By अभिनय आकाश | Dec 23, 2023
जब हम लोग जियोग्राफी और हिस्ट्री की पढ़ाई करते थे। वर्ल्ड ट्रेड के शुरुआती सबक सिखते थे तब स्वेज नहर के बारे में सुनते थे। इससे जुड़ी क्राइसिस के बारे में सुनते थे। 32 किलोमीटर के उस संकड़े रास्ते के बारे में सुनते थे जिस पर कोई आफत आती थी तो एशिया, अफ्रीका और यूरोप के बीच व्यापार की लागत बढ़ जाती थी। उससे जुड़ी खबर ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। वहां पर लगातार हमले हो रहे हैं। उन हमलों को काउंटर करने के लिए 10 देशों की एक साझा फौज भी तैयार हो रही है।
क्या है लाल सागर
लाल सागर हिंद महासागर और भूमध्य सागर के बीच का रास्ता है। जिसमें ग्रेट ऑफ टीयर्स भी स्थित है। ये एक ऐसा जलमार्ग है जिससे दुनिया का 40 प्रतिशत व्यापार होता है। सऊदी अरब, मिस्र और सूडान के बीच स्थित, लाल सागर स्वेज़ नहर का प्रवेश द्वार है और दुनिया के प्रमुख वैश्विक व्यापार गलियारों में से एक है, जो लगभग 12 प्रतिशत वैश्विक व्यापार और लगभग एक तिहाई वैश्विक कंटेनर यातायात की देखरेख करता है। आपको स्वेज से गुजरना है तो आप रेड सी को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। स्वेज़ नहर से हर साल लगभग 19,000 जहाज़ पार करते हैं, इनलेट ऊर्जा और कमोडिटी व्यापार में एक रणनीतिक दबाव बिंदु है। अमेरिका और पश्चिमी सहयोगियों के विरोधी कभी-कभी उन चोकपॉइंट्स का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं क्योंकि यह वैश्विक गतिशीलता पर इतना महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। हूती हमलों से चिंतित होकर, प्रमुख ऊर्जा कंपनियों और शिपिंग फर्मों बीपी, इक्विनोर, मार्सक, एवरग्रीन लाइन और एचएमएम ने अपने जहाजों का मार्ग बदल दिया है या लाल सागर में परिचालन निलंबित कर दिया है।
ग्लोबल ट्रेड के लिए क्यों अहम रेड सी
लाल सागर का मार्ग कितना जरूरी है इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 17 हजार जहाज स्वेज नहर से हर वर्ष गुजरते हैं। वहीं इस मार्ग से दुनिया का 12 प्रतिशत वैश्विक कारोबार होता है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि हर साल 10 अरब डॉलर का सामान इसी रास्ते से आयात निर्यात होता है। लाल सागर का सबसे संकड़ा रास्ता यमन के पास है। इस जगह को बॉब अल मंडाव कहते हैं और इसकी चौड़ाई 32 किलोमीटर की है। यमन में दो सरकारें चल रही है। एक जिसे यूएन की मान्यता है और जो दूसरी सरकार हूती विद्रोहियों की है। इन्हीं हूती विद्रोहियों के पास बॉब अल मंडाव स्टेट का कंट्रोल है।
रेड सी में कौन रोक रहा शिपिंग
अक्टूबर के महीने में हूती विद्रोहियों ने इजरायल की तरफ कई मिसाइलें दागी। इसके बाद इजरायल को चेतावनी भी जारी की। फिर हूतियों ने लाल सागर से गुजरने वाले जहाजों को निशाना बनाना शुरू किया। 19 नवंबर को हूती विद्रोहियों ने गेलेक्सी लीडर नाम के एक जहाज जो जब्त कर लिया। दावा किया गया कि ये इजरायल का जहाज है। असल में ये एक ब्रिटिश कंपनी के नाम पर रजिस्टर्ड था। जहाज तुर्किए से भारत आ रहा था। जहाजों पर हमले हूती विद्रोहियों ने नहीं रोके 3 दिसंबर को भी बहमास जा रहे जहाज पर ड्रोन से हमला किया गया। 13 दिसंबर को नार्वे के टैंकर पर भी मिसाइल हमला हुआ। नार्वे और पनामा जहाजों पर भी 18 दिसंबर को हमला हुआ। अधिकतर हमलों को अमेरिकी और ब्रिटिश युद्धपोत नाकाम भी कर रहे हैं।
अमेरिका ने कौन सी फोर्स बनाई
हम एक मल्टी नेशनल फोर्स बना रहे है। जिसमें 10 देश शामिल हो रहे हैं। ये सैनिक रेड सी यानी लाल सागर में मालवाहक जहाजों को सुरक्षा देंगे। लाल सागर से गुजरने वाले जहाजों पर हमले लगातार हो रहे हैं। यमन से संचालित होने वाले हूति विद्रोहियों ने कई जहाजों पर कब्जे की कोशिश की है। जिसके बाद 12 बड़ी शिपिंग कंपनियों ने रेड सी में काम धंधा रोक दिया है। 18 दिसंबर को ब्रिटिश पेट्रोलियम ने इस रूट पर ऑपरेशन चलाने से मना कर दिया। अरब देशों से निकलने वाला अधिकांश कच्चा तेल इसी रास्ते दुनिया में पहुंचता है। रास्ता बदलेगा तो तेल महंगा होगा। तेल महंगा होगा तो सिर्फ गाड़ियों के चलने की लागत नहीं बढ़ेगी। आपकी सब्जी, फसल और आपकी जिंदगी की रोजमर्रा की लागत भी बढ़ जाएगी। कच्चे तेल के दाम बढ़ते हैं तो हर चीज पर असर होता है औऱ जरूरी चीजों के प्रवाह पर भी असर होता है।
इन सब में भारत की एंट्री कैसे हो गई
अनुमान है कि भारत के निर्यातकों के अनुसार लाल सागर में चल रहे मौजूदा सुरक्षा खतरे की वजह से यूरोप और अफ्रीका जाने वाले भारतीय सामान का भाड़ा लगभग 25 से 30 प्रतिशत बड़ सकता है। आशंका इस बात को लेकर भी जताई जा रही है कि इससे तेल की कीमतों में भी उछाल आएगा जिसके चलते ईंधन के दामों में भी बढ़ोतरी होगी। भारत में एशियाई, अफ्रीकी और यूरोपीय देशों से जो सामान का आयात होता है वो लाल सागर के जरिए ही होता है। इसके अलावा भारत इस रास्ते से मुख्य रूप से पेट्रोलियम पदार्थ, दालें और मशीनी उपकरण निर्यात करता है।