Prabhasakshi Exclusive: PM Modi के Poland और Ukraine दौरे से क्या हासिल हुआ? क्या अब बदल जायेंगे उस क्षेत्र के हालात?

By नीरज कुमार दुबे | Aug 23, 2024

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पोलैंड और यूक्रेन यात्रा का क्या महत्व है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि यह दोनों ही यात्राएं काफी अहम रहीं। उन्होंने कहा कि पोलैंड में प्रधानमंत्री का जिस तरह से स्वागत हुआ और दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए जिस तरह से गर्मजोशी दिखाई वह अभूतपूर्व है। उन्होंने कहा कि यूरोप में सिर्फ पोलैंड ही बचा था जिसके भारत के साथ संबंध प्रगाढ़ नहीं थे जबकि दोनों देशों के रिश्तों का काफी पुराना इतिहास रहा है। उन्होंने कहा कि मोदी की यात्रा के बाद हालात बदलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच हुए द्विपक्षीय समझौते भी दर्शा रहे हैं आने वाले दिनों में भारत और पोलैंड संबंधों का नया रूप सामने आयेगा।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि भारत और पोलैंड की कंपनियों ने एक दूसरे के देश में निवेश के लिए जो रुचि दिखाई है उससे व्यवसायिक संबंध भी प्रगाढ़ होंगे। उन्होंने कहा कि आज की दुनिया में व्यापारिक संबंध दो देशों के रिश्तों की मजबूती का आधार बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि भारत और पोलैंड ने अपने संबंधों को “रणनीतिक साझेदारी” के स्तर तक उन्नत किया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके पोलिश समकक्ष डोनाल्ड टस्क के बीच व्यापक वार्ता के बाद कुशल श्रमिकों की आवाजाही को बढ़ावा देने के लिए एक सामाजिक सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने कहा कि बैठक में दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय रक्षा और सुरक्षा संबंधों को महत्वपूर्ण रूप से विस्तारित करने का संकल्प व्यक्त किया। टस्क ने घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने और अपने सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाने के नयी दिल्ली के प्रयासों में एक प्रमुख भागीदार बनने की वारसॉ की इच्छा भी व्यक्त की।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की लगभग आधी सदी में पोलैंड की पहली यात्रा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने पोलिश राष्ट्रपति आंद्रजेज डूडा के साथ भी बातचीत की। उन्होंने कहा कि मोदी-टस्क वार्ता के बाद, दोनों पक्षों ने भारत-पोलैंड रणनीतिक साझेदारी के लिए एक पंचवर्षीय ‘‘कार्य योजना’’ (2024-2028) का अनावरण किया, जिसमें सहयोग के लिए रक्षा, व्यापार, कृषि-तकनीक, ऊर्जा, हरित प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचे, फार्मास्यूटिकल्स और खनन सहित कई क्षेत्रों की पहचान की गई। उन्होंने कहा कि संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने रक्षा क्षेत्र में सहयोग को सुदृढ़ एवं गहन बनाने की आवश्यकता को स्वीकार किया। इस उद्देश्य से उन्होंने रक्षा सहयोग के लिए संयुक्त कार्य समूह सहित मौजूदा द्विपक्षीय तंत्रों का पूर्ण उपयोग करने पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि दोनों प्रधानमंत्रियों ने संपर्क के महत्व पर बल दिया तथा दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान सेवा शुरू होने का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि विश्व के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के रूप में यूरोपीय संघ और भारत का बहुध्रुवीय विश्व में सुरक्षा, समृद्धि और सतत विकास सुनिश्चित करने में साझा हित है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने साथ ही भारतीय संस्कृति के जानकार लोगों के एक समूह के साथ विचार साझा किए और उन्होंने भारतीय संस्कृति, भाषा और कला पर उनके काम के साथ-साथ दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के उनके प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि जहां तक प्रधानमंत्री की यूक्रेन यात्रा की बात है तो वह भी ऐतिहासिक रही। उन्होंने कहा कि अमेरिका समेत कई देशों और संयुक्त राष्ट्र ने भी प्रधानमंत्री की इस यात्रा का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने युद्धग्रस्त देश यूक्रेन की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान इस बात को दोहराया कि भारत का दृढ़ता से यह मानना है कि युद्ध के मैदान में किसी समस्या का हल नहीं निकलता। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि शांति के प्रयासों में भारत सतत भूमिका निभाएगा। उन्होंने रूस और यूक्रेन को बिना समय गंवाए बातचीत करने की भी सलाह दी। उन्होंने कहा कि रूस दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने रूसी राष्ट्रपति को भी इसी तरह की सलाह दी थी। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच युद्ध रुकवाने के लिए अब तक कई शांति सम्मेलन हो चुके हैं लेकिन रूस और यूक्रेन के बीच अब तक एक भी शांति वार्ता नहीं हुई थी इसलिए उम्मीद है कि मोदी की सलाह पर दोनों देश बातचीत की टेबल पर आयेंगे और इस तरह वैश्विक शांति की दिशा में भारत की ओर से एक बड़ा योगदान इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जायेगा।

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