधीक्षक पंकज देशमुख ने पहले बताया था। धडवली के 65 वर्षीय किसान पंढरीनाथ पासलकर ने मनोरमा खेडकर, उनके पति दिलीपराव खेडकर और कई अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 323, 504, 506, 143, 144, 147, 148 और 149 तथा शस्त्र अधिनियम की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई है। पुणे ग्रामीण पुलिस ने उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 307 (हत्या का प्रयास) भी लगाया है।
पुलिस ने मनोरमा और दिलीप खेडकर की तलाश शुरू की थी, जब एक वीडियो सामने आया था जिसमें वह 2023 में पुणे के मुलशी तहसील के धडवाली गांव में एक भूमि विवाद को लेकर कुछ लोगों को बंदूक से धमकाती नजर आ रही थीं। मनोरमा, उनके पति दिलीप और तीन अन्य पर 4 जून, 2023 को पुणे के मुलशी तहसील के धडवाली गांव में भूमि विवाद को लेकर पंढरीनाथ पासलकर नामक व्यक्ति को बंदूक दिखाकर धमकाने का आरोप है। पुलिस ने आरोप लगाया कि मनोरमा न तो जांचकर्ताओं के साथ सहयोग कर रही थी और न ही दिलीप खेडकर और अन्य तीन आरोपियों के ठिकानों, अपराध में प्रयुक्त पिस्तौल और चार पहिया वाहन के बारे में जानकारी साझा कर रही थी।
पुलिस ने आरोपी को “प्रभावशाली और राजनीतिक रूप से सक्रिय” व्यक्ति बताते हुए कहा कि वे हथियार जब्त करना चाहते हैं और इसके लिए उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करनी चाहिए। अभियोजन पक्ष ने यह भी कहा कि पुलिस मामले में अन्य आरोपियों का पता लगाना चाहती है। बचाव पक्ष के वकील निखिल मालानी ने पुलिस हिरासत के लिए अभियोजन पक्ष की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि मनोरमा ने इस मामले में शिकायतकर्ता के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। उन्होंने कहा कि उस मामले में चार्जशीट भी दाखिल की गई थी। मालानी ने कहा, "मौजूदा शिकायतकर्ता (अपने खिलाफ दर्ज मामले के कारण) बैकफुट पर था। लेकिन हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होने के बाद, वह आगे आया और अपने मुवक्किल के खिलाफ मामला दर्ज कराया।"
उन्होंने दलील दी कि जब उनके मुवक्किल के खिलाफ पहली बार मामला दर्ज किया गया था, तो एफआईआर में सभी धाराएं गैर-जमानती थीं, लेकिन पुलिस ने 17 जुलाई को अचानक आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास) जोड़ दी। उन्होंने कहा कि चूंकि यह गैर-जमानती धारा है, इसलिए उसे गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने अदालत को बताया कि मनोरमा के खिलाफ मामला बाद में दर्ज किया गया क्योंकि यह कथित घटना के 13 महीने बाद दर्ज किया गया था। उन्होंने कहा, "एफआईआर में धारा 307 (हत्या का प्रयास) के संबंध में कोई वैध आशंका या तर्क नहीं है।" दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने मनोरमा को 20 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया।