By नीरज कुमार दुबे | Jul 03, 2024
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने संसद में अपने संबोधन के दौरान हिंदू समुदाय को हिंसक करार दे दिया। हालांकि बयान पर विवाद होने के बाद वह और उनकी पार्टी कांग्रेस तमाम तरह की सफाई भी दे रहे हैं लेकिन उनके बयान से खड़ा हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। दिल्ली तथा देश के अन्य हिस्सों में लोग मुझे हिंदू होने पर गर्व है लिखा हुआ होर्डिंग और बैनर लगवा रहे हैं, सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे हैं कि मैं हिंदू हूँ मगर हिंसक नहीं हूँ। जगह-जगह राहुल गांधी के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं और उनसे माफी मांगने की मांग की जा रही है। एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संसद में कहा था कि हिंदुओं को यह सोचना होगा कि राहुल गांधी ने जो कहा है वह कोई संयोग है या प्रयोग। प्रधानमंत्री ने कहा था कि हिंदुओं पर झूठा आरोप लगाने की साजिश हो रही है, गंभीर षड्यंत्र हो रहा है। दूसरी ओर, संत समाज ने भी राहुल गांधी के हिंदू विरोधी बयान पर आपत्ति जताई है लेकिन कांग्रेस नेता के तेवरों को देखते हुए लगता नहीं है कि वह माफी मांगेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी को बालक बुद्धि बताया है तो क्या यह मान लिया जाये कि राहुल गांधी ने बचपने में हिंदू विरोधी बयान दिया है? वैसे अगर राहुल गांधी के हिंदू विरोधी बयानों की श्रृंखला को देखें तो ऐसा लगता नहीं है कि यह बचपने में दिया गया बयान है। हालांकि राहुल गांधी ने हिंदुओं को हिंसा से जोड़कर अपनी अल्पबुद्धि का परिचय तो दिया ही है क्योंकि यदि हिंदू हिंसक होता तो अब तक पता नहीं क्या-क्या हो चुका होता। यदि हिंदू नफरत पैदा करने वाला होता तो अब तक पता नहीं क्या-क्या हो चुका होता।
बहरहाल, राहुल गांधी के हिंदू विरोधी बयान पर आ रही तमाम प्रतिक्रियाओं में सबसे अलग प्रतिक्रिया सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात अश्विनी उपाध्याय की है क्योंकि उन्होंने जो सवाल उठाये हैं वह आपको गंभीर चिंतन करने पर मजबूर कर देंगे। उन्होंने कहा कि हिंदू हिंसक होता तो दुर्योधन का ननिहाल कंधार कभी अफगानिस्तान नहीं बनता। उन्होंने कहा कि यदि हिंदू हिंसक होता तो भरत का ननिहाल कैकेय कभी पाकिस्तान नहीं बनता। उन्होंने कहा कि हिंदू हिंसक होता तो ईस्ट बंगाल कभी बांग्लादेश नहीं बनता। उन्होंने कहा कि हिंदू हिंसक होता तो कश्मीर से हिंदुओं का सफाया नहीं हुआ होता। उन्होंने ऐसे ही कई और उदाहरण दिये हैं जोकि लोगों को सोचने पर मजबूर करते हैं।