By रेनू तिवारी | Sep 14, 2022
वाशिंगटन। भारत की विदेश नीति हमेशा राष्ट्रीय हित को लेकर आगे चली है। रूस- युक्रेन युद्ध के दौरान जब पुरी दुनिया के ज्यादातर देश चाहते थे कि भारत रूस की आलोचना करे तब भारत ने अपना राष्ट्र हित देखा और शांत रहा। अमेरिका मे इरान पर सेंशन लगा रखा है इस लिए भारत अपनी तेल की पूर्ति रूस से तेल खरीदकर करता है। ऐसे में भारत पर दवाब डाला जा रहा था कि रूस के साथ भारत अपने व्यापार को नाटो देश की तरह बंद कर दे लेकिन भारत ने देश के अंदर के हितों को ध्यान में रखते हुए रूस के साथ अपने व्यापार और तेल की खरीद को बंद नहीं किया। अब हाल ही में एससीओ समिट में भी भारत भाग लेने जा रहा है जो शंघाई में होने वाला हैं। ऐसे में अमेरिका पाकिस्तान के साथ एफ 16 का सौदा करके भारत पर दबाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
बाइडन प्रशासन ने पाकिस्तान को 45 करोड़ डॉलर की सैन्य सहायता देने के कदम को जायज ठहराते हुए कहा है कि एफ-16 लड़ाकू विमान कार्यक्रम अमेरिका-पाकिस्तान के द्विपक्षीय संबंधों का अहम हिस्सा है। अमेरिकी सरकार ने कहा कि इन लड़ाकू विमानों के बेड़े से पाकिस्तान को आतंकवाद रोधी अभियान के संचालन में मदद मिलेगी। बाइडन प्रशासन ने आठ सितंबर को पाकिस्तान को एफ-16 युद्धक विमानों के वास्ते 45 करोड़ डॉलर की मदद देने की मंजूरी दी थी। पिछले चार वर्षों में वाशिंगटन की ओर से इस्लामाबाद को दी गई यह पहली बड़ी सुरक्षा सहायता है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा, “हमने हाल ही में कांग्रेस (संसद) को अवगत कराया है कि हम पाकिस्तानी वायु सेना के एफ-16 विमानों की मरम्मत और रखरखाव के लिए 45 करोड़ डॉलर देने जा रहे हैं।” प्राइस ने एक सवाल के जवाब में कहा, “पाकिस्तान कई मामलों में हमारा एक महत्वपूर्ण साझेदार है। वह आतंकवाद के खिलाफ जंग में हमारा एक अहम साझेदार है। हम अपनी नीति के तहत अमेरिका में निर्मित उपकरणों की मरम्मत और रखरखाव के लिए सहायता उपलब्ध कराते हैं।”
प्रवक्ता ने कहा, “पाकिस्तान का एफ-16 कार्यक्रम अमेरिका-पाकिस्तान के द्विपक्षीय संबंधों का एक अहम हिस्सा है और इस प्रस्तावित की मदद से पाकिस्तान को एफ-16 बेड़े की मरम्मत के लिए सहायता मिलेगी, जिससे वह आतंकवाद के वर्तमान और भविष्य के खतरों से निपट सकेगा।