By नीरज कुमार दुबे | Jan 15, 2024
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू चीन की यात्रा से लौटने के बाद से भारत के खिलाफ आक्रामक तेवर अपनाये हुए हैं और एक के बाद एक ऐसी घोषणाएं कर रहे हैं जो दर्शा रही हैं कि उनके मन के अंदर भारत के प्रति कितनी कटुता भरी हुई है। मोहम्मद मुइज्जू यह तो चाहते हैं कि उनके देश के लोग देशभक्त बनें लेकिन खुद वह चीन को अपना रिमोट कंट्रोल सौंप आये हैं। हालांकि राजधानी माले की जनता ने मेयर चुनाव में राष्ट्रपति को सीधा संदेश दे दिया है कि वह भारत विरोध के पथ पर आगे नहीं बढ़ें लेकिन मुइज्जू तो अपना ईमान बीजिंग को जैसे बेच आये हैं। तानाशाह शी जिनपिंग से मुलाकात करने के बाद मुइज्जू ऐसा प्रभावित हुए हैं कि अब उन्होंने वैसा ही रुख अपने देश में अपनाने का निर्णय ले लिया है।
राष्ट्रवाद पढ़ायेगी मुइज्जू सरकार
इसके लिए मालदीव की सरकार कई बड़े कदम उठाने जा रही है। इसके तहत मुइज्जू सरकार ने आगामी नए शैक्षणिक वर्ष से स्कूली पाठ्यक्रमों में 'राष्ट्रवाद' को एक अलग विषय के रूप में शामिल करने की घोषणा की है। चीन की यात्रा से लौटने के बाद राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने अपने मंत्रिमंडल की जो पहली बैठक की उसमें यह महत्वपूर्ण फैसला किया गया। मंत्रिमंडल के फैसले की जानकारी देते हुए राष्ट्रपति के प्रधान सचिव अब्दुल्ला नाज़िम इब्राहिम ने कहा कि यह निर्णय युवा पीढ़ी के बीच राष्ट्रवाद के सिद्धांतों और मूल्यों के प्रति सम्मान को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। नाजिम ने कहा कि हमारा लक्ष्य एक ऐसी पीढ़ी तैयार करना है जो राष्ट्रवाद से परिचित हो और देश के प्रति प्रेम रखे। उन्होंने कहा कि मालदीव राष्ट्रवाद को पुनर्जीवित करना चाहता है यही कारण है कि सामाजिक परिषद ने राष्ट्रीय पाठ्यक्रम में राष्ट्रवाद को एक अलग विषय के रूप में पढ़ाने का फैसला किया है। नाजिम ने कहा कि मुइज्जू सरकार स्कूलों में राष्ट्रवाद को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए सभी आवश्यक तैयारियां तेजी के साथ करेगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्रालय को इस संबंध में काम शुरू करने का निर्देश दिया गया है।
हम आपको बता दें कि राष्ट्रवाद को एक अलग विषय के रूप में पढ़ाना राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू द्वारा चुनावों के दौरान किये गये प्रमुख वादों में से एक है। मुइज्जू ने चुनावों के समय कहा था कि राष्ट्रवाद विषय को शुरू करके सरकार बच्चों को अनुशासन सिखाएगी। इसके लिए सरकार ने शैक्षणिक वर्ष की तारीखों में बदलाव करने का फैसला भी किया है, जिसके मुताबिक चालू शैक्षणिक वर्ष अप्रैल में समाप्त होगा। नया शैक्षणिक वर्ष 26 मई से शुरू होने होगा। सरकार ने तारीखों में बदलाव इसलिए किया है ताकि उसे नया पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए तैयारियां करने के लिए कुछ और वक्त मिल जाये।
कुछ बड़ी घोषणाएं कर सकते हैं मुइज्जू
हम आपको यह भी बता दें कि मुइज्जू चीन से जो निर्देश लेकर आये हैं उसे अमली जामा पहनाने के लिए वह मालदीव की संसद में कुछ बड़ी घोषणाएं कर सकते हैं। इस वर्ष संसद के पहले सत्र की उद्घाटन बैठक 5 फरवरी को होगी। मालदीव के संसद सचिवालय के मुताबिक स्पीकर मोहम्मद असलम ने इस साल के पहले सत्र की उद्घाटन बैठक 5 फरवरी को सुबह 9 बजे से तय की है। राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू, जिन्होंने पिछले साल 17 नवंबर को शपथ ली थी, उन्हें संसद की उद्घाटन बैठक में अपना पहला राष्ट्रपति भाषण देना होगा। माना जा रहा है कि इस उद्घाटन भाषण में कई बड़ी घोषणाएं होंगी। हम आपको बता दें कि सरकार को कामकाज संभाले हुए दो महीने से ज्यादा हो गये हैं मगर संसद ने अभी तक कैबिनेट को मंजूरी नहीं दी है। देखना होगा कि संसद क्या उन तीन मंत्रियों का निलंबन वापस लेती है जिनको भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अमर्यादित टिप्पणी करने के चलते निलंबित किया गया था।
मुइज्जू को लगा चुनावी झटका
जहां तक मुइज्जू को बीजिंग से लौटते ही लगे चुनावी झटके की बात है तो आपको बता दें कि माले के मेयर चुनावों में जनता ने सत्तारुढ़ पार्टी को हरा दिया है। हम आपको यह भी बता दें कि मुइज्जू भी राष्ट्रपति बनने से पहले माले के मेयर थे। उन्होंने मेयर पद से इस्तीफा देकर ही राष्ट्रपति चुनाव लड़ा था। इस बार मेयर चुनाव में जनता ने भारत समर्थक विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) को शानदार जीत देकर राष्ट्रपति के भारत विरोधी अभियान की सारी हवा निकाल दी है। एमडीपी उम्मीदवार एडम अजीम को माले के नए मेयर के रूप में चुना गया है। मालदीव मीडिया ने एडम अजीम की जीत को मुइज्जू के लिए राजनीतिक भूकंप के समान बताया है। उल्लेखनीय है कि एमडीपी का नेतृत्व भारत समर्थक पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद सोलिह कर रहे हैं, जो राष्ट्रपति चुनाव में चीन समर्थक नेता मुइज्जू से हार गए थे। मेयर चुनाव की जीत से एमडीपी की राजनीतिक किस्मत फिर से चमकने की उम्मीद है क्योंकि संसद में अब भी उसके पास अच्छी खासी संख्या में सीटें हैं।
ज्यादा आक्रामक हो गये हैं मुइज्जू
जहां तक मुइज्जू की ओर से भारत विरोधी अभियान को हवा देने की बात है तो निश्चित रूप से बीजिंग से लौटते ही वह पहले से ज्यादा आक्रामक दिख रहे हैं। पहले उन्होंने भारत के साथ हालिया विवादों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि हम छोटे (देश) हो सकते हैं, लेकिन इससे आपको हमें धमकाने का लाइसेंस नहीं मिल जाता। उसके ठीक बाद उन्होंने भारत से कहा कि वह उनके देश में तैनात अपने सैन्यकर्मियों को 15 मार्च तक हटा ले। माले की ओर से भारतीय सैनिकों को हटाने की मांग किये जाने के करीब दो महीने बाद राष्ट्रपति ने यह समय सीमा तय की है। नवीनतम सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मालदीव में 88 भारतीय सैन्यकर्मी हैं। हम आपको बता दें कि मालदीव और भारत ने सैनिकों की वापसी पर बातचीत के लिए एक उच्च स्तरीय कोर समूह का गठन किया है। विदेश मंत्रालय ने नयी दिल्ली में बयान जारी करके कहा कि इस कोर समूह ने रविवार सुबह माले स्थित विदेश मंत्रालय के मुख्यालय में अपनी पहली बैठक की।
हम आपको यह भी याद दिला दें कि पिछले साल 17 नवंबर को मालदीव के राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के तुरंत बाद मुइज्जू ने औपचारिक रूप से भारत से भारतीय सैन्यकर्मियों को मालदीव से वापस बुलाने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा था कि मालदीव के लोगों ने उन्हें नयी दिल्ली से यह अनुरोध करने के लिए ‘मजबूत जनादेश’ दिया है। इसके साथ ही माले अब नयी दिल्ली के साथ 100 से अधिक द्विपक्षीय समझौतों की भी समीक्षा कर रहा है। साथ ही मुइज्जू ने भारत पर मालदीव की निर्भरता को कम करने की योजनाओं की भी घोषणा की, जिसमें अन्य देशों से आवश्यक खाद्य वस्तुओं, दवाओं और उपभोग की अन्य सामग्रियों का आयात सुनिश्चित करना शामिल है।
बहरहाल, चीन से निकटता बढ़ा रहे मालदीव को लेकर भारत पूरी तरह सतर्क रुख अपनाये हुए है। भारत के पड़ोसियों को बहलाने फुसलाने की कोशिश चीन पूर्व में भी करता रहा है और भारत सरकार ने हमेशा कूटनीति के जरिये चीन की सारी चालों की हवा निकाल दी है। देखना होगा कि मुइज्जू मामले से कैसे निबटा जाता है।
-नीरज कुमार दुबे