By अंकित सिंह | Nov 07, 2023
बिहार में हाल में ही संपन्न जाति आधारित सर्वे के आंकड़े आज विधानसभा में पेश किए गए। हालांकि विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पापुलेशन कंट्रोल पर बात रखते रखते कुछ ऐसा कह गए जिससे विवाद खड़ा हो सकता है। दरअसल, जनसंख्या नियंत्रण और महिलाओं की पढ़ाई को लेकर सीएम नीतीश सदन में कुछ बोल रहे थे। हालांकि, मुख्यमंत्री ने कुछ ऐसा कह दिया जिस पर विधानसभा के अंदर भी विधायक सुनकर असहज हो गए। उन्होंने कहा कि बिहार में महिलाओं के साक्षरता बढ़ी है। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि अगर लड़कियां पढ़ी-लिखी रहेंगी तो जनसंख्या खुद पर खुद नियंत्रित हो जाएगा। उन्होंने कहा कि शादी के बाद तो पुरुष रात में रोज करता ही है ना। उसी में और बच्चा पैदा हो जाता है। इसके साथ ही उन्होंने जो कहा उसको लेकर विवाद बढ़ सकता है।
नीतीश ने कहा कि लड़की अगर पढ़ लिख लेगी तो उसको भीतर मत... उसको...। इसी में संख्या घट रही है। हालांकि, नीतीश कुमार के इस अजीबोगरीब बयान पर कुछ महिला विधायक नाराज दिखीं तो वहीं कुछ विधायक हंस भी रहे थे। नीतीश कुमार ने 2011 की जनगणना की तुलना करते हुए कहा कि साक्षरता दर 61% से बढ़कर 79 फ़ीसदी के ऊपर हो गई है। नीतीश ने यह भी कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि इस जाति की जनसंख्या बढ़ गई या घट गई लेकिन ये बताइए कि जब इससे पहले जाति आधारित जनगणना नहीं हुई है तो आप कैसे कह सकते हैं कि इस जाति की संख्या बढ़ गई या घट गई? हम शुरूआत से केंद्र सरकार से कहते आए हैं कि वे भी जातिगत जनगणना करें... 2022-2021 में जो जनगणना होनी थी वो नहीं हुई तो जितना जल्दी हो सके शुरू करें। भाजपा ने कहा कि भारत की राजनीति में नीतीश बाबू जैसा अश्लील नेता देखा नहीं होगा। नीतीश बाबू के दिमाग में एडल्ट "B" Grade फिल्मों का कीड़ा घूस गया है। सार्वजनिक रूप से इनके द्विअर्थी संवादों पर पाबंदी लगानी चाहिए। लगता है संगत का रंगत चढ़ गया है!
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि वह प्रदेश में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए कोटा (आरक्षण) बढ़ाने के पक्ष में हैं। कुमार ने अपनी सरकार द्वारा कराए गए जातिगत सर्वेक्षण पर एक विस्तृत रिपोर्ट सदन में पेश किए जाने के बाद हुई चर्चा में भाग लेते हुए यह बयान दिया। मुख्यमंत्री का विचार था कि ओबीसी के लिए आरक्षण को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने की आवश्यकता है जबकि एससी और एसटी के आरक्षण के लिए आरक्षण 17 प्रतिशत से बढ़ाकर 22 प्रतिशत तक किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हम उचित परामर्श के बाद आवश्यक कदम उठाएंगे। हमारा इरादा मौजूदा सत्र में इन बदलावों को लागू करने का है।