By अनुराग गुप्ता | Jun 11, 2020
भोपाल। गेहूं खरीद के मामले में मध्य प्रदेश ने पंजाब को पीछे छोड़कर नंबर एक का तमगा हासिल कर लिया है। पंजाब को पीछे छोड़ना इतना आसान नहीं था और वो भी ऐसे समय पर जब सरकार ने देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा कर दी हो। लेकिन इसके बावजूद किसानों की मेहनत और उम्दा मैनेजमेंट के चलते यह मुमकिन हो पाया।
बेमौसम बरसात ने बढ़ाई थी मुश्किलें
बेमौसम बरसात, पाल, आंधी-तूफान यहां तक कि बाढ़ भी मध्य प्रदेश के अन्नदाताओं की हिम्मत को नहीं डिगा पाई। इन तमाम घटनाक्रमों की वजह से मुश्किलें तो जरूर बढ़ गईं थीं लेकिन अन्नदाताओं की लगन और मेहनत के बदौलत इस बार गेहूं का जोरदार उत्पादन हुआ और फिर रिकॉर्ड सरकारी खरीद भी हुई।
देशभर में गेहूं खरीद के मामले में मध्य प्रदेश ने पहला तमगा हासिल किया। न केवल पंजाब को पीछे छोड़ा बल्कि पिछले साल के मुकाबले प्रदेश में 74 फीसदी से ज्यादा गेहूं खरीदा गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अभी तक हार्ट ऑफ इंडिया कहे जाने वाले मध्य प्रदेश में 1 करोड़ 27 लाख 67 हजार 628 मीट्रिक टन गेहूं की पैदावार हुई जो पूरे देश का 33 फीसदी है।
गेहूं की सरकारी खरीद
इस साल पूरे देश में 3 करोड़ 86 लाख 54 हजार मीट्रिक टन गेहूं की सरकार ने खरीदारी की। अगर हम मध्य प्रदेश की बात करें तो यहां पर लॉकडाउन के बीच में 15 अप्रैल से गेहूं की सरकारी खरीद शुरू हुई थी जो कि 5 जून तक चली। पिछले साल की तुलना में गेंहू की पैदावार 74 फीसदी ज्यादा होने की वजह से खरीद केंद्र की संख्या में भी इजाफा किया गया। पहले यह 3,545 हुआ करते थे जिन्हें बढ़ाकर 4,529 किया गया।
खरीदारी के लिए विशेष इंतजाम
कोरोना महामारी के बीच इस बार एहतियात के तौर पर सरकार ने कुछ नियम जारी किए। एक बार में 10 से 12 किसानों को ही खरीदारी के लिए बुलाया गया था। इसके अलावा मंडी में 2 गज की दूरी बनाए रखने और सैनिटाइजर की व्यवस्था भी की थी। वहीं किसानों को मंडी बुलाने के लिए एसएमएस की भी व्यवस्था की गई थी और प्रदेश में गेहूं की खरीद का पैसा सीधे किसानों के खाते में 7 दिन के भीतर भेजा गया।